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चौथा सेमीकॉन इंडिया 2025

चर्चा में क्यों ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के यशोभूमि में सेमीकॉन इंडिया 2025 (चौथा संस्करण) का उद्घाटन किया।  

प्रमुख बिन्दु:

  • यह तीन दिवसीय सम्मेलन भारत में एक मज़बूत, लचीला और टिकाऊ सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है। 
  • सम्मेलन में स्मार्ट विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नवाचार, निवेश के अवसर और राज्य-स्तरीय नीति कार्यान्वयन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी।  

प्रतिभागिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

  • इस आयोजन में 48 से अधिक देशों से लगभग 2,500 प्रतिनिधियों सहित कुल 20,000 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। 
  • इसमें छह देशों की गोलमेज चर्चाएँ, देश-स्तरीय मंडप, कार्यबल विकास के लिए विशेष मंच और स्टार्टअप समर्पित मंडप भी आकर्षण का हिस्सा हैं।

प्रमुख आकर्षण

  • कार्यक्रम में डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के अंतर्गत पहलों को प्रदर्शित किया जा रहा है। 
  • साथ ही, स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने और भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र के भविष्य के रोडमैप पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जाएगा।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

  • दुनियाभर में आयोजित होने वाले सेमीकॉन सम्मेलनों का उद्देश्य सेमीकंडक्टर क्षेत्र में तकनीकी प्रगति की पहुँच को अधिकतम करना और विभिन्न देशों की नीतियों के माध्यम से अपने-अपने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को सशक्त बनाना है।

सेमीकंडक्टर क्या हैं ?

  • सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता  चालक  और अचालक के बीच होती है।
  • सामान्य तापमान पर ये सीमित मात्रा में विद्युत धारा का संचालन करते हैं।
  • अत्यधिक तापमान या अशुद्धियों (Doping) के प्रभाव से इनकी चालकता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
  • इन्हीं गुणों के कारण सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक युग की रीढ़ माने जाते हैं।
  • सेमीकंडक्टर के प्रमुख उदाहरण:
    • सिलिकॉन – सबसे अधिक प्रयोग होने वाला सेमीकंडक्टर
    • जर्मेनियम
    • गैलियम आर्सेनाइड – हाई-स्पीड और रेडियो फ्रीक्वेंसी उपकरणों में उपयोगी

सेमीकंडक्टर का उपयोग:

सेमीकंडक्टर का उपयोग आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:

  • ट्रांजिस्टर (Transistor):
    • डिजिटल सर्किट और माइक्रोप्रोसेसर का मूलभूत घटक
    • सिग्नल को बढ़ाने और स्विचिंग कार्यों में प्रयुक्त
  • डायोड (Diode):
    • विद्युत धारा को केवल एक दिशा में प्रवाहित करने के लिए
    • LED और सोलर सेल में उपयोग
  • इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs):
    • हजारों-लाखों ट्रांजिस्टर और अन्य घटक एक छोटी चिप पर एकीकृत
    • कंप्यूटर, स्मार्टफोन और सभी डिजिटल डिवाइसों की बुनियाद
  • कंप्यूटर चिप्स:
    • प्रोसेसर, मेमोरी, ग्राफिक्स कार्ड आदि में
  • उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स:
    • मोबाइल फ़ोन, टेलीविज़न, LED लाइट, वाशिंग मशीन आदि में

सेमीकंडक्टर उत्पादन में भारत की प्रगति के कारण

  सरकारी पहल:

  1. इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM):
    • यह मिशन भारत सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2021 में शुरू किया गया।
    • इस मिशन के तहत ₹76,000 करोड़ का वित्तीय पैकेज आवंटित किया गया है, जिससे देश में चिप निर्माण के लिए आवश्यक इकोसिस्टम विकसित हो सके।
    • इसमें फैब्रिकेशन यूनिट्स (fabs), डिजाइन इनोवेशन, अनुसंधान संस्थान और बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  2. Semicon India Programme:
    • यह कार्यक्रम डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के हर स्तर पर सहायता प्रदान करता है।
    • इसके अंतर्गत चिप डिजाइन कंपनियों को डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव्स (DLI) मिलते हैं, जिससे स्टार्टअप और MSMEs को तकनीकी विकास में मदद मिलती है।
    • यह कार्यक्रम विनिर्माण (fabrication), ATMP (Assembly, Testing, Marking, Packaging) और आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने पर केंद्रित है।
  3. ICET (Initiative on Critical and Emerging Technologies):
    • यह पहल भारत और अमेरिका के बीच उच्च-तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 2023 में शुरू हुई।
    • इसके तहत सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, 5G/6G और रक्षा-तकनीकी क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी स्थापित की गई है।
    • ICET के माध्यम से अमेरिका की उन्नत तकनीक और भारत के तकनीकी मानव संसाधन का संयोजन, सेमीकंडक्टर निर्माण को गति देता है।

  निजी भागीदारी और निवेश:

  • फॉक्सकॉन और HCL का संयुक्त उद्यम स्थापित।
  • मई 2025 में सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दी।
  • इसमें डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स बनाए जाएंगे, जो मोबाइल, लैपटॉप, कार आदि में प्रयोग होते हैं।
  • यहाँ 3.6 करोड़ चिप्स प्रति माह तैयार की जाएंगी।

अन्य उपलब्धियाँ:

  • भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन 2025 में शुरू हुआ।
  • 5 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स निर्माणाधीन हैं।
  • देश के कई राज्यों में विश्व-स्तरीय सेमीकंडक्टर डिजाइन सुविधाएं विकसित की जा चुकी हैं।
  • 270 शैक्षणिक संस्थान और 70 स्टार्टअप इस क्षेत्र में अनुसंधान और डिज़ाइन पर कार्यरत हैं।

 भारत को मिलने वाले रणनीतिक लाभ

  • भारत के पास विशाल घरेलू उपभोक्ता बाजार है — मोबाइल, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल आदि में भारी मांग।
  • सरकार की नीतिगत सहायता और सब्सिडी से उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है।
  • वैश्विक साझेदारी – अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों के साथ तकनीकी सहयोग।
  • भारत में एक विशाल तकनीकी मानव संसाधन उपलब्ध है, जो डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक मदद करता है।

प्रश्न. सेमीकॉन इंडिया 2025 का आयोजन कहाँ किया जा रहा है ?

(a) बेंगलुरु

(b) हैदराबाद

(c) नई दिल्ली

(d) पुणे

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