असम स्थित कामाख्या मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अंबुबाची मेले का आयोजन इस वर्ष 22 से 26 जून के मध्य किया जा रहा है।
अंबुबाची मेला के बारे में
- परिचय : यह असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाला एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है जो पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े धार्मिक उत्सवों में से एक है।
- अर्थ : ‘अंबुबाची’ शब्द का अर्थ है ‘जल का प्रवाह’, जो मानसून की शुरुआत और पृथ्वी की उर्वरता से जुड़ा है।
- यह उत्सव प्रजनन शक्ति, मानसून और पृथ्वी को एक उर्वर मातृशक्ति के रूप में देखने की प्राचीन सांस्कृतिक मान्यता को दर्शाता है।
- आयोजन : यह मेला प्रतिवर्ष मानसून के दौरान, सामान्यतः जून माह में आयोजित होता है और लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
- परंपरागत मान्यता : मान्यता के अनुसार, इस अवधि में देवी कामाख्या अपने वार्षिक रजस्वला (मासिक धर्म) के चरण से गुजरती हैं।
- इस दौरान मंदिर के पट 3-4 दिनों के लिए बंद रहते हैं।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
- तांत्रिक अनुष्ठान का केंद्र : कामाख्या मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस दौरान तांत्रिक और साधु-संत सिद्धियां प्राप्त करने व विशेष अनुष्ठान करने के लिए यहां आते हैं। यह मेला तंत्र साधना के लिए सबसे शक्तिशाली समय माना जाता है।
- सामाजिक व पर्यावरणीय संदर्भ : यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह मेला प्रकृति और मानव के बीच गहरे संबंध को रेखांकित करता है। मानसून के साथ पृथ्वी की उर्वरता का उत्सव मनाना पर्यावरण संरक्षण और कृषि पर निर्भर समाज की समझ को दर्शाता है।
- साथ ही, यह मेला विभिन्न समुदायों को एक मंच पर लाता है, जिससे सामाजिक एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है।