(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव) |
संदर्भ
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एवं नई तकनीकों ने युद्ध की प्रकृति को बदल दिया है। भारत, चीन, अमेरिका जैसे देश AI आधारित युद्ध प्रणालियों में निवेश कर रहे हैं, जिससे रक्षा व सुरक्षा नीतियों पर प्रभाव पड़ रहा है।
AI आधारित युद्धक्षेत्र के बारे में
- परिभाषा : AI आधारित युद्ध वह तकनीक है जिसमें मशीनें स्वचालित रूप से डाटा विश्लेषण, निर्णय लेने एवं लक्ष्य चुनने जैसे कार्य करती हैं।
- उदाहरण :
- स्वायत्त हथियार प्रणाली (Autonomous Weapon Systems: AWS): बिना मानवीय हस्तक्षेप के लक्ष्य चुनकर हमला कर सकने वाले ड्रोन या रोबोट
- साइबर सुरक्षा: साइबर हमलों को रोकने और दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने में AI का उपयोग
- खुफिया जानकारी: डाटा विश्लेषण (Big Data Analysis) और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स (Predictive Analytics) से प्रतिद्वंदी की चाल की भविष्यवाणी
- वैश्विक उदाहरण:
- यूक्रेन ने AI आधारित ड्रोन का उपयोग रूसी रिफाइनरियों पर हमले के लिए किया।
- इज़राइल ने गाजा संघर्ष में ‘लैवेंडर’ AI सिस्टम से हमास के 37,000 लक्ष्यों की पहचान की, जिसे पहला ‘AI युद्ध’ कहा गया।
- भारत में स्थिति:
- भारत ने वर्ष 1986 में DRDO के तहत सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) की स्थापना की थी किंतु चीन व पाकिस्तान की प्रगति एक चुनौती बनी हुई है।
- भारत का CAIR ऑटोमेटिक तकनीकों (जैसे- लक्ष्य पहचान, पथ नियोजन) पर काम कर रहा है किंतु प्रगति धीमी है।
एजेंटिक युग के बारे में
- क्या है : इस युग में AI एजेंट्स (ऑटोमेटिक इंटेलिजेंस सिस्टम) स्वतंत्र रूप से कई कार्य करते हैं, जैसे- डाटा विश्लेषण, निर्णय लेना और रणनीति बनाना।
- विशेषताएँ :
- स्वचालित निर्णय : AI एजेंट्स सेंसर, हथियार एवं मानवीय निर्णय निर्माताओं को जोड़कर तेजी से रणनीतिक कदम उठाते हैं।
- उदाहरण: सैन्य नियोजन में AI एजेंट्स डाटा का विश्लेषण करके तुरंत युद्ध रणनीति सुझाते हैं, जिससे मानव से पहले ही लाभ मिलता है।
- महत्त्व : AI एजेंट्स को बेहतर उपयोग करने वाले देश 21वीं सदी के युद्धों में बढ़त प्राप्त करेंगे।
ऊर्जा: एक बड़ी बाधा के रूप में
- ऊर्जा की आवश्यकता: AI तकनीकों (जैसे- मशीन लर्निंग, बिग डेटा) के संचालन के लिए भारी मात्रा में विद्युत् चाहिए।
- डाटा सेंटरों को 24x7 विद्युत् आपूर्ति की जरूरत होती है जिसमें नाभिकीय ऊर्जा महत्वपूर्ण है।
- भारत की स्थिति:
- भारत की नाभिकीय ऊर्जा क्षमता केवल 7.5 गीगावाट है जबकि अपेक्षाकृत छोटे देश दक्षिण कोरिया की क्षमता तीन गुना है।
- नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन) का विस्तार हुआ है किंतु भंडारण प्रणाली की कमी और थर्मल ऊर्जा में कमी से ग्रिड अस्थिरता बढ़ी है।
- समाधान:
- स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR): डाटा सेंटरों के निकट लघु परमाणु संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं।
- निजी क्षेत्र को थर्मल एवं न्यूक्लियर ऊर्जा में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- महत्त्व: बिना पर्याप्त ऊर्जा के AI एवं रोबोट आधारित युद्ध क्षमता विकसित करना लगभग असंभव सा है।
चुनौतियाँ
- तकनीकी अंतराल: चीन एवं पाकिस्तान की AI प्रगति (जैसे- पाकिस्तान का CENTAIC, 2020) भारत के लिए खतरा
- विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर में चीन की मदद से पकिस्तान को अत्यधिक लाभ मिला।
- ऊर्जा संकट: भारत की वर्तमान बिजली ग्रिड का AI डाटा सेंटरों की मांग को पूरा करने में असमर्थ होना
- नैतिक एवं कानूनी मुद्दे:
- स्वायत्त हथियार मानव नियंत्रण के बिना लक्ष्य चुन सकते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) का उल्लंघन हो सकता है।
- AI प्रणालियों को मानव नैतिकता समझने में कठिनाई से नागरिकों को नुकसान का जोखिम है।
- डाटा प्रबंधन : मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस (थल, जल, समुद्र, अंतरिक्ष, साइबरस्पेस) से डाटा की भारी मात्रा को संभालने में मुश्किल
- साइबर सुरक्षा : AI प्रणालियों पर हैकिंग या गलत सूचना (मिसइंफार्मेशन) जैसे साइबर हमले का खतरा
- AI हथियारों की दौड़: भारत-पाकिस्तान जैसे क्षेत्रों में AI हथियारों की दौड़ से क्षेत्रीय अस्थिरता में वृद्धि की आशंका
आगे की राह
- AI नीति एवं निवेश:
- भारत को CAIR और अन्य DRDO पहलों को मजबूत करना
- निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी और AI स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देना
- ऊर्जा समाधान:
- डाटा सेंटरों को स्थिर बिजली आपूर्ति के लिए SMR एवं तापीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भंडारण प्रणालियों का विकास करना
- नैतिक और कानूनी ढांचा:
- स्वायत्त हथियारों पर मानव नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए नीतियाँ बनाना
- अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) के अनुपालन के लिए AI सिस्टम्स में पारदर्शिता
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
- AI हथियारों की दौड़ को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) एवं सरकारी विशेषज्ञ समूह (GGE) जैसे मंचों पर सहमति बनाना
- भारत को वैश्विक AI मानकों (जैसे- ISO, IEEE) में योगदान देना चाहिए।
- क्षमता निर्माण:
- सैनिकों को AI आधारित युद्ध प्रशिक्षण देना (जैसे- वर्चुअल सिमुलेशन)
- C4ISR (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनिस्सन्स) क्षमता बढ़ाना
- साइबर सुरक्षा: AI प्रणालियों को हैकिंग से बचाने के लिए मजबूत साइबर ढांचा विकसित करना