वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 2030 एजेंडा को अपनाते हुए मानवता के सामने खड़ी गरीबी, असमानता, भूख, स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए 17 SDG और 169 Targets प्रस्तुत किए। SDGs सर्वभौमिक (Universal) हैं—अर्थात विकसित, विकासशील और कम विकसित—सभी देशों पर समान रूप से लागू होते हैं।
इनका सिद्धांत है—“Leave No One Behind” (किसी को पीछे न छोड़ें)।

भारत का महत्व
भारत SDGs की वैश्विक सफलता में केंद्रीय भूमिका रखता है क्योंकि—
- विश्व की 17% जनसंख्या भारत में रहती है।
- विश्व के 11% गरीब भारत में हैं।
- पर्यावरणीय और विकास संबंधी वैश्विक लक्ष्यों पर भारत का प्रदर्शन वैश्विक औसत को प्रभावित करता है।
वैश्विक प्रगति: SDR 2025 विश्लेषण
शीर्ष प्रदर्शनकर्ता
- फिनलैंड (87)
- स्वीडन
- डेनमार्क
इन देशों का प्रदर्शन इसलिए श्रेष्ठ रहा क्योंकि इनके पास—
- मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा
- उच्च सामाजिक व्यय
- स्वच्छ ऊर्जा नीति
- सामाजिक सुरक्षा कवच
- डिजिटल शासन—आधारित मॉडल
वैश्विक चुनौतियाँ
- केवल 17% लक्ष्य 2030 तक पूरे होने की राह पर
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित अधिकांश लक्ष्य “off-track”
- COVID-19 ने 50% देशों में शिक्षा–स्वास्थ्य संकेतकों को पीछे धकेला
- संघर्ष zones (यूक्रेन–रूस, पश्चिम एशिया) ने वैश्विक प्रगति को धीमा किया
भारत की प्रगति: विस्तृत विश्लेषण
भारत का SDG Index Score (2025): 67/100
भारत की रैंक: 99वां स्थान
SDG 1: गरीबी उन्मूलन
प्रमुख उपलब्धि
- 2015–16 से 2019–21 के बीच 135 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर (MPI)।
- यह वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ गरीबी कमी दरों में से एक है।
कार्यक्रम जिन्हें श्रेय
- PMGKY, PM-Awas Yojana
- PM Ujjwala Yojana
- PMJDY – वित्तीय समावेशन
- MGNREGA – ग्रामीण सुरक्षा
विश्लेषण
भारत ने income poverty के साथ-साथ multidimensional poverty (स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन स्तर) को कम करने में गंभीर प्रगति की है।
SDG 2: जीरो हंगर
उपलब्धि
- कुपोषण दर: 13.7% (2021–23)
- बच्चों में स्टंटिंग, वेस्टिंग में कमी दर्ज।
योगदान
- PM-POSHAN (Mid-Day Meal)
- ICDS, POSHAN Abhiyan
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
आलोचनात्मक दृष्टिकोण
- भारत अब भी विश्व के कुपोषित बच्चों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।
- खान-पान की विविधता अभी भी चुनौतीपूर्ण।
SDG 3: अच्छा स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि
उपलब्धि
- मातृ मृत्यु दर 130 → 80.5
- शिशु मृत्यु दर में लगातार गिरावट
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धि
प्रमुख योजनाएँ
- आयुष्मान भारत: 55 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा
- Mission Indradhanush: टीकाकरण में बढ़ोतरी
- PM-Ayushman Bharat Health Infra Mission (PM-ABHIM)
चुनौतियाँ
- ग्रामीण-शहरी स्वास्थ्य सुविधा में अंतर
- डॉक्टर/नर्स प्रति हजार जनसंख्या का कम अनुपात
- स्वास्थ्य पर सरकार का खर्च अभी भी कम (~3% GDP लक्ष्य से दूर)
SDG 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
उपलब्धि
- प्राथमिक नामांकन दर: 99.9%
- स्कूली शिक्षा में Gender Parity Index बेहतर
डिजिटल प्रगति
- DIKSHA, SWAYAM
- PM e-Vidya
- NATIONAL DIGITAL EDUCATION ARCHITECTURE (NDEAR)
चुनौतियाँ
- Learning Outcomes में गिरावट (ASER 2023)
- डिजिटल divide (गांव बनाम शहर)
SDG 5: लैंगिक समानता
उपलब्धि
- आधुनिक विधियों से संतुष्ट परिवार नियोजन की मांग: 77.5% (2024)
- महिला साक्षरता और कार्यबल में भागीदारी बढ़ी
चुनौतियाँ
- महिला श्रम भागीदारी अब भी केवल ~30–32%
- लैंगिक हिंसा के मामले उच्च
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व (हालांकि महिला आरक्षण कानून 2023 महत्वपूर्ण कदम)
SDG 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता
उपलब्धि
- जल जीवन मिशन के तहत 15+ करोड़ परिवारों को नल-जल
- शौचालय कवरेज 100% के करीब
