New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

चंद्र अन्वेंषण यान : ‘चांग’ई-5’

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, चीन ने चंद्र अन्वेंषण मिशन के रूप में ‘चांग’ई-5’ यान को लॉन्च किया है। यह एक ‘लूनर सैम्पल रिटर्न मिशन’ है।

पृष्ठभूमि

यह विगत चार दशकों में चंद्रमा के अभी तक गैर-अन्वेषित हिस्से से चट्टानों के नमूनों को लाने वाला पहला अन्वेंषण मिशन बन जाएगा। ध्यातव्य है कि वर्ष 2019 के प्रारम्भ में चीन के चंद्र अन्वेंषण मिशन के अंतर्गत ‘चांग'ई-4’ द्वारा चंद्रमा के सुदूर हिस्से या अंधेरे वाले हिस्से की छवियों को सफलतापूर्वक प्रेषित किया था। चंद्रमा के इस हिस्से में उतरने वाला यह पहला अन्वेंषण यान था।

चांग'ई-5 यान

  • चांग'ई-5 अंतरिक्ष यान चंद्रमा से चट्टानों के नमूनों को लाने के लिये ‘चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन’ (CNSA) के अन्वेंषण मिशन का एक हिस्सा है। इस अंतरिक्ष यान को ‘लॉन्ग मार्च-5 वाई5’ (Long March-5 Y5) रॉकेट से चीन के हैनान द्वीप पर स्थित वेनचांग अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया गया है।
  • इसका नामकरण चीन में प्रसिद्ध चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है, जो पारम्परिक रूप से एक सफेद खरगोश के साथ होती है।

लक्ष्य

  • यह यान चंद्रमा के मॉन्स रुमर क्षेत्र (Mons Rumker Region) में लैंड करेगा, जहाँ यह एक चंद्र दिवस के लिये संचालित होगा। विदित है कि एक चंद्र दिवस की अवधि लगभग दो सप्ताह की होती है।

mons-rumker-region

  • इस यान में एक मून ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक असेंडर  (Ascent Probe) शामिल है, जो चंद्रमा से प्राप्त नमूनों को कक्षा में वापस ले जाएगा और उन्हें पृथ्वी पर भेजेगा।
  • चांग'ई-5 एक रोबोटिक आर्म, एक कोरिंग ड्रिल व एक सैम्पल चैम्बर के साथ-साथ एक कैमरा, रडार तथा एक स्पेक्ट्रोमीटर से सुसज्जित है। इस अंतरिक्ष यान के 15 दिसम्बर के आस-पास पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है।
  • यह यान चंद्रमा की सतह पर सम्भवतः 2 मीटर गहरी खुदाई करके चंद्रमा की चट्टान का लगभग 2 किलोग्राम नमूना लेकर वापस लौटेगा।

लूनर सैम्पल से प्राप्त होने वाली जानकारी

  • नासा के अनुसार, चंद्रमा से प्राप्त नमूने चंद्र विज्ञान और खगोल विज्ञान में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को सुलझाने तथा उत्तरों को जानने में मदद कर सकते हैं।
  • इनमें चंद्रमा की आयु, चंद्रमा का निर्माण व गठन, पृथ्वी तथा चंद्रमा के भूगर्भिक विशेषताओं व इतिहास के बीच समानताएँ एवं असमानताएँ शामिल हैं।
  • साथ ही, इसमें इस बात का भी अन्वेंषण किया जाएगा कि क्या चंद्रमा वैज्ञानिकों को सौर मंडल के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। उदहारणस्वरूप, किसी चट्टान में विशिष्ट कंकड़ों व क्रिस्टलों की आकृति, माप, गठन और संरचना वैज्ञानिकों को इसके इतिहास के बारे में बता सकती है, जबकि रेडियोधर्मी घड़ी चट्टानों की आयु के बारे में जानकारी दे सकती है।
  • इसके अतिरिक्त, चट्टानों में छोटी दरारें पिछले 100,000 वर्षों में सूर्य के विकिरण इतिहास के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा सकती हैं।
  • ‘लूनर एंड प्लानेट्री इंस्टिट्यूट’ के अनुसार, चंद्रमा पर पाई जाने वाली चट्टानें पृथ्वी पर पाई जाने वाली चट्टानों से पुरानी हैं और इसलिये वे पृथ्वी और चंद्रमा के साझा इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण हैं।

पूर्व के प्रयास

  • चंद्रमा से चट्टानों का पहला नमूना अपोलो-11 मिशन के दौरान एकत्रित किया गया था।
  • वर्ष 1970 में सोवियत संघ का लूना-16 अन्वेंषण मिशन चंद्रमा से लगभग 100 ग्राम वजनी नमूना लेकर लौटा था। इसके बाद अपोलोनियस हाइलैंड्स क्षेत्र से भी मिट्टी का नमूना लाया गया था। इन दोनों ही मामलों में मिट्टी के नमूने चंद्रमा की सतह से कुछ सेंटीमीटर नीचे से ही लिये गए थे।
  • वर्ष 1976 में लूना-24 ने चंद्रमा की सतह से 2 मीटर नीचे से 170 ग्राम से अधिक वजन का एक नमूना एकत्र किया था।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X