(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research: ICMR) ने महंगे सी.टी./एम.आर.आई. स्कैन के विकल्प के रूप में अभिघातजन्य मस्तिष्क चोटों (Traumatic Brain Injuries: TBI) का पता लगाने के लिए एक स्वदेशी नैदानिक तकनीक ‘सेरेबो’ (CEREBO) विकसित की है।
क्या है सरेबो
- सेरेबो एक पोर्टेबल, हाथ से पकड़ने योग्य, गैर-आक्रामक मस्तिष्क क्षति निदान उपकरण है जो रंग-कोडित, विकिरण-मुक्त एवं लागत-प्रभावी परिणाम प्रदान कर सकता है।
- यह शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है। इसे मशीन लर्निंग द्वारा संचालित उन्नत निकट-अवरक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है।
- यह मस्तिष्क की चोट का आकलन करने के लिए रक्त-आधारित बायोमार्कर का उपयोग करती है, जिससे उन्नत इमेजिंग पर निर्भरता कम होती है।
लाभ
- यह कम लागत वाला, पोर्टेबल एवं त्वरित निदान उपकरण है। इसका उपयोग केवल 30 मिनट के प्रशिक्षण के साथ पैरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ अकुशल कर्मचारी भी कर सकते हैं।
- यह नया उपकरण एक मिनट के भीतर इंट्राक्रैनील रक्तस्राव और सूजन का पता लगा सकता है और रंग-कोडित, विकिरण-मुक्त और लागत-प्रभावी परिणाम प्रदान करता है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और एम्बुलेंस में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- ग्रामीण एवं संसाधन-सीमित क्षेत्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है जहाँ सी.टी./एम.आर.आई. की पहुँच सीमित है।
भारत में टी.बी.आई. का बोझ
- लगभग 15-20 लाख लोग प्रतिवर्ष टी.बी.आई. से पीड़ित होते हैं।
- प्रमुख कारण: सड़क दुर्घटनाएँ, गिरना और हिंसा
महत्त्व
- शीघ्र निदान एवं समय पर उपचार में वृद्धि के साथ ही मृत्यु दर व विकलांगता को कम करता है।
- चिकित्सा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य सेवा की लागत और आयातित इमेजिंग उपकरणों पर निर्भरता कम करता है।
- आपातकालीन देखभाल और आपदा प्रतिक्रिया में सहायता करता है।
निष्कर्ष
आई.सी.एम.आर. का नवाचार, विशेष रूप से भारत की ग्रामीण आबादी के लिए समान स्वास्थ्य सेवा पहुँच की दिशा में एक कदम है। साथ ही, यह महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों में देश की आत्मनिर्भरता को भी सुदृढ़ करता है।