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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की शताब्दी वर्ष : भारत की प्रशासनिक मजबूती का उत्सव

चर्चा में क्यों ?

  • 1 अक्टूबर 2025 से 1 अक्टूबर 2026  को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने शताब्दी वर्ष की घोषणा हुई। 
  • यह मील का पत्थर केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि योग्यता-आधारित भर्ती, निष्पक्षता और भारत की प्रशासनिक प्रणाली की मजबूती का प्रतीक है। 
  • अपने औपनिवेशिक आरंभ से लेकर आधुनिक डिजिटल युग तक, UPSC ने विश्वास, पारदर्शिता और निष्ठा का प्रतीक बने रहते हुए दुनिया की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित परीक्षाओं का संचालन किया है। 
  • यह शताब्दी वर्ष संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता को भी श्रद्धांजलि है, जिन्होंने एक निष्पक्ष संस्था का सपना देखा था जो सिविल सेवा उत्कृष्टता की संरक्षक हो।

UPSC

UPSC क्या है?

  • UPSC (Union Public Service Commission) भारत सरकार की एक संवैधानिक संस्था है।
  • संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 तक UPSC से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
  • UPSC का मुख्य कार्य है –
    1. अखिल भारतीय सेवाओं (IAS, IPS, IFS आदि) और

    2. केंद्रीय सेवाओं (जैसे IRS, IAAS, IPoS आदि) में अधिकारियों की भर्ती करना।

UPSC की प्रमुख परीक्षाएँ

  • Civil Services Examination (CSE) – IAS, IPS, IFS, IRS आदि।
  • NDA & NA – राष्ट्रीय रक्षा अकादमी।
  • CDS – संयुक्त रक्षा सेवा।
  • CAPF – केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Assistant Commandant)।
  • CMS – Combined Medical Services।
  • IES/ISS – Indian Economic Service / Indian Statistical Service।
  • अन्य विशेष सेवाओं की परीक्षाएँ।

सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा UPSC CSE (IAS Exam) मानी जाती है।

औपनिवेशिक जड़ों से संवैधानिक प्राधिकार तक

UPSC की नींव भारत सरकार अधिनियम, 1919 में रखी गई थी, जिसमें शीर्ष सिविल सेवकों की भर्ती के लिए एक तटस्थ आयोग का प्रस्ताव था।

  • 1924: ली आयोग की सिफारिशों के बाद, अक्टूबर 1926 में सर रॉस बार्कर के नेतृत्व में लोक सेवा आयोग की औपचारिक स्थापना हुई।
  • 1935: भारत सरकार अधिनियम के तहत इसे संघीय लोक सेवा आयोग के रूप में पुनर्गठित किया गया।
  • 1950: स्वतंत्र भारत के संविधान के अंतर्गत, अनुच्छेद 315–323 के तहत UPSC को संवैधानिक दर्जा मिला।

वर्तमान में UPSC का कार्यक्षेत्र सिविल सेवाओं से आगे बढ़कर इंजीनियरिंग, वन, चिकित्सा और सांख्यिकीय सेवाओं के लिए भी परीक्षाओं तक विस्तृत हो गया है।

निष्पक्षता और समान अवसर का स्तंभ

  • UPSC की सबसे बड़ी विशेषता है अखंड निष्पक्षता, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में अद्वितीय है। 
  • शहरी, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लाखों उम्मीदवार यह जानते हुए परीक्षा देते हैं कि सफलता केवल योग्यता पर आधारित होगी, न कि संबंध, भूगोल या विशेषाधिकार पर।

UPSC अपनी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय करता है:

  • अनाम मूल्यांकन प्रणालियाँ
  • सख्त भ्रष्टाचार विरोधी प्रोटोकॉल
  • क्षेत्रीय भाषाओं में समान अवसर (22 संविधान-मान्यता प्राप्त भाषाएँ)
  • दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए विशेष व्यवस्था

इस प्रकार UPSC सभी भारतीयों के लिए समान अवसर और लोकतांत्रिक समानता का प्रतीक बन गया है।

भविष्य की दिशा: नवाचार और डिजिटल परिवर्तन

UPSC अपनी दूसरी शताब्दी में डिजिटल युग के साथ तालमेल बना रहा है। हाल के नवाचारों में शामिल हैं:

  • ऑनलाइन आवेदन प्रणाली
  • परीक्षा सुरक्षा के लिए फेस पहचान उपकरण
  • उम्मीदवारों के साथ डिजिटल जुड़ाव के लिए 'प्रतिभा सेतु'
  • भविष्य में AI-सक्षम मूल्यांकन प्रणाली

इन उपायों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, छद्मवेश रोकना और सुगमता बढ़ाना है, जबकि निष्पक्षता और अखंडता के मूल्य बनाए रखें।

संविधान में UPSC से संबंधित प्रावधान

  • लोक सेवा आयोग भारत की भर्ती एजेंसियाँ हैं।
  • अनुच्छेद 312 – संसद को अधिकार है कि वह संघ और राज्यों के लिए एक या एक से अधिक अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services, जिनमें अखिल भारतीय न्यायिक सेवा भी शामिल है) की स्थापना करे।
  • संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): केंद्रीय स्तर की भर्ती एजेंसी।
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC): राज्य स्तर पर प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती एजेंसी।

