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आपदा बांड : भारत में आपदा जोखिम प्रबंधन का एक नया दृष्टिकोण

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आपदा जोखिम बीमा (Disaster Risk Insurance) की अवधारणा को अपनाना भारतीय वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक बन चुका है। भारत की अधिकांश जनसंख्या अप्रत्याशित क्षति व नुकसान का सामना कर रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए आपदा बांड (Catastrophe Bonds या Cat Bonds) प्रभावी उपाय हो सकते हैं।

आपदा बांड (Cat Bond) के बारे में

  • प्रारंभ : वैश्विक स्तर पर 1990 के दशक में अमेरिका में आए तूफानों के बाद, जब पुनर्बीमा कंपनियां (Re-insurance Companies) भी नुकसान में चली गईं, तब आपदा बांड की शुरुआत हुई।
  • परिभाषा : यह बांड एक विशेष प्रकार का वित्तीय उत्पाद है, जो बीमा एवं ऋण (Debt) का मिश्रण है। इन्हें ‘कैट बांड्स’ भी कहते हैं।
    • यह आपदा जोखिम को बीमा कंपनियों से वैश्विक वित्तीय बाजारों तक स्थानांतरित करता है। 
    • इसे एक व्यापार योग्य प्रतिभूति (Tradable Security) के रूप में डिज़ाइन किया जाता है, जो प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को निवेशकों तक पहुंचाता है।
  • उद्देश्य : आपदा के बाद राहत एवं पुनर्निर्माण के लिए त्वरित धन उपलब्ध कराना।
  • विशेषता : यह बांड विशिष्ट आपदाओं, जैसे- भूकंप, चक्रवात या बाढ़ के जोखिम को कवर करता है।
  • लाभ : सामान्य बीमा की तुलना में तेज़ भुगतान एवं कम जोखिम।

आपदा बांड संचालन प्रक्रिया

  • प्रक्रिया
    • एक देश या संगठन (प्रायोजक) बांड जारी करता है और प्रीमियम का भुगतान करता है।
    • बांड का मूलधन (Principal) बीमा राशि के रूप में कार्य करता है।
    • यदि कोई आपदा नहीं होती है तो निवेशक को बांड का मूलधन एवं ब्याज वापस मिलता है।
    • यदि निर्धारित आपदा (जैसे- 6.6 तीव्रता का भूकंप) होती है, तो मूलधन का हिस्सा या पूरा हिस्सा राहत कार्यों में उपयोग होता है और निवेशक को नुकसान होता है।
  • जोखिम एवं ब्याज : आपदा बांड का ब्याज सामान्य बांड से अधिक होता है (1-2% भूकंप के लिए, चक्रवात के लिए अधिक) क्योंकि निवेशक अधिक जोखिम लेते हैं।
  • उदाहरण : यदि भारत 100 मिलियन डॉलर का कैट बांड जारी करता है और भूकंप नहीं आता है, तो निवेशक को ब्याज सहित राशि मिलती है। किंतु भूकंप आने पर यह राशि पुनर्निर्माण में चली जाती है।

आपदा बांड जारीकर्ता हितधारक 

  • प्रायोजक (Sponsor)
    • सार्वभौमिक राष्ट्र : जैसे- भारत, मैक्सिको या फिलीपींस, जो आपदा जोखिम को कम करने के लिए बांड प्रायोजित करते हैं।
    • राज्य सरकारें : विशिष्ट क्षेत्रों में आपदा जोखिम के लिए।
  • मध्यस्थ (Intermediary): 
    • विश्व बैंक : बांड जारी करने और जोखिम प्रबंधन में मदद करता है।
    • एशियाई विकास बैंक (ADB) : क्षेत्रीय आपदा बांड के लिए।
    • पुनर्बीमा कंपनियां : जैसे- स्विस रे, जो जोखिम का मूल्यांकन एवं प्रबंधन करती हैं।
  • निवेशक (Investors): 
    • पेंशन फंड : सबसे बड़े निवेशक, जो जोखिम विविधीकरण चाहते हैं।
    • हेज फंड और फैमिली ऑफिस : जोखिम लेने की क्षमता के साथ।

निवेशकों के लिए आपदा बांड के लाभ

आपदा बांड निवेशकों के लिए आकर्षक होते हैं क्योंकि वे जोखिम विविधीकरण (Risk Diversification) प्रदान करते हैं।

  • जोखिम की स्वतंत्रता
    • आपदा जोखिम (जैसे- भूकंप, चक्रवात) वित्तीय बाजारों (जैसे- शेयर बाजार) से संबंधित नहीं होते हैं।
    • नोबेल पुरस्कार विजेता हैरी मार्कोविट्ज के अनुसार, यह जोखिम विविधीकरण निवेशकों के लिए ‘नि:शुल्क लाभ’ की तरह है।
  • उच्च ब्याज दर : सामान्य बांड की तुलना में कैट बांड का ब्याज (Coupon Rate) अधिक होता है जो जोखिम के बदले प्रोत्साहन है।
  • पोर्टफोलियो स्थिरता : आपदा जोखिम बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता है, जिससे निवेशक का पोर्टफोलियो स्थिर रहता है।
  • वैश्विक मांग : 1990 के दशक से अब तक $180 बिलियन के कैट बांड जारी हुए, जिनमें से $50 बिलियन अभी सक्रिय हैं।

चरम मौसम की घटनाओं में वित्तीय राहत 

आपदा बांड चरम मौसम की घटनाओं, जैसे- चक्रवात, बाढ़ एवं जंगल की आग में वित्तीय राहत प्रदान कर सकते हैं।

