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क्रिप्टो निवेश और भारतीय निवेशक

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्पत्र- 3: निवेश मॉडल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

बेंगलुरु स्थित क्रिप्टो प्लेटफॉर्म मुड्रेक्स (Mudrex) ने अपने प्लेटफॉर्म की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ दिनों के लिए क्रिप्टो निकासी को अस्थायी रूप से रोक दिया था। मुड्रेक्स का मुख्यालय अमेरिका में है।

क्रिप्टो करेंसी के बारे में 

  • क्रिप्टो करेंसी एक प्रकार की डिजिटल या आभासी मुद्रा है, जिससे संबंधित सभी लेन-देन ऑनलाइन होते हैं। इस लेन-देन को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है।
  • पारंपरिक मुद्राओं के विपरीत क्रिप्टोकरेंसी एक विकेन्द्रीकृत नेटवर्क (आमतौर पर एक ब्लॉकचेन) पर काम करती हैं; अर्थात् वे किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण जैसे सरकार या वित्तीय संस्थान द्वारा नियंत्रित नहीं होती हैं।
  • सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है। अन्य क्रिप्टोकरेंसी में एथेरियम (Ethereum), रिपल (Ripple-XRP), डॉगकॉइन (Dogecoin), कार्डानो (Cardano) और सोलाना (Solana) शामिल हैं।

क्रिप्टो माइनिंग वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से नए क्रिप्टोकरेंसी का निर्माण किया जाता है और लेनदेन सत्यापित किया जाता है।

क्रिप्टो निवेश के बारे में 

क्रिप्टो निवेश एक ऐसी प्रथा है जिसमें लाभ कमाने के उद्देश्य से क्रिप्टो करेंसी को खरीदना, रखना एवं बेचना शामिल है। निवेशक एक्सचेंजों के माध्यम से डिजिटल मुद्राएँ (जैसे- बिटकॉइन, एथेरियम, रिपल) खरीदते हैं और समय के साथ उनके मूल्य में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

भारत में क्रिप्टो करेंसी बाजार

  • स्टेटिस्टा मार्केट इनसाइट्स का अनुमान है कि वर्ष 2025 के अंत तक भारत में क्रिप्टो करेंसी का बाजार राजस्व 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
    • प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व के संदर्भ में भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार लगभग 59.6 अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
  • भारतीय क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपयोगकर्ताओं की संख्या वर्ष 2025 के अंत तक बढ़कर 107.30 मिलियन हो जाएगी। निवेशकों का एक बड़ा हिस्सा (75%) 35 वर्ष से कम आयु वर्ग का है।

भारत में क्रिप्टो निवेशकों के लिए चुनौतियाँ 

नियमों में अस्पष्टता

  • स्पष्ट कानूनों का अभाव : भारत में क्रिप्टो को नियंत्रित करने वाला कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं, जिससे कानूनी परिदृश्य को समझना मुश्किल हो जाता है।
  • नियामक अनिश्चितता : क्रिप्टो पर सरकार का रुख अभी भी विकसित हो रहा है, जिससे निवेशकों में भ्रम एवं भय की स्थिति बनी हुई है।

निकासी प्रतिबंध

  • प्रतिबंधित निकासी : ई एक्सचेंजों ने प्राधिकारियों द्वारा दंड की चिंता के कारण क्रिप्टो निकासी को सीमित या अवरुद्ध कर दिया है।
  • परस्पर विरोधी नीतियां : विभिन्न एक्सचेंजों की नीतियां अलग-अलग होती हैं, जिसके कारण निकासी प्रक्रिया और शर्तों के बारे में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • बायनेन्स (एक वैश्विक एक्सचेंज) भारतीय उपयोगकर्ताओं को बिना किसी प्रतिबंध के क्रिप्टो निकासी की अनुमति देता है, जबकि CoinSwitch और CoinDCX भारतीय कानूनों का पालन करने के लिए निकासी को रोकते हैं।

KYC एवं अनुपालन मुद्दे

  • सख्त KYC आवश्यकताएं : क्रिप्टो निवेशकों को धन शोधन विरोधी कानूनों का पालन करने के लिए विस्तृत पहचान सत्यापन (KYC) से गुजरना होता है, जो समय लेने वाला और बोझिल हो सकता है।
  • अनुपालन जोखिम : एक्सचेंजों व उपयोगकर्ताओं को भारतीय कानूनों एवं अंतर्राष्ट्रीय विनियमों दोनों का अनुपालन सुनिश्चित करना होता है, जिससे जटिलता बढ़ती है।
  • मूल्य हेरफेर : क्रिप्टो बाजार कभी-कभी बड़े निवेशकों से प्रभावित होते हैं, जिससे कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव होता है।

सुरक्षा चिंताएँ

  • हैकिंग व धोखाधड़ी : क्रिप्टो एक्सचेंज एवं वॉलेट साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हैं।
  • निवेशक सुरक्षा का अभाव : पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों के विपरीत, साइबर अपराध या धोखाधड़ी के कारण होने वाली हानि के मामले में कोई आधिकारिक सुरक्षा नहीं है।

कराधान और वित्तीय विनियमन

  • अस्पष्ट कर नीतियां : क्रिप्टो लाभ पर कराधान अभी भी पूरी तरह से परिभाषित नहीं है।
  • एकीकृत ढांचे का अभाव : क्रिप्टो कराधान और विनियमन पर स्पष्ट दिशानिर्देशों का अभाव इस क्षेत्र में निवेशकों एवं व्यवसायों दोनों के लिए अनिश्चितता पैदा करता है।

वैश्विक प्लेटफार्मों तक सीमित पहुंच

  • अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज तक पहुंच : कई वैश्विक एक्सचेंज भारतीय कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं करते हैं, जिससे निवेशकों को ऐसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिनमें सीमित सुविधाएं या अधिक जोखिम हो सकता है।
  • कानूनी और वित्तीय बाधाएँ : कुछ अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज भारतीय उपयोगकर्ताओं को प्रतिबंधित करते हैं या विनियामक चुनौतियों का सामना करते हैं, जिससे निवेशकों के लिए वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाना मुश्किल हो जाता है।

बेहतर निकासी के लिए सुझाव 

  • स्पष्ट विनियमन : भारत में क्रिप्टो निकासी को सुचारू रूप से सक्षम करने के लिए स्पष्ट विनियमन की आवश्यकता है। यह निवेशकों एवं एक्सचेंज दोनों की सुरक्षा में मदद करेगी।
  • तकनीकी जानकारी : क्रिप्टो निवेशकों को अपना पहला व्यापार करने से पहले ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, क्रिप्टो कीमतों को प्रभावित करने वाले तकनीकी कारकों, भारत के क्रिप्टो कर कानूनों और मूल्य अस्थिरता के जोखिमों की गहरी समझ होनी चाहिए।
  • प्रभावी ग्राहक सेवा : किसी एक्सचेंज के माध्यम से बड़ी मात्रा में धन निवेश करने से पहले उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वे कंपनी की ग्राहक सेवा से संतुष्ट हैं अथवा नहीं। 
  • निवेशक जागरूकता : क्रिप्टो निवेशकों को एक्सचेंजों पर शोध करने, जोखिमों को समझने और अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कानूनी विकास संबंधी मुद्दों के प्रति सक्रियता दिखानी चाहिए।
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