(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।) |
चर्चा में क्यों
भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित पहली बहु-चरणीय मलेरिया वैक्सीन ‘एडफाल्सीवैक्स’ के निर्माण और व्यावसायीकरण के लिए उद्योग भागीदारों को शामिल करने हेतु लाइसेंस जारी किए हैं। इसका उद्देश्य रोग के बोझ को कम करना और टीका आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है।
लाइसेंस प्राप्तकर्ता समूह/संस्थान
- इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड
- टेकइनवेंशन लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड
- पैनेशिया बायोटेक लिमिटेड
- बायोलॉजिकल ई लिमिटेड
- ज़ाइडस लाइफसाइंसेज
एडफाल्सीवैक्स के बारे में
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और उसके सहयोगियों द्वारा विकसित।
- यह मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों को लक्षित करती है, जिससे एकल-चरणीय टीकों की तुलना में इसकी प्रभावशीलता में सुधार होता है।
- इसे विशेष रूप से मलेरिया के लिए उत्तरदायी सबसे घातक परजीवियों, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लास्मोडियम विवैक्स के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह वैक्सीन परजीवी को रक्तप्रवाह में प्रवेश करने से पहले ही मार देती है, जिससे संक्रमण को रोका जा सकता है।
- यह एक किफायती, स्थिर व मापनीय समाधान है और कमरे के तापमान पर 9+ महीनों तक प्रभावी रहता है।
भारत में मलेरिया की स्थिति
- मलेरिया भारत में प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बना हुआ है। भारत वैश्विक मलेरिया मामलों के 1.4%, वैश्विक मलेरिया से होने वाली मौतों के 0.9% और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के 66% मामले के लिए उत्तरदायी है।
- भारत की लगभग 95% आबादी मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में निवास करती है और देश में मलेरिया के 80% मामले आदिवासी, पहाड़ी, कठिन और दुर्गम क्षेत्रों तक सीमित हैं।
वैक्सीन का महत्त्व
- जन स्वास्थ्य: मलेरिया भारत में, विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में, रुग्णता का एक प्रमुख कारण बना हुआ है।
- आत्मनिर्भरता पर बल : RTS,S/AS01 (मॉस्क्वीरिक्स) जैसे वैश्विक टीकों पर भारत की निर्भरता को कम करता है।
- वैश्विक दक्षिण नेतृत्व: अफ्रीका और एशिया के लिए मलेरिया के किफायती समाधानों में भारत को एक योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
उद्योग भागीदारों की भूमिका
- बड़े पैमाने पर उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुगम बनाना।
- किफायती लागत पर वैक्सीन की व्यावसायिक रोलआउट को सक्षम बनाना।
- अनुसंधान संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के के अंतराल को पाटना।
चुनौतियाँ
- नियामक अनुमोदन और बड़े पैमाने पर नैदानिक परीक्षण की आवश्यकता।
- दूरस्थ क्षेत्रों में सामर्थ्य और पहुँच सुनिश्चित करना।
- परजीवी प्रतिरोध और रोगवाहक अनुकूलन पर नियंत्रण पाना।