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इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ: 

जनवरी, 2024 में धुंध के कारण विमान उड़ानों में व्यवधान देखा गया। इसने प्रमुख हवाई अड्डों पर वर्तमान में कार्यरत ‘इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम’ (ILS) एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों की कमी पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

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मुख्य बिंदु:

  • जनवरी, 2024 में सिंगापुर, लंदन, कुवैत, कोलंबो सहित कई अंतर्राष्ट्रीय केन्द्रों से आने वाले विमानों को हैदराबाद एयरपोर्ट से डायवर्ट किया गया। 
    • हैदराबाद एयरपोर्ट ने कम दृश्यता के कारण टेक-ऑफ और लैंडिंग में समस्या की सूचना दी थी। 
  • इसी दौरान चेन्नई एयरपोर्ट की दृश्यता घटकर 100 मीटर तक रह गई, जिसके कारण भारत के प्रमुख शहरों से आने वाले विमानों की उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
  • इस असफलता ने प्रमुख हवाई अड्डों पर वर्तमान में कार्यरत ‘इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम’  (ILS) एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों की कमी पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (Instrument Landing System-ILS):

  • ILS एक ग्राउंड-आधारित रेडियो नेविगेशन प्रणाली है। 
  • यह पायलटों को उनके विमान की स्थिति और रनवे के साथ संपर्क के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।
  • यह पायलटों को ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए दो रेडियो बीमों का उपयोग करता है;
    • लोकलाइज़र (LOC): 

LOC

      • LOC एरियल सामान्यतः रनवे के अंत में स्थित होते हैं।
      • ये दो संकीर्ण परस्परच्छेद बीमों को प्रसारित करते हैं।
      • इनमें से एक बीम रनवे केंद्र रेखा के थोड़ा दाईं ओर और दूसरा थोड़ा बाईं ओर स्थित होता है। 
      • जिस स्थान पर ये बीम परस्परच्छेद (एक- दूसरे को कटते) करते हैं, उस स्थान को LOC के रूप में  परिभाषित किया जाता है।
      • यह पायलटों को क्षैतिज मार्गदर्शन प्रदान करता है।
    • ग्लाइड-स्लोप (GS):

ILS-GLIDE-SLOPE

      • GS एरियल सामान्यतः हवाई अड्डे पर स्थित होते हैं।
      • ये दो संकीर्ण परस्परच्छेद बीमों को प्रसारित करते हैं।
      • इनमें से एक बीम आवश्यक ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल से थोड़ा नीचे और दूसरा बीम उससे थोड़ा ऊपर स्थित होता है।
      • जिस स्थान पर ये दोनों बीम परस्परच्छेद हैं, उस स्थान को ग्लाइड-स्लोप के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • यह पायलटों को ऊर्ध्वाधर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • ILS की मदद से पायलट रनवे को भौतिक रूप से देखे बिना यह समझने में सक्षम होते हैं कि उनका विमान रनवे से संपर्क स्थापित करने के लिए किस स्थिति में है।
  • यह प्रणाली पायलटों को उस स्थिति में चेतावनी देती है जब उनके विमान रनवे से उड़ान नहीं भर पते हैं।
  • यह पायलटों को उस स्थिति में भी चेतावनी देता है, जब उनके विमान बहुत नीचे या बहुत ऊपर हों और रनवे के नीचे या ओवरशूटिंग का जोखिम हो।
  • इसके ये दोनों कार्य उन मामलों में लैंडिंग सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं ,जहां पायलट रनवे को स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम नहीं हैं।

चुनौतियां:   

  • कुछ एयरपोर्टों पर लैंडिंग में समस्याओं के कारण उड़ानों में अक्सर देरी होती है।
  • ऐसे एयरपोर्टों पर ILS (CAT II या CAT III) सिस्टम की कमी होती है। 
  • यह समस्या विशेष रूप से भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में देखी जा सकती है।    
  • ILS सिस्टम बहुत महंगा है। 
  • एक एयरपोर्ट पर CAT III ILS स्थापित करने की औसत लागत लगभग ₹100 करोड़ है।
  • इसके अतिरिक्त इसके रखरखाव की लागत ₹40-50 लाख तक है, जो प्रबंधन के लिए एक चुनौती है। 
  • उन्नत (CAT II या कैट III) ILS इंस्टॉलेशन के लिए एयरलाइनों को अपने पायलटों के प्रशिक्षण और प्रमाणन में निवेश करने की भी आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान में CAT II/III के लिए योग्य 4,804 फ्लाइट क्रू विभिन्न एयरलाइनों के पास उपलब्ध हैं, जिनमें 2,979 कैप्टन और 1,825 सह-पायलट शामिल हैं।  

भारत में ILS की तैनाती:

  • वर्तमान में केवल 6 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टों पर CAT III B लैंडिंग की सुविधा उपलब्ध है;
    • इसमें दिल्ली, जयपुर, अमृतसर, कोलकाता, लखनऊ और बेंगलुरु शामिल हैं।
  • 8 एयरपोर्टों अड्डों पर CAT I क्षमता को विकसित किया जा रहा है। 
  • 4 एयरपोर्टों को CAT I से CAT II में अपग्रेड जा रहा है।    

वैश्विक मानक:

  • एयरपोर्टो पर दृश्यता की स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। 
    • यदि एक वर्ष में 30 से अधिक दिनों तक दृश्यता 500 मीटर से कम होती है, तो इंस्टाल्ड ILS को CAT IIIB में नहीं तो कम से कम CAT IIIA में अपग्रेड करने की आवश्यकता है।  
  • जिन भारतीय एयरपोर्टों पर प्रतिदिन 50-60 से अधिक लैंडिंग होती हैं, उनमें उन्नत ILS प्रौद्योगिकियां होनी चाहिए।  

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. ILS एक ग्राउंड-आधारित रेडियो नेविगेशन प्रणाली है। 
  2. यह पायलटों को उनके विमान की स्थिति और रनवे के साथ संपर्क के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।
  3. यह पायलटों को ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए दो रेडियो बीमों का उपयोग करता है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न-  इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम के बारे में बताते हुए स्पष्ट करें कि भारत के एयरपोर्टो पर इसे स्थापित करने में क्या चुनौतयां हैं?

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