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राष्ट्रीय ई-विधान आवेदन

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 2 : शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस)

संदर्भ

हाल ही में, गुजरात के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई ‘ई-विधान प्रणाली’ (e-Vidhan System) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये उत्तर प्रदेश विधानसभा का दौरा किया। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश विधानसभा ने काग़जरहित कार्यवाही के लिये इस प्रणाली को अपनाया है।

राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन

  • राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (National e-Vidhan Application : NeVA) भारत के सभी राज्यों के विधायी निकायों और संसद को एकल प्लेटफार्म (Single Platform) के माध्यम से डिजिटलीकरण करने की एक प्रणाली है।
  • नेवा प्रणाली को विधायी निकायों से संबंधित सभी कार्यों और डाटा को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिये विकसित किया गया है। नेवा में एक वेबसाइट और एक मोबाइल ऐप शामिल है।
  • नेवा एन.आई.सी. क्लाउड- मेघराज पर तैनात एक कार्य-प्रवाह प्रणाली है जो सदन के अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने और सदन के विधायी कार्य को कागज रहित संचालित करने में मदद करती है।
  • संसदीय मामलें मंत्रालय राज्यों और केंद्रशासित प्रदशों में इसके कार्यान्वयन के लिये ‘नोडल मंत्रालय’ है।

राज्यों की स्थिति 

  • उत्तर प्रदेश भारत के उन चुनिंदा राज्य विधानसभाओं में से एक है जिसने डिजिटल प्रणाली को लागू किया है। नागालैंड इस वर्ष मार्च में नेवा को लागू करने वाला पहला राज्य बना।
  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार, संसद के दोनों सदनों और सभी राज्य विधान सभाओं एवं विधान परिषदों की कार्यवाही वर्ष 2023 तक एक मंच पर उपलब्ध होगी।

नेवा की आवश्यकता व महत्त्व

आवश्यकता

  • विभिन्न राज्य विधानसभाओं से संबंधित सूचनाओं को सुव्यवस्थित करने और कागज के उपयोग को खत्म करने में सहायक।
  • संसदीय प्रणाली को आवश्यक तकनीकी बढ़ावा देने और देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को जोड़ने में सहायक।
  • हाल के वर्षों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने में सरकार के प्रयासों के अनुरूप।
  • विदित है कि वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री ने 'एक राष्ट्र, एक विधायी मंच' का उल्लेख किया था। 

महत्त्व

  • कागज का प्रयोग समाप्त होने से वार्षिक स्तर पर लाखों पेड़ों एवं अत्यधिक पानी की बचत।
  • उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार ने पायलट परियोजना के रूप में डिजीटल प्रणाली को अपनाकर वर्ष भर में लगभग 6,000 पेड़ और लगभग 15 करोड़ रुपए की बचत की है।
  • विधानसभा के सदस्यों के साथ-साथ नागरिक भी इसका उपयोग कर सकते हैं। इस पर सदन की कार्यवाही, तारांकित व अतारांकित प्रश्न तथा उनके उत्तर, समिति की रिपोर्ट आदि उपलब्ध होंगी। 

अंतर्राष्ट्रीय स्थिति 

  • विदित है कि वर्ष 2021 में दुबई 100% पेपरलेस होने वाली दुनिया की पहली सरकार बन गई। इससे व्यय में 35 करोड़ डॉलर की कमी आएगी और 14 मिलियन मानव-घंटे की बचत भी होगी।
  • अमेरिकी सरकार ने वर्ष 2022 तक सभी सरकारी एजेंसियों में कागज का उपयोग बंद करने की घोषणा की है।

चुनौतियाँ

  • अंतर्राष्ट्रीय संसदीय संघ (भारत सहित 170 से अधिक संसदों के संगठन) ने इस संबंध में कुछ चुनौतियों को रेखांकित किया है-
    • विशेष रूप से ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों के लिये उपकरणों तथा इंटरनेट एवं बिजली की विश्वसनीय पहुंच का मुद्दा।
    • प्रशिक्षण की कमी एवं डिजिटल सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता।
    • अधिक आयु वाले सदस्यों में नई प्रणाली सीखने के प्रति अनिच्छा। 
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