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एस.डी.आर का आवंटन और आई.एम.एफ.

(प्रारंभिक परीक्षा– अर्थव्यवस्था व अंतर्राष्ट्रीय संस्थान; मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: विषय– महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत आई.एम.एफ. द्वारा नए विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR) के आवंटन का समर्थन नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा करना कोविड-19 द्वारा उत्पन्न वित्तीय दबावों को कम करने में प्रभावी नहीं होगा।
  • आई.एम.एफ. द्वारा इस तरह वैश्विक तरलता को बढ़ाना हानिकारक हो सकता, और यह सम्भव है कि अनेक देशों द्वारा इसका उपयोग ‘इससे भिन्न उद्देश्यों’ की पूर्ति के लिये किया जाए।
  • यहाँ ‘भिन्न उद्देश्यों’ का सम्भावित अर्थ है कि कहीं वित्त पोषण की आड़ में इससे आतंकवाद को आतंकवाद को बढ़ावा तो नहीं दिया रहा।
  • एक अन्य सम्भावना यह भी है कि भारत अमेरिका से और अधिक नज़दीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो क्योंकि अमेरिका भी परोक्ष रूप से इसके समर्थन में नहीं है।

एस.डी.आर. क्या है ?

  • वर्ष 1969 में आई.एम.एफ. ने एस.डी.आर. को सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित सम्पत्ति के रूप में निर्मित किया था।
  • यह आई.एम.एफ. द्वारा कृत्रिम रूप से तैयार की गई एक विशिष्ट मुद्रा है, इसे ‘राष्ट्रों की मुद्रा का भण्डार’ भी कहा जाता है।
  • इसका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तरलता बढाने के लिये किया जाता है ताकि इस आरक्षित मुद्रा का इस्तेमाल पूरक मुद्रा के तौर पर किया जा सके।
  • ध्यातव्य है कि भौतिक रूप में एस.डी.आर. का अस्तित्व नहीं होता, बस कागज़ों में इसका लेखा-जोखा रहता है। इसीलिये इसे ‘कागज़ी स्वर्ण’ (Paper gold) भी कहते हैं।
  • एस.डी.आर. की बास्केट में अमेरिकी डॉलर, येन, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और चीनी रेन्मिन्बी (युआन) इत्यादि मुद्राएँ शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि एस.डी.आर कोई विशेष मुद्रा नहीं है, और न ही आई.एम.एफ. पर इसके लिये कोई दावा किया जा सकता है।
  • शुरुआत में एक एस.डी.आर. का मूल्य 0.888671 ग्राम सोने के बराबर सुनिश्चित किया गया था, लेकिन 1971 में  ब्रेटनवुड्स प्रणाली के पतन के पश्चात् इसे मुद्राओं की एक टोकरी (Basket) के रूप में पुनः परिभाषित कर दिया गया।
  • एस.डी.आर. बास्केट में महत्त्व की दृष्टि से मुद्राओं को निम्न प्रकार से रखा गया है–

अमेरिकी डॉलर– 41.73%, यूरो– 30.93%, रेन्मिन्बी– 10.92%, येन– 8.33% एवं  पाउंड स्टर्लिंग- 8.09%.

  • एस.डी.आर. का उपयोग को केवल आई.एम.एफ. के सदस्य देशों द्वारा किया जा सकता है; विशेष आधिकारिक संस्थाओं, निजी संस्थाओं या व्यक्तियों द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • एस.डी.आर. को सामान्यतः आई.एम.एफ. तथा कुछ अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के खाते की इकाई के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त नियोजन के लिये इसका प्रयोग किया जा सकता है।
  • आई.एम.एफ. के सदस्यों को कोटा या शेयरों के अनुसार नए भंडार आवंटित किए जाते हैं।

क्या हो आगे की राह ?

  • वर्ष 2009 में लाभ का एक बड़ा हिस्सा उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के खाते में चला गया था जिन्हें वास्तविकता में व्यापार नियंत्रित करने या वित्तीय घाटे के वित्तपोषण हेतु किसी बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं थी।
  • यदि वर्तमान प्रणाली द्वारा कार्य को आगे बढाया गया, तो कुल लाभ का केवल 40 प्रतिशत ही उभरती अर्थव्यवस्थाओं (Emerging economies) को मिल पाएगा। वैश्विक आर्थिक समायोजन के लिहाज़ से यह बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है।
  • अतः आई.एम.एफ. द्वारा तरलता बढ़ाने के लिये, किसी भी नए समायोजन को निर्धारित करते समय उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों का विशेष ध्यान रखना होगा, अन्यथा यह भविष्य में वैश्विक एकजुटता के लिये खतरा साबित हो सकता है।
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