(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
21 मई, 2025 को गुजरात सरकार ने 16वीं एशियाई शेर गणना के आंकड़ें जारी किए।
गणना के प्रमुख निष्कर्ष
- गुजरात में एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या पिछली गणना (2020) की तुलना में 674 से बढ़कर 891 हो गई है जो 32% की वृद्धि दर्शाता है। गुजरात का गिर वन दुनिया में इस प्रजाति का अंतिम निवास स्थान हैं जिसे वर्ष 1965 में अभयारण्य घोषित किया गया।
- गणना के अनुसार वयस्क नर की संख्या वयस्क मादा से कम है जो भविष्य में और वृद्धि को दर्शाता है।
- गुजरात के राज्य वन विभाग द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष में एशियाई शेरों की गणना की जाती है। हालिया गणना 10 से 13 मई तक दो चरणों में आयोजित की गई, जिसमें सौराष्ट्र क्षेत्र के 11 जिलों के 35,000 वर्ग किमी. क्षेत्र को कवर किया गया।
- वर्ष 2020 के आंकड़े की तुलना में कवर किए गए क्षेत्र में 16.67% की वृद्धि हुई है।
- यह आकलन प्रत्यक्ष बीट सत्यापन पद्धति का उपयोग करके किया गया। गुजरात सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पहली शेर गणना 1936 में जूनागढ़ के नवाब द्वारा कराई गई थी।
- नवीनतम सर्वेक्षण में गुजरात के अधिक भागों में इन शेरों के विस्तार की प्रवृत्ति देखी गई है। मुख्य संरक्षित क्षेत्र के अंदर की अपेक्षा बाहर शेर की संख्या अधिक है। इससे मानव बस्तियों से निकटता में वृद्धि व परिणामस्वरूप संघर्ष की संभावना है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, शेर द्वारा पशुधन पर हमले की रिपोर्ट करने वाले गांवों की संख्या में प्रतिवर्ष 10% की वृद्धि हुई है तथा प्रति गांव मारे गए पशुधन की संख्या में प्रतिवर्ष 15% की वृद्धि हुई है।

एशियाई शेर (Asiatic Lion) के बारे में
- परिचय : यह शेर की एक दुर्लभ उप-प्रजाति है जो मुख्यतः भारत के गुजरात राज्य के गिर राष्ट्रीय उद्यान और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है। इसे ‘गिर का शेर’ और ‘भारतीय शेर’ भी कहते हैं।
- विश्व में शेर की केवल दो प्रजातियाँ ‘अफ्रीकी शेर’ एवं ‘एशियाई शेर’ पायी जाती हैं।
- वैज्ञानिक नाम : पैंथेरा लियो पेर्सिका (Panthera leo persica)
- वंश (Genus) : पैंथेरा (Panthera)
- कुल (Family) : फेलिडे (Felidae)
- आवास : गुजरात में गिर वन एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास है।
- गिर में शेरों के लिए पर्याप्त शिकार आधार है जिससे इनकी आबादी बढ़ रही है।
- गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित गिर संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में गिर राष्ट्रीय पार्क, गिर अभ्यारण्य, पानिया अभ्यारण्य, मितियाला अभ्यारण्य के आसपास का आरक्षित वन, संरक्षित वन व अवर्गीकृत वन शामिल हैं।
- एशियाई शेरों का विस्तार बरदा वन्यजीव अभयारण्य (पोरबंदर), जेतपुर एवं आसपास के क्षेत्र तथा बाबरा-जसदन व आसपास के क्षेत्र में हो गया है।
- संरक्षण स्थिति :
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट : लुप्तप्राय (EN)
- वर्ष 2008 में एशियाई शेर की स्थिति को अति संकटग्रस्त (CR) से बदलकर लुप्तप्राय (EN) किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय लुप्तप्राय वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजाति व्यापार अभिसमय (CITES) : परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 : अनुसूची I
- एशियाई शेर कभी ईरान से पूर्वी भारत के पलामू तक पाए जाते थे। हालाँकि, 1890 दशक के अंत में गुजरात के गिर वनों में शेरों की संख्या 50 से भी कम रह गई थी।
- प्रोजेक्ट लायन का क्रियान्वयन गुजरात राज्य सरकार और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण जैसे अन्य हितधारकों द्वारा किया जा रहा है।
- मार्च 2025 में ‘प्रोजेक्ट लायन’ के लिए लगभग 2,927.71 करोड़ रुपए मंजूर किए गए, जिसमें गुजरात के जूनागढ़ जिले में वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र (NRC-W) की स्थापना भी शामिल है।
एशियाई शेर एवं अफ्रीकी शेर में अंतर
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विशेषता
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एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पेर्सिका)
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अफ़्रीकी शेर (पैंथेरा लियो मेलानोचैटा)
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आकार
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थोड़ा छोटा
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प्राय: बड़ा
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अयाल
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छोटे एवं अल्प विकसित अयाल
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बड़े एवं घने अयाल
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समाजिक व्यवहार
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नर झुंड के साथ रहते हैं
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नर प्रजनन या शिकार के अलावा झुंड में नहीं रहते हैं
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प्राकृतिक अवास
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शुष्क पर्णपाती वन (केवल भारत)
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सवाना, झाड़ीदार भूमि, रेगिस्तान
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वितरण
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गिर, गुजरात के लिए विशेष
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उप-सहारा अफ्रीका में व्यापक रूप से
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IUCN स्थिति
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लुप्तप्राय
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संवेदनशील
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CITES
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परिशिष्ट I
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परिशिष्ट II
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प्रमुख खतरे
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अंतःप्रजनन, रोग, आवास क्षति, मानव संघर्ष
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शिकार, आवास की क्षति, संघर्ष
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