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भारत में सूक्ष्म वित्त का निगमीकरण एवं वित्तीय समावेशन

संदर्भ

वर्तमान में सूक्ष्म वित्त (Micro Finance) क्षेत्र बैंकिंग सुविधाओं से वंचित ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएँ पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

क्या है सूक्ष्म वित्त 

  • सूक्ष्म वित्त एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को प्रदान की जाती है, जिनके पास अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुँच नहीं होती है। इसे माइक्रोक्रेडिट भी कहा जाता है। 
  • इसका मुख्य लक्ष्य निर्धन लोगों को वितीय सुविधा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
  • इसमें बचत खाते, फंड ट्रांसफर, सूक्ष्म बीमा और सूक्ष्म ऋण जैसी कई सेवाएँ शामिल हैं।

सूक्ष्म वित्त के निगमीकरण के लाभ

पूंजी उपलब्धता में वृद्धि 

निगमीकरण ने MFI को अधिक धन जुटाने में सक्षम बनाया है। इससे उन्हें अपनी पहुँच बढ़ाने और ज़्यादा ग्राहकों तक सेवा प्रदान करने का आधार मिला है

कुशलता और पेशेवर दक्षता

  • सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के निगमीकरण के साथ MFI ने अधिक पेशेवर प्रबंधन प्रथाओं और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाया है। 
  • इससे कामकाज की दक्षता में वृद्धि हुई है और सेवाओं के वितरण को और कुशल तरीके से प्रबंधित किया गया है

वित्तीय समावेशन  

  • सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के निगमीकरण ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। 
  • वित्तीय सेवाओं के प्रावधान में सुधार करके आबादी के वंचित वर्गों को ऋण, बचत और बीमा जैसी सुविधाएं मिली हैं

आर्थिक विकास 

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देकर सूक्ष्म वित्त के निगमीकरण ने छोटे व्यवसायों और उद्यमियों का समर्थन करके आर्थिक विकास में योगदान दिया है

सूक्ष्म वित्त के निगमीकरण के समक्ष चुनौतियाँ 

  • उधारकर्ता की ऋणग्रस्तता यानी लोन वापस ना कर पाने की समस्या 
  • माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं की संख्या में वृद्धि और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से ग्राहकों की साख की जाँच के बिना अधिक ऋण देने की प्रवृत्ति
    • इससे कभी तीव्र वित्तीय तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • व्यावसायीकरण के बढ़ने के साथ MFI द्वारा मुख्य रूप से लोन चुकाने में सक्षम  ग्राहकों को ऋण देना जो निर्धन ग्राहकों के साथ अन्याय को बढ़ावा देता है। 
  • लाभ पर अधिक ध्यान देने के कारण MFI वित्तीय प्रदर्शन को प्राथमिकता देने लगते हैं जो उच्च ब्याज दरों और शुल्क को प्रोत्साहित कर सकता है।

सूक्ष्म वित्त को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयास 

सूक्ष्म वित्त का डिजटलीकरण 

  • सूक्ष्म वित्त के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को अपनाना परिवर्तनकारी साबित हुआ है क्योंकि इसने परिचालन व्यय और समयसीमा को कम कर दिया है। 
  • इससे सूक्ष्म वित्त संस्थान (Micro Finance Institute : MFI) ऋण आवेदन, वितरण और पुनर्भुगतान को ऑनलाइन प्रोसेस करने में सक्षम होने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों तक सेवाओं की पहुँच में वृद्धि हुई है।
  • वर्तमान में मोबाइल फोन भी वित्तीय समावेशन के महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभरे हैं। 
    • मोबाइल बैंकिंग और भुगतान एप्लिकेशन का उपयोग कर MFI आसान और तेज़ लेनदेन को सक्षम करके ग्रामीण और सूदूर क्षेत्रों में ग्राहकों तक पहुँच  सकते हैं।

मलेगाम समिति का गठन 

  • RBI ने समय-समय पर सूक्ष्म वित्त संचालन को सरल बनाने और ग्राहक सुरक्षा की गारंटी देने के लिए कुछ नियम लागू किए हैं। 
  • वर्ष 2010 RBI ने सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में मुद्दों एवं चिंताओं की जाँच के लिए मालेगाम समिति का गठन किया।   
    • समिति की सिफारिशों पर NBFC-MFI के लिए एक व्यापक विनियामक ढाँचा तैयार किया गया, जिसमें ब्याज दर सीमा, मार्जिन सीमा और निष्पक्ष व्यवहार पर दिशा-निर्देश शामिल हैं। 

स्व-नियामक संगठनों का निर्माण 

  • वर्ष 2014 में, RBI ने माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (MFIN) और सा-धन को स्व-नियामक संगठन (SRO) के रूप में मान्यता दी गयी, जो विनियामक अनुपालन सुनिश्चित करने और सर्वोत्तम व्यवहार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • सा-धन भारत में सामुदायिक विकास वित्त संस्थानों का पहला और सबसे बड़ा संघ है। 

RBI द्वारा विनियमन 

  • वर्ष 2022 में, RBI ने सूक्ष्म वित्त में शामिल सभी विनियमित संस्थाओं (RE) के लिए सामंजस्यपूर्ण नियम पेश किए। 
    • जिसका उद्देश्य समान अवसर प्रदान करना, अति-ऋणग्रस्तता के मुद्दों का समाधान करना और पारदर्शी मूल्य निर्धारण और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करना था। 
  • RBI ने डाटा स्थानीयकरण, कई ऋण पर सीमा और सार्वजनिक ऋण रजिस्ट्री के रखरखाव पर भी बल दिया है। 

अन्य पहलें

  • सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
  • उद्यम सहायता मंच
  • पीएम विश्वकर्मा योजना
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
  • स्टैंड-अप इंडिया योजना

आगे की राह 

  • सूक्ष्म वित्त क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने के लिए और अधिक कठोर नियामक प्रबंधन की आवश्यकता है इससे ग्राहकों के लिए बेहतर प्रशासन और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा
  • सामाजिक उद्देश्यों के साथ वित्तीय उद्देश्यों को संतुलित करना इस क्षेत्र को पूर्ण लाभप्रद बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होना चाहिए।
  • विनियामक सुधार,तकनीकी प्रगति और सरकारी कार्रवाई को अधिक बढ़ावा देना चाहिए,जिससे  निर्धन परिवारों तक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
  • किफ़ायती वित्तपोषण की उपलब्धता,देनदारों के बीच वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा और ग्राहक डाटा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • केंद्र एवं राज्यों में नीतिगत संरेखण और सहायक कानूनी ढाँचे का निर्माण किया जाना चाहिए।
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