New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ निर्माण कला

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, भारत की विविधता) 

संदर्भ

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के समर्पित प्रयासों से हाल ही में, 1000 वर्ष पुरानी परंपरागत मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ निर्माण कला पुनः जीवंत हो गई है।

प्रमुख बिंदु

  • मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ निर्माण कला लगभग 1000 वर्ष पुरानी है। यह कला धीरे-धीरे अरुणाचल प्रदेश के तवांग ज़िले में स्थानीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई थी।
  • उत्कृष्ट बनावट वाले हस्तनिर्मित कागज़ों को स्थानीय भाषा में मोन शुगु कहा जाता है।
  • इस कागज़ का विशेष ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व है क्योंकि इसका प्रयोग बौद्ध मठों में धर्मग्रंथों और स्तुति गान लिखने के लिये भी किया जाता है।
  • मोनपा हस्तनिर्मित कागज़, शुगु शेंग नामक स्थानीय पेड़ की छाल से बनाया जाता है, जो अपने औषधीय गुणों के लिये जाना जाता है। अतः इस कागज़ के लिये कच्चे माल की उपलब्धता की समस्या अमूमन उत्पन्न नहीं होती।
  • पूर्व में, मोनपा का उत्पादन इतने वृहद स्तर पर होता था कि इन कागज़ों को तिब्बत, भूटान, थाईलैंड और जापान जैसे देशों में भी बेचा जाता था क्योंकि उस समय इन देशों में कागज़ उत्पादन का कोई स्थापित उद्योग मौजूद नहीं था।
  • लेकिन धीरे-धीरे स्थानीय उद्योग में गिरावट दर्ज होने लगी और स्वदेशी हस्तनिर्मित कागज़ का स्थान निम्नस्तरीय चीनी कागज़ ने ले लिया।

 

कागज़ उद्योग के पुनरुद्धार के प्रयास

  • मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ उद्योग के पुनरुद्धार का प्रयास वर्ष 1994 में किया गया था, लेकिन वह असफल रहा क्योंकि तवांग की विभिन्न भौगोलिक चुनौतियों के कारण यह बहुत ही कठिन कार्य था।
  • हस्तनिर्मित कागज़ के उच्च वाणिज्यिक मूल्य के कारण, इसका उपयोग अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय रोज़गार की दशा को सुधारने के लिये किया जा सकता है। यह विशिष्ट स्थानीय उत्पाद के रूप में प्रधानमंत्री के ‘स्थानीय से वैश्विक’ मंत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा साबित हो सकता है।
  • हस्तनिर्मित कागज़ के अलावा, तवांग को दो अन्य स्थानीय कलाओं के लिये भी जाना जाता है- हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तन और हस्तनिर्मित फर्नीचर, जो समय के साथ विलुप्त होते जा रहे हैं। के.वी.आई.सी. द्वारा छह महीने के अंदर इन दोनों स्थानीय कलाओं के पुनरुद्धार के लिये योजनाओं की शुरूआत की जाएगी। कुम्हार सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत प्राथमिकता के आधार पर हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तनों का पुनरुद्धार बहुत जल्द शुरू किया जाएगा।
  • मोनपा हस्तनिर्मित कागज़ यूनिट, स्थानीय युवाओं के लिये एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी कार्य करेगी। के.वी.आई.सी. देश के विभिन्न हिस्सों में इस प्रकार की अन्य इकाइयों की स्थापना भी करेगा।
  • ध्यातव्य है कि तवांग में अभिनव प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज़ का उत्पादन इस क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे में कमी लाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

 

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X