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सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।)

चर्चा में क्यों

31 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के एकता नगर स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही उन्होंने सरदार पटेल की स्मृति में विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में देशभर में मनाया गया।

सरदार वल्लभभाई पटेल : जीवन परिचय

परिचय

  • जीवनकाल: 31 अक्टूबर 1875 – 15 दिसंबर 1950
  • वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी, प्रथम उप-प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री थे। 
  • उन्हें "भारत का लौह पुरुष" (Iron Man of India) और "भारतीय एकता का शिल्पी" कहा जाता है। 

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 31 अक्टूबर 1875, नडियाद (खेड़ा जिला), गुजरात
  • पिता: झवेरभाई पटेल (किसान और स्वतंत्रता सेनानी)
  • माता: लाडबा देवी
  • परिवार: चार भाइयों में तीसरे, बड़े भाई विठ्ठलभाई पटेल (1924 में प्रथम भारतीय विधानसभा अध्यक्ष बने)
  • बचपन से ही वल्लभभाई स्वाभिमानी, साहसी और महत्वाकांक्षी थे। स्कूल में वे मेधावी थे, पर आर्थिक तंगी के कारण स्व-अध्ययन से वकालत की तैयारी की। 
  • 36 वर्ष की आयु में इंग्लैंड जाकर बैरिस्टरी की डिग्री प्राप्त की (1913)।

करियर की शुरुआत

  • भारत लौटकर अहमदाबाद में वकालत प्रारंभ की।
  • शीघ्र ही गुजरात के सफलतम वकीलों में शुमार हुए।
  • गुजरात क्लब के सक्रिय सदस्य थे, जहाँ वे महात्मा गांधी से मिले और प्रभावित हुए।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

  • 1917 : चंपारण सत्याग्रह; गांधी जी का साथ दिया
  • 1918 : खेड़ा सत्याग्रह; किसानों का नेतृत्व, ब्रिटिश से कर माफी करवाई
  • 1928 : बारदोली सत्याग्रह; महिलाओं सहित किसानों का नेतृत्व, "सरदार" की उपाधि मिली
  • 1930 : नमक सत्याग्रह; गिरफ्तारी, जेल
  • 1931 : कांग्रेस के कराची अधिवेशन के अध्यक्ष।
  • 1942 : भारत छोड़ो आंदोलन; प्रमुख नेता, लंबी जेल
  • कई बार जेल यात्राएँ (कुल 3 वर्ष से अधिक)।

स्वतंत्र भारत में योगदान

  • रियासतों का विलय (1947-49)
    • 562 रियासतें भारत में विलय।
    • हैदराबाद (ऑपरेशन पोलो), जूनागढ़, कश्मीर आदि जटिल मामले सुलझाए।
    • "राजनीतिक एकीकरण" की नीति: समझौता, दबाव और सैन्य कार्रवाई का संतुलित प्रयोग।
  • प्रशासनिक सुधार
    • भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नींव रखी।
    • अखिल भारतीय सेवाएँ शुरू कीं।
    • पुलिस सुधार और आंतरिक सुरक्षा मजबूत की।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • भारत रत्न (1991, मरणोपरांत)
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा (182 मीटर), केवड़िया, गुजरात
  • राष्ट्रीय एकता दिवस : 31 अक्टूबर को मनाया जाता है

व्यक्तित्व विशेषताएँ

  • दृढ़ संकल्प: "नहीं" सुनना पसंद नहीं करते थे।
  • व्यावहारिक दृष्टिकोण: गांधीजी के आदर्शवाद के पूरक यथार्थवादी।
  • सरल जीवन: वकालत के बावजूद सादगीपूर्ण जीवन।
  • राष्ट्रीयता: "भारत माता की सेवा ही मेरा धर्म"।

अंतिम दिनों में

  • वर्ष 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद गहरी पीड़ा।
  • 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हृदयाघात से निधन।
  • अंतिम शब्द: "भारत माता की जय"

विरासत

"सरदार पटेल ने भारत को एक सूत्र में पिरोया। यदि वे न होते, तो भारत का नक्शा आज अलग होता।" - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • एकता का प्रतीक: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
  • प्रेरणा स्रोत: युवाओं, प्रशासकों और नेताओं के लिए
  • राष्ट्रीय एकता दिवस: हर वर्ष 31 अक्टूबर को 'रन फॉर यूनिटी'

उपसंहार

सरदार वल्लभभाई पटेल न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक दूरदर्शी राष्ट्र निर्माता भी थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत की नींव को मजबूत किया। उनकी 150वीं जयंती पर उन्हें याद करना भारत की एकता, अखंडता और आत्मनिर्भरता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करता है।

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