New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ: प्रभाव एवं चुनौतियां

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई, 2025 को घोषणा की कि भारत से आयात पर 1 अगस्त, 2025 से 25% टैरिफ के साथ-साथ अतिरिक्त दंड (पेनल्टी) लगाया जाएगा। हालाँकि, इसे सात दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। 

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध

  • भारत व अमेरिका के बीच वर्ष 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 129.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें भारत का निर्यात 87 अरब डॉलर था। 
  • हालाँकि, अमेरिका का भारत के साथ 45.7 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है जिस मुद्दे को ट्रंप ने बार-बार उठाया है।
  • अप्रैल 2025 में ट्रंप ने 27% ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ की घोषणा की थी, जिसे 90 दिनों के लिए निलंबित किया गया और फिर 1 अगस्त तक बढ़ाया गया।

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बारे में 

  • नई टैरिफ दर : 25% आयात शुल्क + अतिरिक्त दंड एक अगस्त से लागू।
  • अतिरिक्त दंड : रूस से तेल एवं सैन्य खरीद के लिए अज्ञात दंड की घोषणा की गई, जिसके विवरण का इंतजार है। यह दंड ब्रिक्स (BRICS) देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ या रूसी तेल खरीदने वालों पर 100% सेकेंडरी टैरिफ से संबंधित हो सकता है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति के आरोप
    • भारत के आयात शुल्क बहुत अधिक हैं।
    • भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार में ‘अत्यधिक एवं आपत्तिजनक’ गैर-मौद्रिक प्रतिबंध लगाए हैं।
    • भारत द्वारा रूस से ऊर्जा एवं हथियार की खरीद अमेरिका के अनुसार यूक्रेन युद्ध के समय अनुचित है।
  • अन्य देशों के साथ तुलना : जापान एवं यूरोपीय संघ को 15%, इंडोनेशिया व फिलीपींस को 19% तथा वियतनाम को 20% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जबकि भारत का 25% टैरिफ अपेक्षाकृत कठोर है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान पर भी 19% टैरिफ ही लगाया गया है।

भारत की प्रतिक्रिया

  • वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने ट्रंप की घोषणा के प्रभावों का अध्ययन करने और ‘राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा’ के लिए सभी कदम उठाने की बात कही है। 
  • भारत एक निष्पक्ष, संतुलित एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के लिए प्रतिबद्ध है। 
  • भारत ने रूस से तेल खरीद को राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक बताया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अनुसार भारत वहाँ से तेल खरीदेगा जहाँ कीमतें सबसे अच्छी (कम) हों।
  • भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर वार्ताएँ जारी हैं।
  • सरकार ने कहा है कि वह किसानों, MSME एवं उद्यमियों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी।
  • भारत हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के साथ भी व्यापक व्यापार समझौता कर चुका है।

भारत पर संभावित प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव : अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि टैरिफ से भारत की GDP वृद्धि 2025-26 में 0.2-0.5% तक कम हो सकती है। यह प्रभाव श्रम-गहन क्षेत्रों (रत्न-आभूषण, वस्त्र, ऑटो पार्ट्स, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स) में सर्वधिक होगा।
  • निर्यात पर प्रभाव : भारत का अमेरिका को निर्यात (2024 में 87 अरब डॉलर) प्रभावित होगा। प्रभावित क्षेत्रों में ऑटो पार्ट्स, रत्न-आभूषण, स्टील एवं वस्त्र शामिल हैं जबकि फार्मास्यूटिकल्स व सेमीकंडक्टर्स को छूट दी गई है।
  • लागत में वृद्धि : भारतीय वस्तुओं की कीमत में 25% की वृद्धि से अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया (19%) और वियतनाम (20%) की तुलना में भारतीय वस्तुएँ महंगी होंगी।
  • MSME पर प्रभाव : महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु एवं कर्नाटक के निर्यात केंद्रों और MSME पर मार्जिन दबाव बढ़ेगा।
  • उपभोक्ता प्रभाव : अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारतीय वस्तुओं (जैसे- वस्त्र, आभूषण, मशीनरी) की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, जो अंततः लागत को बढ़ाएगा।

चुनौतियाँ

  • प्रतिस्पर्धात्मकता का नुकसान : भारत के निर्यात अन्य एशियाई देशों (जैसे- वियतनाम, इंडोनेशिया) की तुलना में महंगे होंगे, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है।
  • भू-राजनीतिक दबाव : रूस के साथ भारत के रक्षा एवं ऊर्जा संबंधों पर अमेरिकी आपत्ति भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देती है। BRICS और रूसी तेल खरीद पर अतिरिक्त दंड से स्थिति जटिल हो सकती है।
  • कृषि और डेयरी क्षेत्र : अमेरिका द्वारा भारत के कृषि एवं डेयरी बाजारों को खोलने की मांग की जा रही है, जो भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों को खोलने से स्थानीय किसानों और छोटे उद्यमियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • आर्थिक अनिश्चितता : अज्ञात दंड और वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका से निवेश व निर्यात योजनाओं में अनिश्चितता बढ़ेगी।
  • राजनीतिक दबाव : विपक्ष ने इसे सरकार की नीतिगत विफलता बताया है, जिससे सरकार पर घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा।

आगे की राह

  • द्विपक्षीय वार्ता : भारत को अमेरिका के साथ बातचीत तेज करनी चाहिए ताकि एक संतुलित व्यापार समझौता हो सके। विशेष रूप से, कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षित रखते हुए अन्य क्षेत्रों में रियायतें दी जा सकती हैं।
  • वैकल्पिक बाजार : भारत को यूरोपीय संघ, जापान एवं आसियान (ASEAN) देशों जैसे वैकल्पिक निर्यात बाजारों पर ध्यान देना चाहिए ताकि अमेरिका पर निर्भरता कम हो।
  • घरेलू सुधार : भारत को अपनी टैरिफ संरचना और गैर-टैरिफ अवरोधों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि वह वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बना रहे। साथ ही, MSME एवं निर्यात-उन्मुख उद्योगों के लिए प्रोत्साहन बढ़ाने चाहिए।
  • रणनीतिक स्वायत्तता : भारत को रूस के साथ अपने ऊर्जा और रक्षा संबंधों को बनाए रखते हुए अमेरिका के साथ कूटनीतिक संतुलन बनाना होगा। BRICS और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करना चाहिए।
  • आर्थिक सहायता : प्रभावित क्षेत्रों, विशेष रूप से MSME और श्रम-गहन उद्योगों, के लिए सब्सिडी, कर राहत, और वित्तीय सहायता पैकेज शुरू किए जाने चाहिए।
  • वैश्विक सहयोग : भारत को G20 एवं विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे मंचों पर वैश्विक व्यापार नियमों की वकालत करनी चाहिए ताकि संरक्षणवाद के प्रभाव को कम किया जा सके।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR