New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

बिरसा मुंडा

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय)

संदर्भ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जून, 2025 को आदिवासी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

बिरसा मुंडा के बारे में 

  • परिचय : बिरसा मुंडा भारतीय जनजातीय इतिहास के एक महान नायक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाज सुधारक थे। वे 19वीं सदी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध आदिवासियों के प्रतिरोध के अग्रदूत बने। 
  • जन्म : 15 नवंबर, 1875
  • स्थान : उलिहातू गाँव, खूंटी जिला (अब झारखंड में)
  • उपनाम : धरती आबा (पृथ्वी के पिता), भगवान (ईश्वर के दूत)
  • पिता : सुगना मुंडा
  • माता : करमी हाथी
  • धर्म : प्रारंभ में ईसाई धर्म अपनाया किंतु बाद में अपने पारंपरिक धर्म की ओर लौट आए।
  • शिक्षा : बिरसा ने जर्मन मिशन स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्हें ईसाई धर्म अपनाने को प्रेरित किया गया। उन्होंने कुछ समय बाद स्कूल छोड़ दिया क्योंकि वे मिशनरियों की सोच व आदिवासी संस्कृति पर हो रहे हमलों से असहमत थे।

धार्मिक एवं सामाजिक सुधार

  • बिरसा ने आदिवासियों में एकता व आत्म-सम्मान जगाने के लिए ‘बिरसाइट’ धर्म की स्थापना की जिसमें एकेश्वरवाद (सिंहबोंगा की पूजा) पर जोर दिया गया।
  • उन्होंने आदिवासियों को शराब पीने, जादू-टोना, अंधविश्वास एवं पशु बलि जैसी सामाजिक बुराइयों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया

मुंडा विद्रोह 

इसे ‘उलगुलान’ (महान विद्रोह) के नाम से भी जाना जाता है। यह बिरसा मुंडा के नेतृत्व में झारखंड (तत्कालीन बिहार) के छोटानागपुर क्षेत्र में हुआ एक महत्वपूर्ण आदिवासी विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन एवं जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ आदिवासियों का सबसे बड़ा संगठित प्रतिरोध था।

पृष्ठभूमि एवं कारण

  • जमीन का शोषण : ब्रिटिश शासन ने आदिवासियों की सामुदायिक भूमि व्यवस्था (खुंटकट्टी) को नष्ट कर जमींदारी प्रथा लागू की। इससे मुंडा आदिवासियों की जमीन छिन गई और वे बंधुआ मजदूर बन गए।
  • आर्थिक शोषण : जमींदारों एवं साहूकारों द्वारा भारी कर व ब्याज की दरों के कारण  आदिवासियों पर बढ़ता कर्ज का बोझ 
  • सांस्कृतिक हस्तक्षेप : ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासी संस्कृति एवं परंपराओं पर हमला और धर्मांतरण के प्रयासों से असंतोष में वृद्धि 
  • ब्रिटिश नीतियाँ : वन कानूनों ने आदिवासियों को जंगल से संसाधन इकट्ठा करने से रोका, जो उनकी आजीविका का आधार था।

विद्रोह से संबंधित प्रमुख बिंदु 

  • प्रारंभ : वर्ष 1899 में बिरसा ने जमींदारों एवं ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ हमले शुरू किए और आंदोलन ने जोर पकड़ना शुरू किया।
  • प्रमुख घटनाएँ : मुंडा विद्रोहियों ने जमींदारों की संपत्तियों, पुलिस चौकियों एवं मिशनरी ठिकानों पर हमले किए। 
  • प्रमुख नारा : अबुआ दिशोम रे अबुआ राज (हमारा देश, हमारा राज)
  • रणनीति : बिरसा ने जंगलों का उपयोग कर छापामार युद्ध किया, जिससे ब्रिटिश सेना को चुनौती मिली।
  • ब्रिटिश दमन : 
    • ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिए भारी सैन्य बल तैनात किया।
    • हजारों आदिवासियों को गिरफ्तार किया गया और कई गांवों को नष्ट कर दिया गया।
    • 3 फरवरी, 1900 को बिरसा मुंडा को जामकोपाई जंगल से गिरफ्तार कर लिया गया।
  • अंत और परिणाम
    • 9 जून, 1900 को बिरसा की रांची जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई, जिसे आधिकारिक तौर पर हैजा बताया गया किंतु कई लोग इसे जहर देने का परिणाम मानते हैं।
    • विद्रोह को दबा दिया गया किंतु इसने आदिवासी समुदायों में स्वतंत्रता व आत्म-सम्मान की भावना को मजबूत किया।
    • ब्रिटिश सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ा और छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (1908) जैसे कुछ सुधार लागू किए गए।

सम्मान व स्मृति

  • बिरसा मुंडा की जयंती (15 नवंबर) को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है (भारत सरकार द्वारा 2021 में घोषित)।
  • रांची विश्वविद्यालय, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार और बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (रांची) इनके नाम पर हैं।
  • कई राज्यों में उनकी मूर्तियाँ, स्मारक एवं संग्रहालय स्थापित किए गए हैं।

बिरसा मुंडा न केवल एक आदिवासी नायक थे, बल्कि उन्होंने समूचे भारत को यह दिखाया कि स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय व सांस्कृतिक अस्मिता के लिए कैसे संघर्ष किया जाता है। उनका जीवन आदिवासी चेतना, सामाजिक न्याय एवं राष्ट्रभक्ति की प्रेरणादायक गाथा है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X