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भारतीय अंतरिक्ष संघ

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र –3; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, देशज रूप से प्रौद्यौगिकी का विकास तथा अंतरिक्ष से सबंधित विषयों के सबंध में जागरूकता)

संदर्भ-

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारतीय अंतरिक्ष संघ’ (Indian Space Association) का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ किया है। 

भारतीय अंतरिक्ष संघ

  • यह एक उद्योग निकाय है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न हितधारक शामिल हैं। कई निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में रुचि दिखाई है, जिसमें अंतरिक्ष-आधारित संचार नेटवर्क भी शामिल है।
  • कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने वैयक्तिक स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये उपग्रह संचार की तरफ रुख किया है।
  • इस संगठन के सदस्यों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसे सरकारी निकाय और भारती एयरटेल की वनवेब, टाटा समूह की नेल्को, एल.एंड टी., मैप माई इंडिया और अन्य निजी दूरसंचार कंपनियाँ शामिल हैं।

महत्त्व

  • अमेरिका तथा तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य अंतरिक्ष प्रतिस्पर्द्धा ने अन्य देशों को भी अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये प्रोत्साहित किया। 
  • इसी क्रम में विभिन्न देशों और सरकारी एजेंसियों ने पृथ्वी के बाहर संभावित जीवन की तलाश में नए ग्रहों और आकाशगंगाओं का पता लगाने के लिये विभिन्न पहलें शुरू कीं।
  • वर्तमान में निजी क्षेत्र की कंपनियाँ, जैसे- एलन मस्क की स्पेसएक्स, रिचर्ड ब्रैनसन की वर्जिन गेलेक्टिक और जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन ने अंतरिक्ष पर्यटन हेतु उड़ानें शुरू करने का वादा करते हुए स्पेसफ्लाइट में अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • भारत ने भी समय के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, किंतु इसमें सरकार ही सबसे प्रमुख भूमिका में रही है। 

लक्ष्य

  • इस संगठन का मुख्य लक्ष्य अंतरिक्ष आधारित पर्यटन हेतु भारत को अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयासों को पूरा करना है। हालाँकि, अभी तक यह कार्य इसरो द्वारा किया जा रहा था, किंतु अब निजी क्षेत्र भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • यह संगठन एक सक्षम नीतिगत ढाँचे के निर्माण के लिये एक तंत्र के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ेगा, जो प्रमुख वाणिज्यिक अंतरिक्ष अन्वेषण के सरकारी दृष्टिकोण को पूरा करता है। 
  • इसके अतिरिक्त, यह संगठन भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिये वैश्विक संबंध स्थापित करने  की दिशा में भी काम करेगा ताकि देश में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और निवेश लाकर अधिक रोज़गार सृजित किया जा सके।

संगठन के विभिन्न हितधारक

  • भारतीय अंतरिक्ष संगठन का प्रतिनिधित्व प्रमुख घरेलू और वैश्विक निगमों द्वारा किया जाएगा, जिनके पास अंतरिक्ष और उपग्रह प्रौद्योगिकी संबंधी उन्नत क्षमताएँ हैं।
  • इसके संस्थापक सदस्यों में भारती एयरटेल वनवेब, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा समूह की नेल्को, मैप माई इंडिया, वाल चंदनगर इंडस्ट्रीज़, अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजी जैसी अन्य कंपनियाँ शामिल हैं।
  • अन्य प्रमुख सदस्यों में गोदरेज, ह्यूजेस इंडिया, अनंत टेक्नोलॉजी लिमिटेड, अज़िस्ता-बी.एस.टी. एयरोस्पेस प्राइवेट लि., बी.ई.एल., सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स और मैक्सर इंडिया जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।
  • भारत में अंतरिक्ष आधारित संचार नेटवर्क ने कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को  दुर्गम क्षेत्रों में उच्च गति और सस्ते इंटरनेट कनेक्टिविटी की पहुँच बढ़ाने के लिये अवसर प्रदान किया है। इसमें स्पेसएक्स का स्टारलिंक, वनवेब, अमेजॉन का प्रोजेक्ट कुइपर, यू.एस. सैटेलाइट निर्माता ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इत्यादि शामिल हैं।
  • उदाहरण के लिये, वर्ष 2022 के अंत तक वनवेब भारत और बाकी दुनिया में अपनी उच्च गति तथा कम विलंबता वाली कनेक्टिविटी सेवाएँ प्रदान करेगा। साथ ही, स्टारलिंक और अमेजॉन भी भारत सरकार के साथ उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएँ शुरू करने के लिये लाइसेंस पर चर्चा कर रहे हैं।

भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा का महत्त्व

  • भारत में इंटरनेट सेवा का विस्तार सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को पूरा करने के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जिसके तहत अधिकाँश सरकारी सेवाएँ सीधे ग्राहक तक पहुँचाई जाती हैं।
  • दूरदराज और कम आबादी वाले स्थानों पर, जहाँ अभी तक स्थलीय नेटवर्क नहीं हैं, वहाँ ब्रॉडबैंड को शामिल करने के लिये उपग्रह आधारित इंटरनेट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • इस वर्ष अगस्त तक भारत में केवल 3 लाख उपग्रह आधारित इंटरनेट ग्राहक थे, जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ में यह संख्या क्रमशः 45 व 21 लाख थी।

चुनौतियाँ

  • अभी तक उपग्रह आधारित इंटरनेट उन कॉरपोरेट्स और संस्थानों तक सीमित है, जो इसका आपातकालीन उपयोग महत्त्वपूर्ण अंतर-महाद्वीपीय संचार और बिना कनेक्टिविटी वाले दूर-दराज के क्षेत्रों से जुड़ने के लिये करते हैं।
  • भारतनेट योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य अगले 1000 दिनों में सभी ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना है, किंतु पूर्वोत्तर भारत के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
  • भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में विदेशी हितधारकों के अधिक आने से भविष्य में चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो भारत के सामरिक हित को भी प्रभावित कर सकती हैं।

आगे की राह

  • भारत को विभिन्न हितधारकों को शामिल करने के लिये पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिये ताकि इस संगठन की जवाबदेहिता सुनिश्चित हो सके।
  • सरकार को विदेशी हितधारकों के लिये ‘चयनात्मक दृष्टिकोण’ अपनाना होगा, जिससे स्वदेशी कंपनियों को अधिकतम लाभ मिल सके।
  • दूर-दराज के क्षेत्रों में उपग्रह आधारित इंटरनेट की पहुँच से इन क्षेत्रों के नागरिकों  का सरकार के साथ जुड़ाव सुनिश्चित होगा, जिससे सहकारी संघवाद की भावना मज़बूत होगी।

निष्कर्ष  

भारत सरकार का यह कदम अंतरिक्ष के वाणिज्यिक लाभों को सुनिश्चित करते हुए अंतरिक्ष आधारित पर्यटन में भारत की भूमिका को बढ़ाएगा। साथ ही, भारत को अंतरिक्ष अन्वेषक के वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।

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