केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB): भारत के भूजल संसाधनों का संरक्षक
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) भारत का एक प्रमुख वैज्ञानिक संगठन है, जो जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के अधीन कार्य करता है।
इसका मुख्य उद्देश्य भूजल संसाधनों का सतत प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिएप्रौद्योगिकी का विकास और प्रसार, उपयोग का विनियमन और नीतियों की निगरानी करना है।
सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक उपयोग में भूजल पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए, CGWB वैज्ञानिक मूल्यांकन, संरक्षण और विनियमन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसकी स्थापना 1970में हुई थी।
पहले इसका नाम एक्सप्लोरेटरी ट्यूब वेल्स ऑर्गनाइजेशन था और यह कृषि मंत्रालय के अधीन आता था।
बाद में इसे केंद्रीय भूजल बोर्ड नाम दिया गया औरजल शक्ति मंत्रालय के अधीन कर दिया गया।
इसका मुख्यालय फरीदाबाद, हरियाणा में स्थित है।
उद्देश्य:-
भारत में भूजल की उपलब्धता और गुणवत्ता का मूल्यांकन करना।
भूजल पुनर्भरण और सतत दोहन को बढ़ावा देना।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को योजना, नीति निर्माण और भूजल विनियमन में सहायता देना।
प्रमुख कार्य:-
1. भूजल मूल्यांकन:-
CGWB पूरे देश मेंजलभृतों (Aquifers) का मानचित्रण करता है।
यह विभिन्न क्षेत्रों में भूजल उपलब्धता, पुनर्भरण क्षमता, और जल गुणवत्ता का मूल्यांकन करता है।
2. निगरानी और सर्वेक्षण:-
बोर्ड के पास25,000+ निगरानी कुएंहैं जो भूजल स्तर और मौसमी प्रवृत्तियों की निगरानी करते हैं।
जल गुणवत्ता की निगरानी में भौतिक, रासायनिक और जैविक परीक्षण शामिल हैं।
3. वैज्ञानिक अध्ययन:-
बोर्ड जलभृतों की जल-भूवैज्ञानिक, भौभौतिकीय और रासायनिक जांच करता है।
अत्यधिक दोहन क्षेत्रों, जल संकट वाले क्षेत्रों और पुनर्भरण क्षमता पर विशेष अध्ययन करता है।
4. नीति और विनियमन:-
CGWB मॉडल भूजल विनियमन तैयार करता है और राज्यों को विशिष्ट दिशानिर्देश प्रदान करता है।
यह केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) को अधिसूचित क्षेत्रों में अनुपालन लागू करने में भी सहायता करता है।
प्रमुख पहलें:
राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम (NAQUIM):
देश के सभी जलभृतों का वैज्ञानिक मानचित्रण।
प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार भूजल विकास और प्रबंधन रणनीति।
सामुदायिक स्तर पर सहभागी जल प्रबंधन को बढ़ावा।
कृत्रिम पुनर्भरण परियोजनाएं:
वर्षा जल संचयन, चेक डैम, पारगम्यता टैंक आदि तकनीकों को प्रोत्साहन।
राज्यों और शहरी निकायों को विकेन्द्रीकृत जल पुनर्भरण प्रणाली अपनाने हेतु प्रेरित करना।
मास्टर प्लान और राज्य सहायता:
कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान तैयार करना।
तकनीकी मार्गदर्शन, हाइड्रोजियोलॉजी में प्रशिक्षण, और संस्थान निर्माण को बढ़ावा देना।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में CGWB का महत्व:
जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा ने भूजल पर दबाव बढ़ा दिया है।
CGWB का डेटा आधारित दृष्टिकोण सूखा संभावित क्षेत्रों के लिएपूर्व चेतावनी प्रणाली तैयार करने में सहायक है।
बोर्ड राष्ट्रीय जल नीतिको वैज्ञानिक इनपुट और भूजल मॉडलिंग प्रदान करता है।
भविष्य की चुनौतियाँ:
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे कृषि प्रधान क्षेत्रों में अत्यधिक दोहन।
औद्योगिक अपशिष्ट और रासायनिक उर्वरकों से जल संदूषण — आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट जैसी समस्याएं।
कई क्षेत्रों में रीयल टाइम निगरानी की कमी और विनियमन का कमजोर कार्यान्वयन।