(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नए एवं कॉम्पैक्ट एयर लॉन्च वर्जन ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) का विकास उन्नत चरण में है तथा ब्रह्मोस की रेंज को 800 किलोमीटर तक बढ़ाने का काम भी जारी है।

ब्राह्मोस मिसाइल के बारे में
- परिचय : ब्राह्मोस (BrahMos) सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को भारत व रूस ने विकसित किया है।
- परियोजना आरंभ : वर्ष 1998 में भारत-रूस संयुक्त समझौता
- निर्माण : ब्रह्मोस एयरोस्पेस साझेदारी के तहत भारत के डी.आर.डी.ओ. एवं रूस के एन.पी.ओ. मशीनोस्ट्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से विकसित
- नामकरण : भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर
- गति : मैक 2.8–3 (सुपरसोनिक)
- रेंज : प्रारंभ में 290 किमी. (अब 450–800 किमी तक विस्तार प्रस्तावित)
- वारहेड क्षमता : 200–300 किग्रा.
- मार्गदर्शन प्रणाली : इनर्शियल नेविगेशन + GPS/NavIC + सक्रिय रडार
- लॉन्च प्लेटफॉर्म : भूमि (सतह), जल, वायु, जलमग्न
- विभिन्न संस्करण :
- जहाज़-आधारित संस्करण : जहाजों से ब्रह्मोस को एक इकाई के रूप में या अधिकतम आठ की संख्या में ढाई सेकंड के अंतराल पर लॉन्च किया जा सकता है।
- भूमि आधारित प्रणाली : भूमि आधारित ब्रह्मोस कॉम्प्लेक्स में चार से छह मोबाइल स्वायत्त लांचर हैं। प्रत्येक लांचर में तीन मिसाइलें होती हैं जिन्हें लगभग एक साथ तीन अलग-अलग लक्ष्यों एवं अलग-अलग कॉन्फ़िगुरेशन पर दागा जा सकता है।
- हवा से लॉन्च किया जाने वाला संस्करण : ब्रह्मोस एयर लॉन्च क्रूज मिसाइल (ALCM) भारत के फ्रंटलाइन फाइटर जेट सुखोई-30 MKI को हथियार देने वाली सबसे भारी मिसाइल है।
- पनडुब्बी से प्रक्षेपित संस्करण : इस संस्करण को पानी की सतह से लगभग 50 मीटर नीचे से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- ब्राह्मोस-एनजी : उन्नत विकास चरण

ब्राह्मोस-एनजी: अगली पीढ़ी की मिसाइल
- परिचय : यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का एक उन्नत, हल्का एवं कॉम्पैक्ट संस्करण है। इसे विशेष रूप से हवाई प्रक्षेपण के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह मिसाइल मूल ब्रह्मोस की तुलना में अधिक लचीलापन, बेहतर एकीकरण एवं विस्तारित परिचालन क्षमता प्रदान करती है।
- उद्देश्य : इसका उद्देश्य ब्रह्मोस मिसाइल की क्षमताओं को अधिक कॉम्पैक्ट, तेज़, बहुप्लेटफ़ॉर्म-संगत एवं अधिक घातक बनाना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- रेंज: 400 किमी. से अधिक
- गति: 2.8 मैक (सुपरसोनिक)
- प्लेटफॉर्म एकीकरण: सुखोई Su-30MKI पर चार मिसाइलें और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस पर दो मिसाइलें ले जाने की क्षमता।
- महत्व : हल्का व कॉम्पैक्ट डिज़ाइन, छोटे एवं स्वदेशी लड़ाकू विमानों पर तैनाती के लिए उपयुक्त है जिससे भारतीय वायु सेना की परिचालन लचीलेपन में वृद्धि होती है।
भू-राजनीतिक और रणनीतिक निहितार्थ
- भारत-रूस सहयोग : ब्रह्मोस-एनजी भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता और सामरिक साझेदारी को दर्शाता है।
- MTCR का प्रभाव : जून 2016 में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भारत की सदस्यता ने ब्रह्मोस की रेंज वृद्धि और तकनीकी उन्नयन को सक्षम किया। यह भारत की वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्वसनीयता को दर्शाता है।
- क्षेत्रीय संतुलन : ब्रह्मोस-एनजी की तैनाती भारत को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में, विशेष रूप से चीन एवं पाकिस्तान के साथ तनाव के संदर्भ में एक रणनीतिक बढ़त देती है।
- रक्षा निर्यात : इसका कॉम्पैक्ट डिज़ाइन और स्वदेशी एकीकरण इसे वैश्विक रक्षा बाजार में निर्यात के लिए आकर्षक बनाता है।
- स्वदेशी लड़ाकू विमानों की उपयोगिता में वृद्धि : ब्राह्मोस-एनजी की क्षमता तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों को भी उच्च-स्तरीय आक्रामक मिशनों में उपयोगी बनाएगी।
- रणनीतिक स्वायत्तता : ब्राह्मोस के विकसित होते संस्करण भारत को अमेरिका, चीन एवं रूस जैसी शक्तियों के समकक्ष सामरिक आक्रामकता प्रदान करते हैं।