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जलवायु जोखिम सूचकांक 2026 रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक

जारीकर्ता : जर्मनवॉच संस्था (जर्मनी के बॉन स्थित प्रमुख पर्यावरण एवं विकास संगठन)

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रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

30 वर्षों में चरम मौसम का वैश्विक प्रभाव

  • 8,32,000 से अधिक मौतें
  • 5.7 अरब लोग प्रभावित
  • 4.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक (मुद्रास्फीति समायोजित) नुकसान
  • 9,700 से अधिक चरम मौसम की घटनाएँ (1995–2024)

सबसे अधिक प्रभावित देश 

  • दीर्घकालिक (1995–2024)
  1. डोमिनिका
  2. म्यांमार
  3. होंडुरास
  • वर्ष 2024 में
  1. सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनेडाइंस
  2. ग्रेनेडा
  3. चाड
  • कैरिबियन देशों में वर्ष 2024 में आए कैटेगरी-5 हरिकेन बेरिल ने भारी तबाही मचाई। 
    • वैज्ञानिकों के अनुसार, महासागर के रिकॉर्ड गर्म तापमान ने इस चक्रवात को तेज़ी से मजबूत किया जो जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव है।

सर्वाधिक घातक घटनाएँ

  • हीटवेव और तूफान : कुल मौतों का 33% + 33% = 66%
  • बाढ़ : कुल मौतों का 25%

आर्थिक नुकसान 

  • तूफान : 58% नुकसान (लगभग 2.64 ट्रिलियन डॉलर)
  • बाढ़ : 1.31 ट्रिलियन डॉलर
  • प्रभावित जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा केवल बाढ़ से प्रभावित हुआ।

climate-risk

भारत के सन्दर्भ में

भारत नौवें स्थान पर 

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत पिछले 30 वर्षों में चरम मौसम से सबसे अधिक प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर रहा है। 
  • भारत में लगातार आने वाली बाढ़, भीषण चक्रवात, लंबे समय तक चलने वाले सूखे, और अत्यधिक गर्मी की लहरें (हीटवेव) ने कई क्षेत्रों को बार-बार नुकसान पहुँचाया है।

1995 के बाद भारत में स्थिति:

  • 430 से अधिक चरम मौसम की घटनाएँ
  • 80,000 से अधिक मौतें
  • 1.3 अरब से अधिक लोग प्रभावित
  • 170 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान

रिपोर्ट में प्रमुख आपदाएँ:

  • 1998  गुजरात चक्रवात
  • 1999 ओडिशा सुपर चक्रवात
  • 2013 उत्तराखंड बाढ़
  • 2019 महाराष्ट्र और त्रिपुरा में भीषण बाढ़
  • 2020 चक्रवात अम्फान (पश्चिम बंगाल और ओडिशा सबसे अधिक प्रभावित)

आगे की प्राथमिकताएँ: COP30 के लिए चेतावनी

  • जर्मनवॉच के अनुसार “CRI 2026 के निष्कर्ष बताते हैं कि COP30 को तुरंत वैश्विक उत्सर्जन में कमी, अनुकूलन प्रयासों की तेजी, और हानि-क्षति (Loss and Damage) के लिए प्रभावी वित्तीय समाधान लागू करने होंगे।"
  • रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि : 
    • दीर्घकालिक सूची के टॉप 10 में कोई भी उच्च-आय वाला देश नहीं है।
    • 2024 के 10 में से 8 देश निम्न या निम्न-मध्य आय वर्ग के हैं।
  • अर्थात जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा बोझ उन देशों पर है जो इसके लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं।

COP30 के लिए स्पष्ट संदेश

  • वैश्विक उत्सर्जन में तेजी से कमी
  • वैश्विक अनुकूलन लक्ष्यों (Global Goal on Adaptation) को पूरी तरह लागू करना
  • हानि-क्षति के लिए पर्याप्त और न्यायसंगत वित्तीय सहायता
  • संवेदनशील देशों के लिए एक ठोस रोडमैप
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