(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
12 जून, 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI-171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) के दुर्घटनाग्रस्त होने से भारत के विमानन क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चिंताएं फिर से उजागर हुई हैं। इस हादसे में 260 से अधिक व्यक्तियों की मौत हो गई। यह घटना भारत में विमानन सुरक्षा के ढांचे, नियामक प्रणालियों और चुनौतियों पर गहन चिंतन की मांग करती है।
भारत के विमानन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
- अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है।
- प्रत्येक वर्ष 240 मिलियन से अधिक यात्री हवाई यात्रा करते हैं और वर्ष 2030 तक यह संख्या 500 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
- भारत के हवाई क्षेत्र में प्रतिदिन हजारों उड़ानें संचालित होती हैं जो इसे दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई क्षेत्रों में से एक बनाता है।
- हालांकि, अहमदाबाद जैसी हालिया दुर्घटनाएँ और वर्ष 2010 (मैंगलोर) एवं वर्ष 2020 (कोझिकोड) की घटनाएँ सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाती हैं।
डी.जी.सी.ए. ऑडिट के प्रमुख निष्कर्ष
नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने अहमदाबाद हादसे के बाद देश के प्रमुख हवाई अड्डों, विशेष रूप से दिल्ली व मुंबई, का ऑडिट किया। इसके प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
- रनवे एवं उपकरणों में खामियाँ : धुंधली रनवे लाइनें, घिसे टायर व खराब ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण, जैसे- बैगेज ट्रॉली एवं बेल्ट लोडर।
- रखरखाव में लापरवाही : थ्रस्ट रिवर्सर सिस्टम और फ्लैप स्लैट लीवर जैसे महत्वपूर्ण पुर्जे अनलॉक पाए गए।
- डाटा अपडेट में देरी : तीन वर्षों तक डाटा अपडेट न करना और लाइन मेंटेनेंस स्टोर में अनियमितताएँ।
- पायलट प्रशिक्षण : डी.जी.सी.ए. ने एयर इंडिया से पायलटों एवं डिस्पैचरों के प्रशिक्षण रिकॉर्ड मांगे, जिससे प्रशिक्षण में संभावित कमियों का संकेत मिलता है।
चिकित्सा एवं स्वच्छता संबंधी चिंताएँ
- प्री-फ्लाइट मेडिकल चेकअप : ऑडिट में पायलटों के मेडिकल चेकअप में अनियमितताएँ पाई गईं, जो उड़ान सुरक्षा के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
- केबिन स्वच्छता : कुछ विमानों में सीटें, मनोरंजन प्रणाली एवं जलवायु नियंत्रण जैसी सुविधाएँ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं थीं।
- हादसे के बाद की स्थिति : अहमदाबाद हादसे में घायलों के उपचार एवं शवों की पहचान के लिए डी.एन.ए. टेस्ट में देरी से स्वास्थ्य सेवाओं की कमी उजागर हुई।
विमानन सुरक्षा विनियमन में संरचनात्मक मुद्दे
- डी.जी.सी.ए. की सीमित स्वायत्तता : डी.जी.सी.ए. को अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) या यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EASA) की तरह अधिक स्वायत्त एवं तकनीकी रूप से सक्षम निकाय बनाने की आवश्यकता है।
- कर्मचारी अभाव : डी.जी.सी.ए, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बी.सी.ए.एस.) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए.ए.आई.) में लगभग 25-53% कर्मचारी कम हैं।
- निगरानी में कमियाँ : डी.जी.सी.ए. की निगरानी प्रक्रिया प्राय: औपचारिकताओं तक सीमित रहती है और नियमों का उल्लंघन करने वाली एयरलाइनों पर जुर्माना कम ही लगाया जाता है।
निवारक के बजाय प्रतिक्रियात्मक निरीक्षण की आवश्यकता
- प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण : डी.जी.सी.ए. की जाँच प्राय: हादसों के बाद शुरू होती हैं, जैसे- अहमदाबाद हादसे के बाद 19 जून को शुरू हुआ ऑडिट।
- नियमित निगरानी की कमी : नियमित एवं सख्त ऑडिट की कमी के कारण सुरक्षा खामियाँ अनदेखी रहती हैं, जैसे- रनवे लाइनों का धुंधलापन व उपकरणों की खराबी।
- संसदीय चेतावनी : हादसे से पहले संसदीय समिति ने सुरक्षा फंडिंग और कर्मचारी कमी की चेतावनी दी थी, जिस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानक और भारत की स्थिति
- आई.सी.ए.ओ. मानक : अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के अनुसार, भारत का प्रभावी कार्यान्वयन स्कोर 85.65% है (वर्ष 2018 में 69.95% से सुधार), जो वैश्विक औसत से ऊपर है।
- श्रेष्ठ प्रदर्शन : भारत ने एयरवर्थीनेस एवं संचालन में अमेरिका व चीन को पीछे छोड़ दिया है।
- कमियाँ : बोइंग-787 जैसे विमानों के रखरखाव और निर्माण में संदिग्ध शॉर्टकट की शिकायतें सामने आई हैं।
- सहयोग : आई.सी.ए.ओ. प्रोटोकॉल के तहत हादसे की जाँच में अमेरिका का नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियाँ भारत की सहायता कर रही हैं।
विमानन क्षेत्र की चुनौतियों के कारण
- तकनीकी खराबी : अहमदाबाद हादसे में गलत कॉन्फिगरेशन (फ्लैप्स, थ्रस्ट, गियर) एवं गर्मी (43°C) की संभावना