- स्वच्छ भारत मिशन से ग्रामीण स्वच्छता में सुधार
चुनौतियाँ
- जल की गुणवत्ता—fluoride, arsenic
- भूजल-अपक्षय
- अपशिष्ट जल प्रबंधन का कमजोर ढांचा
SDG 7: किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा
उपलब्धि
- 99.2% आबादी को बिजली (2022)
- सौर ऊर्जा क्षमता: विश्व में टॉप-5 देश
- दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल पार्क: गुजरात
चुनौतियाँ
- ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही
- बैटरी भंडारण और ग्रिड स्थिरता का अभाव
SDG 9: उद्योग, नवाचार और अवसंरचना
उपलब्धि
- 88.6 करोड़ सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता (2024)
- UPI—दुनिया का सबसे विकसित डिजिटल भुगतान तंत्र
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता
चुनौतियाँ
- MSME सेक्टर की ऋण पहुँच सीमित
- R&D पर खर्च ~0.7% GDP (चीन में ~2%, कोरिया में ~4%)
SDG 10–17 (संक्षिप्त विश्लेषण)
SDG 10: असमानता में कमी
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से असमानता कम हुई
- परंतु धन असमानता अभी भी बढ़ रही
SDG 11: सतत शहर
- स्मार्ट सिटी मिशन—100 शहरों में सुधार
- परंतु शहरी भीड़, कचरा प्रबंधन, वायु प्रदूषण गंभीर चुनौतियाँ
SDG 12–13: जलवायु कार्रवाई
- भारत के NDC लक्ष्य वैश्विक मंच पर प्रशंसनीय
- परंतु प्रदूषण, जल संकट, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ रहे
SDG 14–15: जीवन जल/स्थल पर
- वन क्षेत्र में सुधार
- बाघों की संख्या बढ़कर 3167
- परंतु जैव-विविधता क्षरण गंभीर
SDG 16: मजबूत संस्थाएँ
- डिजिटल शासन, पारदर्शिता में वृद्धि
- परंतु न्यायिक लंबित मामलों में तेजी नहीं
SDG 17: वैश्विक साझेदारी
- वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ के रूप में भारत की भूमिका बढ़ी
- G20 अध्यक्षता में One Earth, One Family, One Future दृष्टिकोण
SDGs हासिल करने में भारत की चुनौतियाँ
1. डेटा-गैप
- कई राज्यों/जिलों में अद्यतन डेटा का अभाव
- वास्तविक समय निगरानी प्रणाली कमजोर
2. वित्तीय संसाधनों की कमी
- SDG हासिल करने के लिए भारत को लगभग $2.4 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता
- निजी निवेश आकर्षित करने में कठिनाई
3. संस्थागत क्षमता
- राज्य–केंद्र समन्वय कमजोर
- स्थानीय निकायों की क्षमता सीमित
4. क्षेत्रीय असमानता
- BIMARU क्षेत्रों में स्वास्थ्य–शिक्षा–पोषण अभी भी कमजोर
- दक्षिण व पूर्वोत्तर राज्यों का प्रदर्शन श्रेष्ठ
5. पर्यावरणीय दबाव
- विश्व का तीसरा सबसे बड़ा CO₂ उत्सर्जक
- शहरी प्रदूषण—दिल्ली, वाराणसी आदि गंभीर हॉटस्पॉट
6. वर्तमान वैश्विक संकट
- ऊर्जा–खाद्य कीमतों में वृद्धि
- geopolitical instability
- महामारी का दीर्घकालिक प्रभाव
आगे की राह — भारत के लिए रणनीति
1. डेटा-सुधार
- राष्ट्रीय SDG डेटा ग्रिड
- जिला स्तरीय SDG डैशबोर्ड
- AI आधारित निगरानी
2. वित्तीय नवाचार
- ग्रीन बॉन्ड, SDG बॉन्ड
- DFI (Development Finance Institutions) को सशक्त करना
- PPP मॉडल को बढ़ावा
3. शासन सुधार
- केंद्र–राज्य–स्थानीय समन्वय
- SDG-लिंक्ड बजटिंग
- Outcome-based governance
4. हितधारक सहभागिता
- निजी क्षेत्र: ESG आधारित निवेश
- नागरिक समाज
- युवा एवं स्टार्टअप—Green Tech, Agri Tech
5. स्थिरता का एकीकरण
- Renewable energy
- Climate-resilient agriculture
- Circular economy
- जल प्रबंधन एवं भूजल पुनर्भरण
निष्कर्ष
भारत ने SDGs को अपनाने के पिछले दस वर्षों में—
- गरीबी उन्मूलन,
- स्वास्थ्य,
- शिक्षा,
- स्वच्छ ऊर्जा,
- डिजिटल अवसंरचना,
- सामाजिक-आर्थिक समावेशन
जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रशंसनीय प्रगति की है।
भारत का प्रदर्शन वैश्विक औसत से बेहतर है, परंतु—
- क्षेत्रीय असमानताएँ,
- पर्यावरणीय दबाव,
- वित्तीय सीमाएँ,
- संस्थागत क्षमता—
इन सब क्षेत्रों में सुधार आवश्यक है।
यदि भारत सहकारी संघवाद + वित्तीय नवाचार + पर्यावरणीय स्थिरता + डेटा-आधारित शासन को सशक्त करता है, तो न केवल 2030 तक अधिकांश SDG प्राप्त कर सकता है बल्कि विश्व के लिए विकास का एक नया मॉडल भी प्रस्तुत कर सकता है।