  • त्वरित भुगतान : आपदा आने पर राहत एवं पुनर्निर्माण के लिए बांड का मूलधन तुरंत उपलब्ध होता है।
  • जोखिम हस्तांतरण : यह सरकारों को बीमा कंपनियों पर निर्भरता कम करने और वैश्विक वित्तीय बाजारों से धन जुटाने में मदद करता है।
  • उदाहरण : मैक्सिको ने वर्ष 2017 में विश्व बैंक के साथ कैट बांड जारी किया, जिसने भूकंप के बाद त्वरित राहत प्रदान की।
  • भारत में संभावना : भारत में चक्रवात (जैसे- अम्फान) एवं बाढ़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए कैट बांड सार्वजनिक वित्त को सुरक्षित रख सकते हैं।

दक्षिण एशिया के लिए प्रमुख प्रायोजक के रूप में भारत

भारत की आर्थिक स्थिरता एवं क्षेत्रीय नेतृत्व इसे दक्षिण एशिया के लिए कैट बांड का प्रमुख प्रायोजक बनाने की क्षमता प्रदान करता है।

भारत की मजबूती  

  • आर्थिक विश्वसनीयता : भारत की मजबूत क्रेडिट रेटिंग बांड को लागत-प्रभावी बनाती है।
  • जोखिम प्रोफाइल : दक्षिण एशिया में भूकंप (नेपाल, भूटान), चक्रवात (भारत, बांग्लादेश) और सुनामी (श्रीलंका, मालदीव) जैसे विविध जोखिम।
  • प्राकृतिक आपदा में अनुभव : भारत ने आपदा प्रबंधन में $1.8 बिलियन प्रतिवर्ष (2021-22 से) आवंटित किया है, जो जोखिम न्यूनीकरण में उसकी प्रतिबद्धता दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय नेतृत्व : भारत दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक क्षेत्रीय कैट बांड प्रायोजित कर सकता है, जो जोखिम को बांटकर प्रीमियम लागत को कम करेगा।

क्षेत्रीय कैट बांड की संभावना

  • जोखिम विविधता : दक्षिण एशिया में विभिन्न प्रकार की आपदाएँ (भूकंप, चक्रवात, बाढ़) एक संतुलित जोखिम प्रोफाइल बनाती हैं।
  • लाभ : क्षेत्रीय बांड प्रीमियम को कम करेगा और सभी देशों को आपदा राहत के लिए धन उपलब्ध कराएगा।
  • मध्यस्थ : विश्व बैंक या ADB जैसे संगठन भारत के साथ मिलकर इसे लागू कर सकते हैं।
  • उदाहरण : भूकंप (नेपाल, भारत), चक्रवात (बांग्लादेश, भारत) या सुनामी (श्रीलंका) के लिए एक क्षेत्रीय बांड।

आपदा बांड लागू करने में चुनौतियां

  • डिज़ाइन में त्रुटियाँ : यदि बांड का डिज़ाइन सटीक नहीं है (उदाहरण: 6.6 तीव्रता का भूकंप निर्धारित किंतु 6.5 पर भी भारी नुकसान होता है), तो भुगतान नहीं हो सकता है। जोखिम आकलन में गलती से प्रीमियम लागत बढ़ सकती है।
  • उच्च लागत : आपदा न होने पर प्रीमियम का भुगतान व्यर्थ लग सकता है। चक्रवात जैसे उच्च जोखिम वाले बांडों में प्रीमियम अधिक होता है।
  • जागरूकता की कमी : भारत में आपदा बीमा एवं कैट बांड की अवधारणा नई है, जिसके लिए निवेशकों व नीति निर्माताओं में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • विनियामक जटिलताएँ : क्षेत्रीय बांड के लिए दक्षिण एशियाई देशों के बीच समन्वय एवं नीतिगत सामंजस्य की आवश्यकता है।
  • निवेशक रुचि : भारत में कैट बांड के लिए निवेशक आधार (पेंशन फंड, हेज फंड) अभी सीमित है।

आगे की राह : प्रमुख कदम 

  • जोखिम आकलन एवं डिज़ाइन
    • वैज्ञानिक डाटा (जैसे- भूकंप तीव्रता, चक्रवात आवृत्ति) के आधार पर सटीक बांड डिज़ाइन।
    • विश्व बैंक जैसे मध्यस्थों के साथ सहयोग।
  • जागरूकता अभियान
    • निवेशकों एवं जनता के बीच कैट बांड की उपयोगिता के संबंध में जागरूकता
    • वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों में आपदा बीमा को शामिल करना
  • क्षेत्रीय सहयोग
    • दक्षिण एशियाई देशों (SAARC) के साथ क्षेत्रीय कैट बांड के लिए समझौता
    • जोखिम साझा करने के लिए नीतिगत ढांचा विकसित करना
  • आपदा न्यूनीकरण
    • आपदा प्रबंधन एवं बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना, ताकि प्रीमियम लागत कम हो।
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों एवं बुनियादी ढांचे में सुधार
  • निवेशक प्रोत्साहन
    • पेंशन फंड और हेज फंड को कैट बांड में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना
    • कर लाभ या अन्य प्रोत्साहन प्रदान करना
  • पायलट प्रोजेक्ट
    • भारत में छोटे पैमाने पर कैट बांड (जैसे- चक्रवात के लिए) शुरू करना
    • सफलता के आधार पर क्षेत्रीय बांड की ओर बढ़ना

निष्कर्ष

आपदा बांड भारत और दक्षिण एशिया के लिए प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का एक नवाचारी व प्रभावी तरीका हो सकता है। यह न केवल त्वरित वित्तीय राहत प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों के साथ जोखिम साझा करके सार्वजनिक वित्त को भी सुरक्षित करता है।

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