(प्रारंभिक परीक्षा: सामजिक एवं आर्थिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
चिकित्सा ऑक्सीजन सुरक्षा पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन के अनुसार, दक्षिण एशिया व पूर्वी एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में चिकित्सा ऑक्सीजन की माँग में सर्वाधिक अंतराल है और इसमें सुधार के लिए कार्रवाई की स्पष्ट एवं तत्काल आवश्यकता है।
चिकित्सा ऑक्सीजन के बारे में
- क्या है : यह ऑक्सीजन गैस का उच्च शुद्धता वाला रूप होता है जिसका उपयोग विभिन्न चिकित्सा स्थितियों में किया जाता है, जैसे- श्वसन संबंधी समस्याएँ, सर्जरी एवं आपातकालीन देखभाल में।
- महत्व : चिकित्सा ऑक्सीजन एक जीवन रक्षक दवा है और इसका कोई विकल्प नहीं है।
- वैश्विक स्थिति : लगभग 5 अरब लोगों को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
- क्षेत्रीय अंतर : दक्षिण एशिया में 78% और पूर्वी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 74% ऑक्सीजन सेवा कवरेज का अंतर है।
- मानवाधिकार का मुद्दा : साइमा वाजेद के अनुसार, ऑक्सीजन तक पहुँच समानता एवं मानवाधिकार का मामला है।
- साइमा वाजेद ने 1 फरवरी, 2024 को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए डब्ल्यू.एच.ओ. क्षेत्रीय निदेशक के रूप में पदभार संभाला। इस भूमिका में वे 11 देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यों का निर्देशन करेंगी।
कोविड-19 महामारी का प्रभाव
- जानकारी : महामारी ने निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में ऑक्सीजन बुनियादी ढांचे की कमियों को उजागर किया।
- आपातकालीन हस्तक्षेप : संकट ने तात्कालिक समाधानों को प्रेरित किया किंतु दीर्घकालिक प्रगति सीमित है।
- WHO की रिपोर्ट (2022) : दक्षिण-पूर्व एशिया में ऑक्सीजन पहुँच के लिए निरंतर निवेश एवं नीति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
प्रमुख चुनौतियाँ
उपकरणों की कमी
- LMIC में केवल 54% अस्पतालों में पल्स ऑक्सीमीटर और 58% में ऑक्सीजन उपलब्ध।
- परिणाम : निदान में देरी, अपर्याप्त उपचार एवं रोके जा सकने वाली मौतें।
वित्तीय बोझ
- वैश्विक ऑक्सीजन अंतराल को पाटने के लिए 6.8 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है, जिसमें दक्षिण एशिया के लिए 2.6 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
- LMIC में स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के बीच संसाधन आवंटन की चुनौती है।
मानव संसाधन की कमी
- प्रशिक्षित बायोमेडिकल इंजीनियरों एवं तकनीशियनों की कमी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऑक्सीजन उपकरणों के रखरखाव व संचालन में बाधा।
अन्य बाधाएँ
- आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण एवं बिजली की कमी।
- ग्रामीण एवं वंचित समुदायों में असमान पहुंच।
समाधान एवं पहल
WHO की भूमिका
- मेडिकल ऑक्सीजन संकल्प और लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन का रोडमैप।
- ऑक्सीजन स्केल-अप योजनाओं के लिए तकनीकी सहायता।
- प्रगति निगरानी के लिए WHO ऑक्सीजन स्कोरकार्ड।
क्षमता निर्माण
- नेपाल एवं भूटान में WHO के सहयोग से ऑक्सीजन संयंत्र स्थापना व प्रशिक्षण।
- सीमा पार सहयोग मॉडल को अन्य LMIC में लागू करने की संभावना।
नवाचार
- सौर ऊर्जा से चलने वाले ऑक्सीजन सिस्टम (इथियोपिया व नाइजीरिया में सफल उदाहरण)
- पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एवं समुदाय-आधारित हब।
स्थानीय विनिर्माण
- आयात निर्भरता कम करने और लागत घटाने के लिए स्थानीय उत्पादन पर जोर।
- विकेंद्रीकृत उत्पादन से अंतिम-मील वितरण में सुधार।
नीति एवं वित्तपोषण
- राष्ट्रीय सरकारों द्वारा ऑक्सीजन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए नीतियाँ।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में ऑक्सीजन पहुँच को एकीकृत करना।
- निजी क्षेत्र एवं वैश्विक एजेंसियों से स्थायी वित्तपोषण।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण
- एकीकृत रणनीति : सरकार, निजी क्षेत्र एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग।
- नियामक ढांचा : गुणवत्ता, भंडारण एवं वितरण के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल।
- शोध एवं नवाचार : कम लागत वाले ऑक्सीजन समाधानों पर अकादमिक अनुसंधान।
- डिजिटल तकनीक : वास्तविक समय निगरानी एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए उपयोग।
महत्व
- सामाजिक-आर्थिक समावेशन : ऑक्सीजन तक पहुंच से स्वास्थ्य असमानताओं में कमी
- मानवाधिकार : ऑक्सीजन को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करना
- आपातकालीन तैयारी : स्वास्थ्य संकटों के लिए लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण
- क्षेत्रीय सहयोग : दक्षिण-पूर्व एशिया में सीमा पार सहयोग से नीति एवं संसाधन साझा
- सतत विकास लक्ष्य (SDG): SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य एवं कल्याण) की प्राप्ति में योगदान
- वैश्विक स्वास्थ्य शासन : WHO एवं वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों की भूमिका पर जोर
निष्कर्ष
चिकित्सा ऑक्सीजन तक पहुंच एक स्वास्थ्य (वन हेल्थ), समानता एवं मानवाधिकार का मुद्दा है। दक्षिण-पूर्व एशिया में ऑक्सीजन अंतराल को पाटने के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण, नवाचार एवं सतत निवेश आवश्यक है। WHO और लैंसेट कमीशन के रोडमैप के साथ समन्वित कार्रवाई से ऑक्सीजन संकट का समाधान किया जा सकता है।