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विमानन क्षेत्र में द्विपक्षीय अधिकार संबंधी मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : भारत एवं पडोसी संबंध, बुनियादी ढांचा- ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

  • हाल ही में, भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के मध्य विमानन क्षेत्र में द्विपक्षीय अधिकारों (Bilateral Rights) को उदार बनाने के बारे में बातचीत हुई है। हालाँकि, एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने विदेशी विमानन कंपनियों के लिए भारतीय विमानन क्षेत्र में बाजार पहुंच को सीमित करने की मांग की है।
  • वर्तमान में खाड़ी देशों के लिए अधिक द्विपक्षीय अधिकारों के मुद्दे पर भारतीय विमानन कंपनियों एवं विदेशी विमानन कंपनियों के मध्य मतभेद की स्थिति बनी हुई है।

क्या होते हैं द्विपक्षीय अधिकार (Bilateral Rights)

  • द्विपक्षीय अधिकार वाणिज्यिक विमानन अधिकारों का एक सेट होता है, जो एक देश की एयरलाइंस (विमानन कंपनियों) को दूसरे देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने का विशेषाधिकार प्रदान करता है।
  • ये अधिकार दो देशों के मध्य द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते द्वारा स्थापित किये जाते हैं।   
    • द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते दो देशों के मध्य ऐसी संधियाँ हैं जो अपने क्षेत्रों के बीच अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक हवाई परिवहन सेवाओं की अनुमति प्रदान करती हैं।
  • जब सरकार किसी एयरलाइन को द्विपक्षीय यातायात अधिकार आवंटित करती है तो वह सीटों या उड़ानों की एक संख्या निश्चित करती है जिनका संचालन एयरलाइन्स द्वारा किया जा सकता है।
  • किसी देश के भौगोलिक क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र की संप्रभुता को मान्यता अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के मानकों के अनुसार प्रदान की जाती है। 
  • वर्तमान में भारत के 116 देशों के साथ द्विपक्षीय अधिकार विमानन समझौते हैं, जिनमें उड़ानों की संख्या, सीटें, लैंडिंग पॉइंट एवं अनुमत कोड शेयर से संबंधित पहलू शामिल हैं। 

इससे संबंधित मुद्दे और कंपनियों का पक्ष

विमानन कंपनियों के मत इस बात को लेकर विभाजित हैं कि क्या भारत सरकार को पश्चिम एशियाई देशों को अधिक द्विपक्षीय अधिकार प्रदान करने चाहिए?

भारतीय कंपनियों का पक्ष 

  • एयर इंडिया एवं स्पाइसजेट ने पश्चिम एशियाई देशों को अधिक द्विपक्षीय अधिकार देने का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार को प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों को हब के रूप में निर्मित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा समग्र विश्लेषण के बाद इस बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए।
  • एयर इंडिया एयरलाइंस का कहना है कि कुछ खाड़ी देशों को अधिक द्विपक्षीय अधिकार देने से उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप जैसे स्थानों पर उनकी लंबी दूरी व अत्यधिक लंबी दूरी की उड़ानों के संचालन में बाधा आएगी।
  • एयर इंडिया के अनुसार, यदि केंद्र सरकार द्विपक्षीय समझौतों के तहत पश्चिम एशिया में उन केंद्रों (देशों) को अधिक द्विपक्षीय अधिकार प्रदान करती है, जो भारतीयों के लिए ‘बिना रुके’ अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में बाधा डालते हैं, तो एयर इंडिया वाइडबॉडी (विशाल विमान) सहित नए विमान खरीदने में निवेश नहीं करेगी।
  • उदाहरण के लिए ‘क’ नामक यात्री भारत से अमेरिका की टिकट बुक करता है किंतु उसे भारत से यू.ए.ई. और फिर यू.ए.ई. से अमेरिका की हवाई यात्रा करनी होती है तो इसका लाभ यू.ए.ई. को मिलेगा।     

विदेशी कंपनियों का पक्ष 

  • एमिरेट्स एवं कतर एयरवेज जैसी पश्चिम एशियाई एयरलाइन्स भारत से द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने के लिए कह रही हैं ताकि वे भारत से और भारत के लिए अधिक उड़ानें संचालित कर सकें। 
  • कतर एवं संयुक्त अरब अमीरात ने भारत से द्विपक्षीय हवाई यातायात अधिकारों में वृद्धि की मांग की है, क्योंकि उनकी विमानन कंपनियों ने वर्ष के आधे समय में ही अपने कोटे का उपयोग कर लिया है।
    • विमानन विश्लेषण फर्म सिरियम के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष फरवरी 2024 में भारत से जुड़ी अमीरात, एतिहाद एवं कतर एयरवेज की उड़ानों में यात्रा करने वाले 70% से अधिक यात्रियों ने भारत और तीसरे देशों के बीच यात्रा के लिए दुबई, अबू धाबी व दोहा में एयरलाइन केंद्रों का उपयोग पारगमन बिंदु के रूप में किया।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के बारे में

  • परिचय : आई.सी.ए.ओ. संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतरराष्ट्रीय हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों एवं तकनीकों का समन्वय करती है और सुरक्षित व व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना तथा विकास को बढ़ावा देती है। 
  • स्थापना : 4 अप्रैल, 1947 
  • मुख्यालय : मॉन्ट्रियल (कनाडा)
  • सदस्य : 193 सदस्य (लिकटेंस्टीन को छोड़कर 192 संयुक्त राष्ट्र देश + कुक आइलैंड)
  • नोट : अंतरराष्ट्रीय विमानन से होने वाले उत्सर्जन को क्योटो प्रोटोकॉल के तहत सहमत लक्ष्यों से विशेष रूप से बाहर रखा गया है।

आगे की राह 

  • भारत को अपने स्वयं के हब बनाने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशी कंपनियां केवल अपनी अर्थव्यवस्था एवं अपने व्यापार केंद्र को बढ़ावा दे रहे हैं भारत की अर्थव्यवस्था को नहीं।
  • किंतु भारत पश्चिमी एशियाई देशों, जैसे- सऊदी अरब, यू.ए.ई., कतर, कुवैत, बहरीन के साथ बहुत अधिक व्यापार करता है और इसके लिए हवाई यात्रा आवश्यक है। इसीलिए द्विपक्षीय अधिकारों को ‘समग्र तरीके से’ संबोधित किया जाना चाहिए।
  • सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय हब पश्चिम एशिया या दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित न हों। 
  • सभी एयरलाइनों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु एवं हैदराबाद हवाई व्यापर के हब बनें और वर्तमान में दुबई, अबू धाबी व सिंगापुर से होकर जाने वाले ट्रैफ़िक को अपने साथ जोड़ें।

निष्कर्ष 

भारत को सभी देशों के लिए द्विपक्षीय अधिकारों को एक ही दृष्टिकोण में नहीं रखना चाहिए। यह विभिन्न देशों के बीच वर्तमान में व्यापार, कूटनीतिक एवं अन्य मामलों की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए, इस बारे में निर्णय लेने से पहले अधिक विस्तृत व बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

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