New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

मानसून प्रतिरूप में परिवर्तन के संकेत

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ)

संदर्भ

  • वर्ष 2010 के उपरांत भारत में पहली बार लगातार तीन वर्षों से सितंबर माह में अतिरिक्त वर्षा रिकॉर्ड की गई है। 24 सितंबर, 2021 तक सितंबर माह में लगभग 19 सेमी. वर्षा हुई है, जबकि पूरे महीने के लिये सामान्य वर्षा 17 सेमी. है।
  • मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ये मानसून प्रतिरूप में परिवर्तन के संकेत हैं। फिर भी इस संबंध में यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि यह वैश्विक उष्मन का एक स्थायी परिणाम है।

वर्षा में अभिवृद्धि

  • आमतौर पर सितंबर ‘मानसून निवर्तन’ का माह होता है किंतु वर्ष 2019 और 2020 के मानसून महीनों (जून से सितंबर माह) में क्रमिक उछाल देखा गया है। वर्ष 2019 के सितंबर माह में 25 सेमी. या सामान्य से 152 प्रतिशत अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई थी।
  • इस परिप्रेक्ष्य में उक्त माह अगस्त (26 सेमी.) सामान्य वर्षा के करीब है, जो आमतौर पर मानसून के महीनों का दूसरा सबसे अधिक वर्षा वाला समय होता है।
  • वर्ष 1994 के पश्चात् वर्ष 2019 से भारत में सर्वाधिक मॉनसूनी वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। विगत वर्ष सितंबर माह में 17.7 सेमी. वर्षा रिकॉर्ड की गई थी, जो बहुत अधिक तो नहीं थी किंतु सामान्य से अधिक थी।
  • वर्ष 2013 से 2018 के मध्य, सितंबर 2014 को छोड़कर अन्य वर्षों में सामान्य से कम वर्षा हुई थी। सितंबर 2014 में सामान्य से 1 सेमी. अधिक या 18 सेमी. वर्षा रिकॉर्ड की गई थी।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2010-2012  के दौरान सितंबर में होने वाली अतिरिक्त वर्षा ने भी वर्षपर्यंत भारत की समग्र वर्षा में वृद्धि नहीं की थी।
  • वर्ष 2010 एवं 2011 में सामान्य से केवल 2 प्रतिशत अधिक मानसूनी वर्षा रिकॉर्ड की गई, इसके विपरीत जून और जुलाई में कम वर्षा के कारण वर्ष 2012 में मानसूनी वर्षा में कुल मिलाकर 7 प्रतिशत की कमी दर्ज़ की गई थी।

निवर्तन में देरी

  • इस वर्ष अगस्त माह में कम वर्षा के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा था कि सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण ‘मानसून’ भारत में सामान्य वर्षा (लगभग 96 प्रतिशत) के साथ समाप्त होगा।
  • आम तौर पर 1 सितंबर से मानसून का निवर्तन आरंभ हो जाता है तथा अक्तूबर तक यह प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त हो जाती है।
  • विगत वर्ष आई.एम.डी. ने मानसून निवर्तन को दर्शाने के लिये 17 सितंबर की तिथि निर्धारित की थी। वर्ष 2019 और 2020, दोनों वर्षों में मानसून का निवर्तन अक्तूबर माह में आरंभ हुआ था, इस वर्ष भी इसी प्रतिरूप की उम्मीद है।
  • मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक उष्मन के कारण नमी में वृद्धि हो रही है और यह वर्षा के वितरण को भी प्रभावित कर रहा है। इसका उदाहरण जुलाई और अगस्त माह में मानसून ब्रेक के रूप में देखने को मिलता है।
  • गौरतलब है कि जून और सितंबर माह में कम वर्षा होती है, इसलिये इन महीनों में थोड़ी सी भी वृद्धि बड़े प्रतिशत लाभ को दर्शाती है।
  • ‘सैद्धांतिक और अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान, 2018’ में केंद्रीय जल आयोग (CWC) के वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में मानसून प्रतिरूप में बदलाव का विश्लेषण किया गया था। 
  • उन्होंने ये निष्कर्ष निकाला कि गर्मियों में वर्षा की ‘मासिक परिवर्तनशीलता’ भारतीय भू-भाग पर निम्न दबाव के बदलते प्रतिरूप के साथ-साथ नमी के वितरण को भी प्रभावित कर रही है। 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR