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आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन – स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ की शुरुआत की। इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में की थी। पिछले वर्ष इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 6 केंद्रशासित प्रदेशों (अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप तथा पांडिचेरी)  में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री ने अब इसे पूरे देश में लागू  करने की घोषणा की है। इस योजना से भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है।

डिजिटल स्वास्थ्य पहचान संख्या

  • इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को 14 अंकीय विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान संख्या प्रदान की जाएगी तथा उसका एक डिजिटल स्वास्थ्य खाता बनाया जाएगा।
  • इस खाते में लाभार्थियों की सेहत का रिकॉर्ड अर्थात् उनकी बीमारी, ली गई दवाओं, परीक्षणों, निदान इत्यादि का विवरण रखा जाएगा।
  • ऐसे डिजिटल खाते उन लोगों के इलाज में विशेष रूप से कारगर साबित होंगे जो किसी पुरानी बीमारी अथवा एक से अधिक बीमारियों से ग्रस्त हैं।

आवश्यकता क्यों? 

  • इस मिशन के अंतर्गत एक सरल एवं बाधारहित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। इसमें देश भर के अस्पतालों के डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एक दुसरे से जोड़ा जाएगा। इससे अस्पतालों की प्रक्रियाएँ सरल होंगी।
  • इसमें लाभार्थियों को डिजिटल हेल्थ आई.डी. प्रदान की जाएगी तथा लाभार्थियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संरक्षित रखा जाएगा। डिजिटल हेल्थ आई.डी. के माध्यम से लाभार्थी स्वयं तथा चिकित्सक पुराने रिकॉर्ड को आवश्यकता पड़ने पर चेक कर सकता है।
  • इसके अंतर्गत डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सालय, लैब एवं दवा की दुकानों को भी रजिस्टर किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी सभी सुविधाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सकेगा।
  • इससे लाभार्थी पूरे देश में कहीं भी अपनी बीमारी के निदान के लिये अनुभवी चिकित्सक को ढूंढने एवं उससे संपर्क करने की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, इस योजना से देश के सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी।
  • प्रभावी एवं विश्वस्त डाटा के उपलब्ध होने से लोगों का इलाज भी बेहतर होगा तथा मरीजों के धन एवं समय दोनों की बचत होगी।

गोपनीयता संबंधी चुनौतियाँ

  • इस योजना में लाभार्थी की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को रखने के लिये डिजिटल खाते का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में स्पष्ट गोपनीयता कानून के अभाव तथा जन-जागरूकता में कमी के कारण इन खातों में निहित व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा प्रमुख चुनौती है।
  • लाभार्थियों के स्वास्थ्य संबंधी डाटा का उपयोग किसी निजी बीमा कंपनी द्वारा जोखिम प्रोफाइल बनाने तथा सस्ती बीमा सुविधाओं को कठिन बनाने के लिये किया जा सकता है। इसके साथ ही ये डाटा अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं एवं फार्मा कंपनियों को भी लाभ कमाने के विशेष अवसर प्रदान कर सकता है।
  • इस डाटा का उपयोग करते हुए निजी बीमा कंपनियाँ एवं हॉस्पिटल कुछ समृद्ध जनसांख्यिकी को प्राथमिकता दे सकते हैं तथा सार्वजनिक एवं निजी संसाधनों को उन लोगों तक पहुँचा सकते हैं, जो उन सेवाओं का अधिक मूल्य दे सकते हैं, न कि उन लोगों को जिन्हें उन सेवाओं की आवश्यकता तो है, परंतु वे भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनौतियाँ 

  • भारत में चिकित्सा अभिलेखों की अनुपस्थिति उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल के लिये प्रमुख चुनौती है। कोरोना महामारी ने भी भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को उजागर किया है।
  • वर्ष 2020-21 में स्वास्थ्य पर किया जाने वाला बजट आवंटन कुल जी.डी.पी. का मात्र 1.8 प्रतिशत है। इससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार एवं सभी के लिये एक समान पहुँच सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं है। हालाँकि, स्वास्थ्य नीति -2017 में स्वास्थ्य पर होने व्यय को वर्ष 2024-25 तक बढ़ाकर जी.डी.पी. का 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • कोविड महामारी ने यह स्पष्ट किया है कि निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सजातीय नहीं हैं। यह आम नागरिक की पहुँच से  बहुत दूर है। ऐसी स्थिति में इस मिशन की सफलता के लिये देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • देश में जनसंख्या के अनुपात में प्रशिक्षित कर्मचारियों एवं अस्पतालों की संख्या बहुत कम है। डब्ल्यू.एच.ओ. के निर्देश के अनुसार, 1000 लोगों पर 1 डॉक्टर तथा 300 लोगों पर 1 नर्स होने चाहिये, जबकि भारत में 1511 लोगों पर 1 डॉक्टर तथा 670 लोगों पर 1 नर्स है।

अन्य बाधाएँ

  • देश में अभी भी अन्य आवश्यक डिजिटल सेवाएँ, जैसे- वन नेशन वन राशन कार्ड, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्ड, आधार कार्ड इत्यादि की कवरेज एवं गुणवत्ता को मानकीकृत नही किया जा सका है। इससे सेवाओं एवं अधिकारों की प्राप्ति में बाधा आ रही है।
  • भारत जैसे विशाल एवं विविधता से भरे देश में प्रौद्योगिकी तक पहुँच न होना, गरीबी एवं भाषाई समझ में कमी भी गंभीर समस्याएँ हैं। देश में अधिकांश लोगों के लिये कोरोना वैक्सीन प्राप्त करने में तकनीकी दक्षता का न होना प्रमुख समस्या रही है।  स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये इन पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

निष्कर्ष

यह योजना स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके लिये आवश्यक है कि सरकार लाभार्थियों के डाटा संरक्षण एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित आधारभूत सेवाओं में सुधार के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाए।

          

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