दोनों स्वतंत्र संवैधानिक निकाय हैं।

संवैधानिक प्रावधान (भाग XIV – अनुच्छेद 315 से 323)

  • अनुच्छेद 315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों का गठन।
  • अनुच्छेद 316 – अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति व कार्यकाल।
  • अनुच्छेद 317 – सदस्यों को हटाने और निलंबित करने का प्रावधान।
  • अनुच्छेद 318 – सेवा शर्तों और नियम बनाने की शक्ति।
  • अनुच्छेद 319 – सदस्य न रहने पर अन्य पद धारण करने का निषेध।
  • अनुच्छेद 320 – आयोगों के कार्य।
  • अनुच्छेद 321 – कार्यों का विस्तार करने की शक्ति।
  • अनुच्छेद 322 – आयोगों का व्यय।
  • अनुच्छेद 323 – वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

(A) संरचना

  • नियुक्ति: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा।
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो)।
  • पुनर्नियुक्ति: सदस्य पुनः नियुक्त नहीं हो सकते।
  • त्यागपत्र: राष्ट्रपति को लिखित रूप में।
  • निष्कासन/निलंबन: केवल राष्ट्रपति के आदेश से, SC को संदर्भ भेजकर।
  • हटाने के कारण:
    • दिवालिया होना।
    • किसी लाभ के पद पर कार्य करना।
    • मानसिक/शारीरिक दुर्बलता।

(B) सेवा शर्तें

  • राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित।
  • नियुक्ति के बाद शर्तों में प्रतिकूल संशोधन नहीं।
  • खर्च भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से।

(C) सेवा अवधि पूरी होने के बाद

  • UPSC अध्यक्ष: भारत/राज्य सरकार के अधीन किसी रोजगार के लिए अपात्र।
  • UPSC सदस्य (अध्यक्ष को छोड़कर): केवल UPSC/SPSC के अध्यक्ष बन सकते हैं, अन्य सरकारी रोजगार के लिए अपात्र।

राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)

(A) संरचना

  • नियुक्ति: अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा।
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु (जो पहले हो)।
  • पुनर्नियुक्ति: सदस्य पुनः नियुक्त नहीं हो सकते।
  • त्यागपत्र: राज्यपाल को लिखित रूप में।
  • निष्कासन/निलंबन: राष्ट्रपति द्वारा, SC को संदर्भ भेजकर।

(B) सेवा शर्तें

  • राज्यपाल द्वारा निर्धारित।
  • नियुक्ति के बाद शर्तों में प्रतिकूल संशोधन नहीं।
  • खर्च राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund of State) से।

(C) सेवा अवधि पूरी होने के बाद

  • SPSC अध्यक्ष: UPSC या SPSC का अध्यक्ष/सदस्य बन सकता है, अन्य सरकारी रोजगार के लिए अपात्र।
  • SPSC सदस्य: UPSC/SPSC के अध्यक्ष या सदस्य बन सकते हैं, अन्य सरकारी रोजगार के लिए अपात्र।

UPSC और SPSC के कार्य

1.परीक्षा आयोजित करना

  • UPSC: संघ सेवाओं के लिए।
  • SPSC: राज्य सेवाओं के लिए।

2.संयुक्त भर्ती में सहयोग

  • UPSC राज्यों के अनुरोध पर संयुक्त भर्ती आयोजित कर सकता है।

3.परामर्श (Consultation)

  • भर्ती पद्धतियों से संबंधित सभी मामलों पर।
  • नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण के मामलों पर।
  • अनुशासनात्मक मामलों पर।
  • राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा संदर्भित मामलों पर।

4.वार्षिक रिपोर्ट

  • UPSC: राष्ट्रपति को रिपोर्ट देता है।
  • SPSC: राज्यपाल को रिपोर्ट देता है।
  • राष्ट्रपति/राज्यपाल संसद/विधानसभा के समक्ष रिपोर्ट और अस्वीकृत सलाह के कारण प्रस्तुत करते हैं।

प्रमुख तथ्य: 

  • स्थापना: ली आयोग (1924) की सिफारिशों पर अक्टूबर 1926।
  • संघीय लोक सेवा आयोग: 1935 में।
  • संवैधानिक UPSC: 1950 के संविधान के तहत।
  • सेवा क्षेत्र: सिविल, इंजीनियरिंग, वन, चिकित्सा और सांख्यिकीय सेवाएँ।
  • उम्मीदवार: प्रारंभिक परीक्षा में प्रति वर्ष 10 लाख से अधिक आवेदन।
  • भाषा और विषय: 22 भारतीय भाषाओं में परीक्षा, 48 वैकल्पिक विषय।
प्रश्न :-UPSC का संवैधानिक दर्जा भारत के संविधान के किस अनुच्छेदों के अंतर्गत आता है?
a) अनुच्छेद 300-310
b) अनुच्छेद 315-323
c) अनुच्छेद 340-345
d) अनुच्छेद 250-260
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