संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार

  • 29th September, 2022

(प्रारंभिक परीक्षा के लिये – संयुक्त राष्ट्र संघ एवं उसके निकाय, जी-4, कॉफ़ी क्लब )
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र-2 - महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

चर्चा में क्यों

  • जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार के मुद्दे को एक बार फिर उठाया है।
  • ये देश सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि मौजूदा वैश्विक जरूरतों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
  • इन्होंने सुरक्षा परिषद को और अधिक वैध, प्रभावी व प्रतिनिधिक बनाने के लिए इसमें सुधार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद्

  • यह संयुक्त राष्ट्र की संरचना की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1945  में किया गया था।
  • इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है।
  • सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
  • यह मुख्य तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने हेतू उत्तरदायी है।
  • इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका , ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन) हैं, जिनके पास वीटो का अधिकार है।
  • सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य देशों के अतिरिक्त 10 अस्थायी सदस्य भी होते है जो क्षेत्रीय आधार के अनुसार दो साल की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा चुने जाते हैं, इन्हें वीटो का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
  • इसके स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनते है।
  • भारत 2021 से 2023 कि अवधि तक सुरक्षा परिषद् का अस्थाई सदस्य है।

जी-4

  • जापान, जर्मनी, ब्राजील और भारत इस समूह के सदस्य है।
  • ये देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाने की मांग करते हैं, तथा स्थायी सदस्यता के लिये एक-दूसरे का समर्थन भी करते हैं।
  • विधिसम्‍मत शासन और मानवाधिकारों के प्रति सम्‍मान तथा बहुपक्षवाद के प्रति वचनबद्धता सहित अन्‍य साझे राजनैतिक मूल्‍यों वाले लोकतांत्रिक देशों के रूप में जी-4 देशों का अंतर्राष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष उत्‍पन्‍न प्रमुख समसामयिक चुनौतियों के संबंध में साझा नजरिया है।

कॉफ़ी क्लब

  • इसमें पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, मिस्र, स्पेन, अर्जेंटीना, मैक्सिको और इटली जैसे 13 देश शामिल हैं।
  • यह देश सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के विस्तार का विरोध करते है तथा अस्थायी सदस्यता के विस्तार की मांग करते है।

आगे की राह

  • सुरक्षा परिषद को उभरती जटिलताओं तथा अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए स्‍थायी और अस्‍थायी सदस्‍यों की संख्‍या बढ़ानी होगी, तभी परिषद अपने कर्तव्‍यों का प्रभावी ढंग से निर्वाह कर सकेगी।
  • वैश्विक स्तर पर जटिल और उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिये भी लिए जरूरी है कि सुरक्षा परिषद जैसी संस्था को और अधिक समावेशी तथा कारगर बनाया जाये।
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