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दाओजाली हाडिंग : असम का नवपाषाण युगीन स्थल

(प्रारंभिक परीक्षा : प्राचीन भारतीय इतिहास)

संदर्भ

हाल के सर्वेक्षणों में, असम के डिमा हसाओ जिले में स्थित नवपाषाण युगीन (लगभग 2,700 वर्ष पुराना) स्थल दाओजाली हाडिंग से प्राप्त अवशेष, विशेष रूप से एक भट्टी और लौह स्लैग, इस स्थल को पूर्वोत्तर भारत में एक प्रमुख प्रागैतिहासिक बस्ती के रूप में स्थापित करते हैं।

दाओजाली हाडिंग : एक प्रागैतिहासिक स्थल

पृष्ठभूमि

  • इस स्थल की खोज 1960 के दशक में लुमडिंग-हफलॉन्ग सड़क निर्माण के दौरान हुई। 
  • हालांकि, सड़क निर्माण ने इस स्थल को काफी क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे इसकी नवपाषाण युगीन विरासत दब गई।

प्रारंभिक उत्खनन (1962-1964 & 1985)

  • गुवाहाटी विश्वविद्यालय के मानवशास्त्र विभाग के प्रोफेसर टी.सी. शर्मा और एम.सी. गोस्वामी द्वारा करवाए गए 
  • इस उत्खनन के दौरान पॉलिश किए हुए दोहरे कंधों वाले सेल्ट, रस्सी-चिह्नित मिट्टी के बर्तन, मोर्टार, पेस्टल और जेडाइट पत्थर मिले, जो इस स्थल को पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई नवपाषाण सांस्कृतिक परिसर से जोड़ते हैं।
  • प्रोफेसर शर्मा ने वर्ष 1985 में इस स्थल का दोबारा दौरा किया, जिसके आधार पर हाल के सर्वेक्षण किए गए।

हालिया सर्वेक्षण आधारित नई खोज के बारे में

  • सर्वेक्षण का नेतृत्व : नॉर्थ कछार हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल (NCHAC) के पुरातत्व विभाग के श्रींग दाओ लांगथासा और भुबंजॉय लांगथासा ने सर्वेक्षण का नेतृत्व किया।
  • प्रमुख निष्कर्ष
    • लौह स्लैग और भट्टी : पहली बार लौह स्लैग (धातु तलछट) और एक भट्टी की खोज हुई, जो प्रारंभिक धातुकर्म गतिविधियों का प्रमाण है। 
      • यह खोज इस स्थल को केवल पाषाणकालीन उत्पादन स्थल से अधिक, एक आवासीय बस्ती के रूप में स्थापित करती है।
    • अन्य अवशेष : रस्सी-चिह्नित और कम ताप पर पके मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, पीसने और पॉलिश करने वाले पत्थर, पॉलिश किए हुए तीर के सिरे, हाफ्टेड सेल्ट, छोटे आकार के एड्ज, टूटे हुए औजार, अधूरे फ्लेक्स और चारकोल नमूने।
    • खाइयों से निष्कर्ष: चार परीक्षण खाइयों में चूना पत्थर के जमाव, लौह युक्त सामग्री और अन्य अवशेष मिले, जो तकनीकी विविधता और स्थल पर औजार निर्माण को दर्शाते हैं।
  • विश्लेषण: लौह युक्त सामग्रियों का अध्ययन गुवाहाटी विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में और अवशेषों, मिट्टी व अन्य नमूनों का विश्लेषण IIT गुवाहाटी की पुरातत्व विज्ञान प्रयोगशाला में हो रहा है।
  • महत्त्व : यह खोज पूर्वोत्तर भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करती है, जो क्षेत्रीय अध्ययन और नीति निर्माण के लिए प्रासंगिक है।

इसे भी जानिए!

दाओजाली हाडिंग के बारे में

  • यह असम के डिमा हसाओ जिले में स्थित नवपाषाण युगीन आवासीय स्थल है।
  • विविध घरेलू और उपयोगी अवशेष इस स्थल को एक स्थायी नवपाषाण बस्ती के रूप में पुष्ट करते हैं।
  • लौह स्लैग और भट्टी की खोज प्रागैतिहासिक भारत में धातुकर्म की शुरुआत को दर्शाती है, जो इस क्षेत्र की तकनीकी प्रगति को उजागर करती है।
  • यह स्थल पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई नवपाषाण सांस्कृतिक परिसर से जुड़ा है, जो भारत के पूर्वोत्तर की प्राचीन संस्कृतियों के व्यापक नेटवर्क को दर्शाता है।
  • यह स्थल भारत के पूर्वोत्तर में प्रागैतिहासिक सामुदायिक जीवन का एक महत्वपूर्ण चिह्न है।
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