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भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक

चर्चा में क्यों ?

  • मृत्यु की स्थिति में निर्माण श्रमिकों को मुआवजा देने के तरीके में अनियमितताओं को चिह्नित करते हुए, दिल्ली विधानसभा में एक नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा आदि प्रदान करने के लिए एकत्र किए गए उपकर का अनुचित उपयोग किया जा रहा था। 
  • वर्ष 2002-19 के दौरान, दिल्ली भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को उपकर के रूप में 3,273.64 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, उपकर और जिसमें से  निर्माण श्रमिकों के कल्याण पर केवल 182.88 करोड़ रुपये (5.59 प्रतिशत) खर्च किए गए।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शहरी विकास विभाग के अनुमोदन के बिना पूंजीगत संपत्ति के विकास के लिए प्राप्त सहायता अनुदान को अनियमित रूप से अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया गया था।

CAG के बारे में -

  • भारत के संविधान के भाग 5 के अंतर्गत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र पद का प्रावधान किया गया है।
  • ये भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के प्रमुख होते हैं। ये सार्वजनिक धन के संरक्षक है और केंद्र तथा राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
  • इनका कर्तव्य भारत के संविधान एवं संसद के कानून के अंतर्गत वित्तीय प्रशासन को बनाए रखना है।
  • डॉ. अम्बेडकर ने कैग को भारतीय संविधान का सबसे अहम् प्राधिकारी बताया था।

कैग के कर्तव्य एवं शक्तियां-

  • अनुच्छेद-149 से 151 के तहत कैग के कर्तव्यों और शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
  • संविधान के अनुच्छेद 149 में बताया गया है कि कैग के कर्तव्यों और शक्तियों को संसद तय करेगा। इसका काम केंद्र, राज्य सरकार और सरकारी संगठनों के सभी खर्चों का ऑडिट करना है यानी हर उस संस्था का ऑडिट जिसमें जनता का पैसा लगा होता है।
  • वह भारत की संचित निधि और भारत के लोक लेखा सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखा से सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।
  • कैग ऑडिट के तहत आने वाले किसी कार्यालय या संगठन और इसके सभी लेन-देनों की जांच कर सकता है, रिकार्ड, पेपर या दस्तावेज मांग सकता है। साथ ही सम्बंधित कार्यकारी से प्रश्न भी पूँछ सकता है।
  • CAG, संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee - PAC) के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करता है।
  • कैग ऑडिट को दो भागों में बांटा गया है

    रेग्युलेरिटी ऑडिटः रेग्युलेरिटी ऑडिट में फाइनेंसियल स्टेटमेंट का ऐनालिसिस किया जाता है और देखा जाता है कि उसमें सभी नियम-कानून का पालन किया गया है या नहीं। इसे कम्पलायंस ऑडिट भी कहते हैं।

    परफॉर्मेंस ऑडिटः परफॉर्मेंस ऑडिट में कैग यह पता करता है कि क्या सरकारी प्रोग्राम शुरू करने का जो मकसद था, वह कम से कम खर्च में सही तरीके से हासिल हो पाया है या नहीं।

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