(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन) |
संदर्भ
भारत के समुद्री खाद्य (Seafood) निर्यात क्षेत्र को हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क से बड़ी चुनौती मिली है। इसी पृष्ठभूमि में केरल में ब्लू इकॉनमी कॉन्क्लेव- 2025 का आयोजन हुआ, जहाँ केरल सरकार एवं यूरोपीय संघ (EU) के बीच समुद्री उत्पाद क्षेत्र में साझेदारी पर चर्चा हुई।
भारत में समुद्री खाद्य क्षेत्र
- भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा समुद्री उत्पाद निर्यातक और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जो वैश्विक मत्स्य उत्पाद में लगभग 8% योगदान देता है।
- सरकार ने 2025-26 बजट में मत्स्य क्षेत्र के लिए रिकॉर्ड 2,703.67 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
- वर्ष 2024-25 वित्तीय वर्ष में समुद्री खाद्य निर्यात 6.25 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें फ्रोजन झींगा का हिस्सा दो-तिहाई से अधिक है।
- कुल निर्यात मात्रा 1.78 मिलियन मीट्रिक टन रही।
- प्रमुख निर्यात उत्पाद: झींगा (Shrimp), मछली, केकड़ा, स्क्विड, ऑक्टोपस
- प्रमुख बाजार: अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ, चीन
केरल : अग्रणी राज्य
- केरल भारत के प्रमुख मछली उत्पादक राज्यों में से एक है।
- झींगा और अन्य समुद्री उत्पादों का निर्यात इसकी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है।
- हाल ही में ‘ट्रम्प टैरिफ’ के कारण अमेरिकी बाजार में गिरावट आई, जिससे केरल को वैकल्पिक निर्यात बाजारों की तलाश करनी पड़ी।
ब्लू इकॉनमी कॉन्क्लेव : केरल-ईयू साझेदारी
- ब्लू इकॉनमी कॉन्क्लेव ‘ब्लू टाइड्स’ का आयोजन केरल के कोवलम में हुआ था।
- कॉन्क्लेव में 18 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और 7,288 करोड़ रुपए के 28 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ब्लू इकॉनमी विज़न को अपना रहा है।
- यूरोपीय संघ ने सुझाव दिया कि सहयोग को सुगम बनाने के लिए एक संयुक्त प्लेटफॉर्म एवं नोडल प्वाइंट बनाया जाए।
- यह साझेदारी तकनीक, सतत मत्स्य प्रबंधन, समुद्री प्रशासन और बाज़ार तक पहुंच में मदद करेगी।
लाभ
- नए निर्यात बाजार खुलना और अमेरिकी निर्भरता में कमी
- समुद्री तकनीक एवं स्थिरता में यूरोपीय अनुभव से मदद
- खाद्य सुरक्षा एवं मानकीकरण में सुधार से वैश्विक मानकों पर खरा उतरना आसान
- निवेश और रोजगार के अवसर में वृद्धि
- केरल एवं भारत को ब्लू इकॉनमी में अग्रणी बनाने में मदद
चुनौतियाँ
- यूरोपीय संघ के कड़े गुणवत्ता मानक और प्रमाणन प्रक्रिया
- मत्स्य संसाधनों पर अत्यधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन का खतरा
- लॉजिस्टिक्स व कोल्ड-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
- छोटे मछुआरों को तकनीकी एवं वित्तीय सहायता की आवश्यकता
आगे की राह
- संयुक्त प्लेटफॉर्म और नोडल एजेंसी का शीघ्र गठन
- मछुआरों के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता बढ़ाना
- सतत मत्स्य पालन को बढ़ावा देना
- कोल्ड-चेन, प्रोसेसिंग और ट्रेसबिलिटी में निवेश
- भारत को EU, ASEAN और अन्य वैश्विक बाजारों में संतुलित उपस्थिति बनाने की आवश्यकता
निष्कर्ष
यह साझेदारी न केवल केरल बल्कि पूरे भारत के सीफूड क्षेत्र के लिए रणनीतिक अवसर है। यह साझेदारी भारत के निर्यात को विविध और स्थिर बनाएगी। साथ ही, ब्लू इकॉनमी विज़न 2047 की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।