- पायलट प्रशिक्षण : अपर्याप्त संचार एवं जाँच (CRM) की कमी
- बुनियादी ढांचा : पुराने उपकरण, बफर जोन की कमी एवं रनवे की खराब स्थिति
- नियामक कमजोरी : डी.जी.सी.ए. की सीमित क्षमता व संसाधनों की कमी
- वाणिज्यिक दबाव : लागत में कमी के लिए सुरक्षा मानकों की अनदेखी
अब तक उठाए गए कदम
- उच्च स्तरीय समिति : केंद्र सरकार ने गृह सचिव की अध्यक्षता में एक बहु-विषयक समिति गठित की है, जो तीन महीने में रिपोर्ट देगी।
- बोइंग ऑडिट : डी.जी.सी.ए. ने बोइंग 787 विमानों की गहन जाँच शुरू की।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : एन.टी.एस.बी. एवं यूरोपीय एजेंसियाँ जाँच में सहायता कर रही हैं।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया : एन.डी.आर.एफ. व फायर ब्रिगेड ने त्वरित राहत-बचाव कार्य किया।
आगे की राह
- निवारक ऑडिट : नियमित एवं सख्त ऑडिट प्रणाली स्थापित करना
- ये हादसों के बाद के बजाय उनसे पहले होन चाहिए।
- डी.जी.सी.ए. का सशक्तिकरण : अधिक स्वायत्तता, कर्मचारी भर्ती व तकनीकी क्षमता बढ़ाना।
- प्रशिक्षण में सुधार : पायलटों व डिस्पैचरों के लिए आई.सी.ए.ओ. मानकों के अनुरूप कठोर प्रशिक्षण
- बुनियादी ढांचे का उन्नयन : रनवे, ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण और बफर जोन में सुधार
- पारदर्शिता : विश्वास में वृद्धि के लिए ऑडिट एवं जाँच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : आई.सी.ए.ओ., एफ.ए.ए. एवं ई.ए.एस.ए. के साथ तकनीकी व प्रशिक्षण सहयोग बढ़ाना
- सुरक्षा संस्कृति : एयरलाइनों को वाणिज्यिक दबाव के बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करना
निष्कर्ष
अहमदाबाद विमान हादसा भारत के विमानन क्षेत्र में सुरक्षा सुधारों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। डी.जी.सी.ए. के ऑडिट ने गंभीर खामियों को उजागर किया है जो न केवल तकनीकी, बल्कि संरचनात्मक एवं नियामक कमियों को दर्शाते हैं। भारत का आई.सी.ए.ओ. स्कोर वैश्विक औसत से बेहतर होने के बावजूद, निवारक उपायों, नियमित निगरानी एवं संसाधन बढ़ाने की आवश्यकता है।
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के बारे में
- स्थापना : 30 जुलाई, 2012 को भारत सरकार द्वारा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत स्थापित
- उद्देश्य : भारत के हवाई क्षेत्र में होने वाली विमान दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जांच करना, सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिशें करना
- स्वायत्तता : तकनीकी रूप से स्वतंत्र किंतु नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) के अंतर्गत कार्यरत
- मुख्यालय : नई दिल्ली में सफदरजंग हवाई अड्डे के परिसर में उड़ान भवन
कानूनी ढांचा
- विमान अधिनियम, 1934 : धारा 7 के तहत भारत सरकार को दुर्घटनाओं की जांच के लिए नियम बनाने का अधिकार
- विमान (दुर्घटनाओं एवं घटनाओं की जांच) नियम, 2012 : 5 जुलाई, 2012 से प्रभावी, ICAO के मानकों के अनुरूप
- संशोधन : वर्ष 2017 एवं 2021 में नियमों में संशोधन, AAIB को मंत्रालय का ‘संलग्न कार्यालय’ बनाया गया।
- ICAO अनुबंध 13 : जाँच प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के मानकों एवं अनुशंसित प्रथाओं (SARPs) पर आधारित
भूमिका एवं कार्य
- जांच का दायरा : भारतीय हवाई क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं, गंभीर घटनाओं और अन्य घटनाओं की जांच करना
- वर्गीकरण : घटनाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है- दुर्घटना, गंभीर घटना एवं घटना
- दुर्घटना : सभी दुर्घटनाओं की जांच AAIB द्वारा
- गंभीर घटना : 2250 किग्रा. से अधिक वजन वाले विमानों या टर्बोजेट विमानों की जांच AAIB द्वारा
- घटना : 2250 किग्रा. से कम वजन वाले विमानों की जांच सामान्यतः DGCA द्वारा किंतु AAIB आवश्यकता होने पर जांच कर सकता है।
- साक्ष्य संग्रह : ब्लैक बॉक्स (CVR एवं FDR), उड़ान डाटा, गवाहों के बयान आदि एकत्र करना
- सुरक्षा सिफारिशें : दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण कर एयरलाइंस, हवाई अड्डों एवं निर्माताओं के लिए सिफारिशें
- रिपोर्ट प्रकाशन : अंतिम जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है और ICAO व संबंधित देशों को भेजी जाती है।
संगठनात्मक क्षमता
- जांचकर्ता-प्रभारी : जांच का नेतृत्व करता है और विशेषज्ञों व तकनीकी सलाहकारों के साथ समन्वय
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : ICAO अनुबंध 13 के तहत संबंधित देशों (रजिस्ट्री, ऑपरेटर, डिज़ाइन, निर्माण) के प्रतिनिधि जांच में शामिल
- विशेषज्ञ सहायता : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे संगठनों के साथ MoU के माध्यम से प्रयोगशाला सुविधाएँ
- नया डिजिटल लैब : अप्रैल 2025 में दिल्ली में डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) लैब शुरू
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