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आदर्श किराएदारी अधिनियम  (Model Tenancy Act)

(प्रारंभिक परीक्षा- भारतीय राज्यतंत्र और शासन, मुख्य परीक्षा; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2, विषय- सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

जून 2021 के प्रथम सप्ताह में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किराएदारी से संबंधितआदर्श किराएदारी अधिनियम’ (Model Tenancy Act- MTA) की मंजूरी दे दी है। इसे राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों के लिये जारी किया जा रहा है, ताकि वे मौजूदा किराएदारी कानूनों में अपने हिसाब से संशोधन कर सकें या नया कानून बना सकें।

आवश्यकता क्यों?

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शहरी क्षेत्रों में लगभग 11 मिलियन आवास खाली पड़े थे। इन आवासों के किराए के प्रयोजन के लिये उपलब्ध न होने का एक मुख्य कारण राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों का मौजूदा किराया कानून है, जो आवासों को किराए पर देने को हतोत्साहित करता है।
  • जनसंख्या का एक बड़ा भाग, विशेषतः प्रवासियों का है, जो किराए पर  आवासों को वरीयता देते हैं।
  • इसका उद्देश्य भू-स्वामी एवं किराएदार दोनों के हितों व अधिकारों में संतुलन स्थापित करने और कुशल प्रकार से परिसरों को किराए पर देने हेतु जवाबदेह और पारदर्शी तंत्र को स्थापित करना है।
  • विभिन्न राज्य/संघ राज्यक्षेत्रों में किराएदारी उनके द्वारा वर्तमान किराया कानूनों द्वारा अभिशासित है, जो अधिकांशतः किराएदारों के पक्ष में है। साथ ही, किराए की अधिकतम सीमा से किराए के आवासों की गुणवत्ता और संख्या में भी कमी आई है, इससे किराए की राशि में कमी दर्ज की गई है, जिसके कारण आवास स्वामी परिसरों को किराए पर देने हेतु हतोत्साहित हुए हैं। 
  • एम.टी.ए. किराए के प्रयोजन के लिये खाली परिसरों का उपयोग करने और किराया बाज़ार को आकर्षक, सुस्थिर एवं समावेशी बनाने में सक्षम होगा। इसके अतिरिक्त, निवेश आकर्षित हो सकेगा तथा किराया आवास क्षेत्र में उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।

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मुख्य विशेषताएँ

  • एम.टी.ए. के आरंभ होने के पश्चात्, परस्पर सहमत शर्तों के आधार पर लिखित रूप से करार के बिना कोई परिसर किराए पर नहीं दिया जाएगा।
  • यह रिहायशी तथा व्यावसायिक किराएदारों पर लागू होगा। किराया,  मकान या भू-मालिक तथा किराएदार के मध्य किये गए पारस्परिक करार द्वारा नियत किया जाएगा।
  • यह कानून समस्त राज्य/संघ राज्यक्षेत्र अर्थात् शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों पर लागू होगा।
  • विवादों के अधिनिर्णयन के लिये एक ‘फास्ट ट्रैक अर्ध-न्यायिक’ तंत्र का उपबंध किया जाएगा। शिकायतों के निस्तारण की अधिकतम अवधि 60 दिनों की होगी।
  • यह बिना किसी सीमा के सभी किराएदारों पर लागू होगा। किराएदारी की बकाया अवधि के लिये किराएदारी की शर्त भू-स्वामी के उत्तराधिकारियों के साथ-साथ किराएदारों पर भी बाध्य होगी।
  • भू-स्वामी और किराएदार के मध्य अनुपूरक करार किये बिना उप-किराएदार के लिये अनुमति नहीं होगी।
  • प्रत्येक भू-स्वामी कम से कम 24 घंटे पहले लिखित में या इलेक्ट्रॉनिक ढंग से किराएदार को नोटिस देने के पश्चात् ही कुछ शर्तों के अधीन ही परिसर में प्रवेश या किराए पर दे सकेगा।
  • यदि किराएदारी की अवधि के समाप्त होते समय किसी क्षेत्र में, जहाँ परिसर स्थित हो, अनिवार्य बाध्यता की स्थिति हो, तो भू-स्वामी अनिवार्य बाध्यता की समाप्ति के माह तक किराएदार को परिसर में मौजूद किराया करार शर्तों के अनुसार ही रहने की अनुमति देगा। 
  • आवासीय परिसर के लिये सुरक्षा जमा राशि दो महीने तथा गैर-आवासीय परिसर में अधिकतम छह महीने का किराया होगा।     
  • किराया समझौता तथ  अन्य दस्तावेज़ जमा करने के लिये स्थानीय भाषा या राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की भाषा में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाएगा। किराया प्राधिकरण इन समझौतों पर नजर रखेगी।
  •  भू-स्वामी के निम्नलिखित उत्तरदायित्व होंगे-
  1. संरचनात्मक मरम्मतें
  2. दरवाजे और खिड़कियों की पेंटिंग और दीवारों की पुताई
  3. आवश्यकतानुसार नल के पाइपों की मरम्मत और बदलना
  4. आतंरिक और बाह्य इलेक्ट्रॉनिक वायरिंग और संबंधित अनुरक्षण
  • किराएदार द्वारा, नल वाशरों, सफाई, सर्किट, स्विच, रसोई आदि की अवधिक मरम्मत कराई जाएगी।   

चिंताएँ

  • इस अधिनियम में किराए के आवासन बाज़ार की चुनौतियों पर ध्यान नहीं दिया गया है, जैसे किराया नीति, वहनीयता, खाली पड़े घरों के स्टॉक आदि।
  • आधार पंजीकरण की अनिवार्यता ‘पुत्तास्वामी निर्णय’ का उल्लंघन हो सकता है।
  • किराएदारी समझौते में आवश्यक जानकारियाँ निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।    
  • कुछ मामलों में, जैसे परिसर खाली करना, किराया भुगतान आदि के संबंध में निस्तारण अवधि को निश्चित नहीं किया गया है।
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