जैव विविधता हॉटस्पॉट का अर्थ
जैव विविधता हॉटस्पॉट ऐसे जैव-भौगोलिक क्षेत्र होते हैं जहाँ-
- वनस्पति एवं जीव-जंतुओं की अत्यधिक विविधता, विशेष रूप से स्थानिक (Endemic) प्रजातियाँ, पाई जाती हैं, तथा
- मानवीय हस्तक्षेप के कारण उनका प्राकृतिक आवास तीव्र गति से नष्ट हो रहा होता है।
इस प्रकार ये क्षेत्र जैव विविधता संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और प्राथमिकता वाले माने जाते हैं।

जैव विविधता हॉटस्पॉट घोषित करने के मानदंड
किसी क्षेत्र को हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता देने के लिए निम्न दो शर्तें अनिवार्य हैं:
- उच्च स्थानिकता (Endemism): उस क्षेत्र में कम-से-कम 1,500 स्थानिक संवहनी पौधों की प्रजातियाँ पाई जानी चाहिएँ।
- गंभीर पर्यावास हानि: क्षेत्र की कम-से-कम 70% मूल प्राकृतिक वनस्पति पहले ही नष्ट या क्षरित हो चुकी हो, जिससे यह स्पष्ट हो कि क्षेत्र गंभीर खतरे में है।
वैश्विक स्थिति
अंतरराष्ट्रीय संरक्षण संगठन Conservation International के अनुसार, विश्व में वर्तमान में 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स चिन्हित किए गए हैं। ये क्षेत्र पृथ्वी की कुल स्थलीय सतह का बहुत छोटा भाग हैं, लेकिन इनमें
- विश्व की बड़ी संख्या में ऐसी पादप और प्राणी प्रजातियाँ पाई जाती हैं
- जो दुनिया के अन्य किसी हिस्से में नहीं मिलतीं।
इसी कारण इनका संरक्षण वैश्विक जैव विविधता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
जैव विविधता हॉटस्पॉट घोषित करने का महत्व
1. वैश्विक संरक्षण प्राथमिकता
किसी क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित किए जाने से वह अंतरराष्ट्रीय संरक्षण एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकता प्राप्त करता है।
2. संसाधनों की उपलब्धता
हॉटस्पॉट का दर्जा मिलने पर
- सरकारों
- गैर-सरकारी संगठनों
- अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं
से अधिक वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग प्राप्त होता है, जिससे संरक्षण प्रयासों को बल मिलता है।
3. वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक महत्व
ये क्षेत्र
- विकासवादी प्रक्रियाओं
- पारिस्थितिक संतुलन
- स्थानिक प्रजातियों की भूमिका
को समझने के लिए प्राकृतिक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करते हैं।
भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट्स
भारत विश्व के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से चार का हिस्सा है, जो इसे वैश्विक जैव विविधता संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है:
- वेस्टर्न घाट और श्रीलंका
- हिमालय
- इंडो-बर्मा
- सुंडा शेल्फ (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
पश्चिमी घाट जैव विविधता हॉटस्पॉट: चुनौतियाँ
पश्चिमी घाट क्षेत्र में जैव विविधता पर प्रमुख खतरे हैं:
- वनों की कटाई
- खनन गतिविधियाँ
- बड़े बाँध और अवसंरचना परियोजनाएँ
- असंतुलित शहरीकरण
इन कारणों से पर्यावास का क्षरण और विखंडन तेजी से बढ़ा है।
पश्चिमी घाट के संरक्षण के प्रमुख उपाय
गाडगिल समिति (2011)
Gadgil Committee ने पश्चिमी घाट के बड़े हिस्से को पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) घोषित करने की सिफारिश की। इसके अंतर्गत खनन, बड़े निर्माण और वनों की कटाई जैसी गतिविधियों पर कठोर नियंत्रण प्रस्तावित किया गया।
कस्तूरीरंगन समिति (2013)
Kasturirangan Committee ने ESA क्षेत्र को कम करके लगभग 37% तक सीमित करने का सुझाव दिया।पारिस्थितिक रूप से अति-संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करते हुए शेष क्षेत्रों में नियंत्रित विकास की अनुमति देने की बात कही।
संयुक्त वन प्रबंधन (JFM)
- स्थानीय समुदायों को वनों के संरक्षण में साझेदार बनाया जाता है।
- इसके बदले उन्हें वन संसाधनों से सतत आजीविका लाभ प्रदान किए जाते हैं।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र
- पश्चिमी घाट को जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है।
- इसका उद्देश्य पारिस्थितिक संरक्षण और सतत विकास के बीच संतुलन बनाना है।
ईको-ब्रिज (Eco-Bridge / Eco-duct)
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ईको-ब्रिज क्या हैं ?
ईको-ब्रिज (जिन्हें ईको-डक्ट भी कहा जाता है) ऐसी विशेष रूप से डिज़ाइन की गई संरचनाएँ होती हैं, जिनका उद्देश्य
- सड़कों, रेलवे लाइनों, खनन या वनों की कटाई जैसी
- मानव-निर्मित बाधाओं से टूट चुके वन्यजीव आवागमन मार्गों (Wildlife Corridors) को पुनः जोड़ना होता है।
ये पुल या अंडरपास वन्यजीवों को बिना मानव संपर्क के सुरक्षित रूप से अवरोध पार करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
संरचनात्मक विशेषताएँ
ईको-ब्रिजों पर प्रायः स्थानीय वनस्पति विकसित की जाती है ताकि वे आसपास के प्राकृतिक परिदृश्य के अनुरूप दिखें और वन्यजीव इन्हें प्राकृतिक मार्ग की तरह सहजता से उपयोग कर सकें इससे जानवरों में भय या व्यवहारिक बाधा नहीं उत्पन्न होती।
ईको-ब्रिजों का महत्व
वन्यजीव संपर्क (Connectivity)
ईको-ब्रिज
- खंडित (Fragmented) आवासों को जोड़ते हैं
- प्राकृतिक वन्यजीव गलियारों की निरंतरता बनाए रखते हैं
- जिससे प्रजातियाँ भोजन, प्रजनन और प्रवासन के लिए स्वतंत्र रूप से आवागमन कर सकें
इससे आवास पृथक्करण (Habitat Fragmentation) के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
सड़क दुर्घटनाओं में कमी
- हाईवे और रेलवे पर वन्यजीवों की मृत्यु जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है
- ईको-ब्रिज सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग देकर मानव-वन्यजीव टकराव और दुर्घटनाओं को उल्लेखनीय रूप से घटाते हैं
सतत विकास को बढ़ावा
ईको-ब्रिज
- अवसंरचनात्मक विकास और
- जैव विविधता संरक्षण के बीच व्यावहारिक संतुलन स्थापित करते हैं
इससे आर्थिक विकास जारी रहते हुए भी पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम किया जा सकता है।