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काला धन (Black Money) क्या है? स्रोत, प्रभाव, समाप्त करने के उपाय

Black-Money

  • काला धन वह धन होता है जो सरकारी नियमों और कानूनों के खिलाफ कमाया जाता है और जिसे सरकारी रजिस्टर में नहीं दिखाया जाता है। 
  • यह धन कर चोरी (tax evasion), घोटाले (scams), या अवैध व्यापार (illegal trade) के रूप में उपयोग किया जाता है। 
  • काले धन का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक होता है क्योंकि यह टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार (corruption) और अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है।

काले धन के स्रोत (Sources of Black Money):

  1. कर चोरी (Tax Evasion):
    यह सबसे सामान्य तरीका है, जिसमें लोग अपनी आय (income) को छिपाकर टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं।
  2. घोटाले (Scams):
    सरकारी योजनाओं (schemes), अनुबंधों (contracts) या परियोजनाओं (projects) में गड़बड़ी करके काले धन को इकट्ठा किया जाता है।
  3. अवैध व्यापार (Illegal Trade):
    मादक पदार्थों की तस्करी (drug trafficking), हथियारों की तस्करी (arms smuggling), और अन्य अवैध व्यापार काले धन का प्रमुख स्रोत होते हैं।

काले धन के प्रभाव (Effects of Black Money):

  • अर्थव्यवस्था पर असर (Impact on Economy):
    काले धन के कारण सरकारी राजस्व (government revenue) में कमी आती है, जिससे सरकार के विकास कार्यों और योजनाओं के लिए कम संसाधन मिलते हैं।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा (Promotes Corruption):
    काले धन का इस्तेमाल भ्रष्टाचार बढ़ाने के लिए किया जाता है, क्योंकि कई लोग इसका उपयोग सार्वजनिक कार्यालयों (public offices) और सेवाओं (services) को प्रभावित करने के लिए करते हैं।
  • सामाजिक असमानता (Social Inequality):
    काले धन के कारण समाज में असमानता (inequality) बढ़ती है, क्योंकि इसे मुख्य रूप से उच्च वर्ग (upper class) के लोग कमाते हैं, जबकि गरीब वर्ग (lower class) इससे प्रभावित होता है।
  • उच्च मुद्रास्फीति और असमानता (Higher Inflation and Inequality):
    जब बेहिसाबी धन (unaccounted money) अर्थव्यवस्था में प्रवेश करता है, तो मुद्रास्फीति (inflation) बढ़ जाती है। इससे गरीबों (poor) पर असमान रूप से प्रभाव पड़ता है, क्योंकि उनकी खरीदने की क्षमता (purchasing power) घट जाती है। इसके परिणामस्वरूप, अमीर और गरीब के बीच असमानता (inequality) और भी बढ़ जाती है। 

काले धन को समाप्त करने के उपाय (Measures to Curb Black Money):

  • नागरिक जागरूकता (Public Awareness):-लोगों को काले धन के खतरों (dangers) के बारे में जागरूक करना और इसे पहचानने की दिशा में कदम उठाना।
  • चुनावों में धन के दुरुपयोग को कम करना: चुनाव बेहिसाब धन के इस्तेमाल का एक प्रमुख जरिया है। चुनावों में धन के प्रभाव को कम करने के लिए सुधारों को लागू करना बेहद ज़रूरी है।
    • विधायी उपाय (Legislative Measures):
    • भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive Economic Offenders Act, 2018):
      इस अधिनियम में उन आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गए हैं या कानूनी कार्यवाही का सामना करने के लिए लौटने से इनकार कर रहे हैं।
    • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (Central Goods and Services Tax Act, 2017):
      इसका उद्देश्य अनुपालन (compliance) में आसानी सुनिश्चित करना और कर चोरी (tax evasion) को कम करने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की श्रृंखला द्वारा कर आधार (tax base) को बढ़ाना है।
    • बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 (Benami Transactions (Prohibition) Amendment Act, 2016):
      यह अधिनियम बेनामी लेनदेन को परिभाषित करता है, जो किसी तीसरे पक्ष (जो केवल कागज पर संपत्ति का मालिक है) के नाम पर किया जाता है। इसमें संपत्ति की अनंतिम जब्ती (provisional confiscation), विशेष अदालतें (special courts), अपीलीय तंत्र (appellate mechanism), और 7 वर्ष तक के कारावास (imprisonment) से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
    • काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) तथा कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 (Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) and Imposition of Tax Act, 2015):
      यह अधिनियम विदेशी आय (foreign income) को छिपाने पर दंड (penalties) लगाता है और विदेशी संपत्ति (foreign assets) से संबंधित करों से बचने का प्रयास करने पर आपराधिक दायित्व (criminal liability) स्थापित करता है। इस अधिनियम ने भारतीय निवासियों को किसी भी अघोषित विदेशी आय और संपत्ति का खुलासा (disclosure) करने का एक बार का अवसर प्रदान किया।
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002):
      यह अधिनियम भारत के कानूनी ढांचे का केंद्रीय तत्व है, जो धन शोधन (money laundering) से निपटने के लिए लागू होता है। यह सभी वित्तीय संस्थाओं (financial institutions), बैंकों (including RBI), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों (financial intermediaries) पर लागू होता है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • दोहरा कराधान परिहार समझौते (डीटीएए):
    भारत दोहरे कराधान परिहार समझौतों (Double Taxation Avoidance Agreements - DTAA), कर सूचना विनिमय समझौतों (Tax Information Exchange Agreements - TIEA), और बहुपक्षीय सम्मेलनों के तहत विदेशी सरकारों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है। इन समझौतों के माध्यम से सूचना के आदान-प्रदान को सुविधाजनक और बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कर चोरी को नियंत्रित किया जा सके और कराधान से संबंधित प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।
  • सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान:
    वित्तीय सूचनाओं के सक्रिय आदान-प्रदान के लिए एक बहुपक्षीय व्यवस्था (जिसे "सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान" कहा जाता है) स्थापित करने के प्रयासों में भारत एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। 2017 से सामान्य रिपोर्टिंग मानक (Common Reporting Standard - CRS) पर आधारित यह सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान शुरू हुआ है। इसके तहत, भारत को अन्य देशों में भारतीय निवासियों के वित्तीय खातों की जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला है, जो कर चोरी और अन्य वित्तीय अपराधों को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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