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देश की पहली हरित ऊर्जा अभिसरण (कन्वर्जेंस) परियोजना 

(प्रारम्भिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 3 : कृषि तथा ऊर्जा)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड– ई.ई.एस.एल. (विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों का एक संयुक्त उद्यम) ने देश की पहली अभिसरण (कन्वर्जेंस) परियोजना को गोवा में लागू करने के लिये नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (डी.एन.आर.ई.) गोवा के साथ समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किये हैं।

मुख्य बिंदु

  • इस परियोजना के तहत किसानों को स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ कुशल ऊर्जा पम्प सेट भी उपलब्ध करवाए जाएंगे, जिससे बिजली की खपत को कम करने के अतिरिक्त कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को बिजली पहुंचाने से जुड़े पारेषण व वितरण घाटे में भी कमी आएगी। इस पहल को कृषि क्षेत्र में सम्भावित नई हरित क्रांति की शुरुआत माना जा रहा है।
  • समझौता ज्ञापन के तहत ई.ई.एस.एल. तथा डी.एन.आर.ई. व्यवहार्यता अध्ययन (Feasibility Studies) तथा उसके पश्चात विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • ई.ई.एस.एल. सभी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को कार्यान्वित करेगा। इसके अंतर्गत कृषि पम्पिंग हेतु उपयोग की जाने वाली सरकारी जमीनों पर 100 मेगावॉट वाली विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी।
  • इसके तहत लगभग 6,300 कृषि पम्पों की जगह ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बी.ई.ई.) द्वारा स्टार रेटेड ऊर्जा दक्ष पम्पों को लगाया जाएगा। साथ ही ग्रामीण घरों हेतु लगभग 16 लाख एल.ई.डी. बल्ब भी वितरित किये जाएंगे।
  • ध्यातव्य है कि जलवायु परिवर्तन वित्तपोषण सम्बंधित कार्यों में वर्तमान में ग्राम उजाला, विकेंद्रीकृत सौर और ग्राम पंचायत स्ट्रीट लाइट कार्यक्रम शामिल हैं।

लाभ

  • ये परियोजनाएँ कृषि और ग्रामीण बिजली की खपत हेतु अक्षय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में तेजी लाएंगी। साथ ही ऊर्जा कुशल पम्पिंग तथा उचित प्रकाश व्यवस्था के जरिये ऊर्जा की उच्च माँग को कम करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देंगी, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में समग्र रूप से स्थिरता स्थापित होगी।
  • इससे वितरण कम्पनियों को दिन के समय बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा पारेषण के नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।
  • इस मॉडल को अन्य राज्यों द्वारा अपनाए जाने से कृषि क्षेत्र में पानी के खर्च पर होने वाले नुकसान में अत्यधिक कमी आएगी।
  • इन परियोजनाओं से सौर ऊर्जा, बैटरी भंडारण तथा कार्बन वित्तपोषण से जुड़े कई लाभों का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • इस अभिसरण पहल के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन करने और सस्ती ऊर्जा तक सभी की पहुँच सुनिश्चित होगी, जिससे ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में कई समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

ई.ई.एस.एल.

  • ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु एन.टी.पी.सी. लिमिटेड, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन और पावरग्रिड द्वारा एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ई.ई.एस.एल.) की स्थापना एक संयुक्त उपक्रम के रूप में की गई।
  • ई.ई.एस.एल. भारत में ऊर्जा दक्षता बाजार को उपयुक्त अवसर देने का प्रयास करती है। इसके नवीन अभिनव व्यवसाय और कार्यान्वयन मॉडल के माध्यम से सम्भावित रूप से 20% तक ऊर्जा की बचत हो सकती है।
  • राज्य की विद्युत वितरण कम्पनियों (डिस्कॉम), विद्युत नियामक आयोग, आगामी ऊर्जा सेवा कम्पनी और वित्तीय संस्थानों आदि की क्षमता निर्माण हेतु संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बी.ई.ई.)

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना वर्ष 2002 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत की गई थी।

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