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महँगाई भत्ता : एक कानूनी अधिकार

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक एवं राजनीतिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

16 मई, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को अपने कर्मचारियों को 25% महंगाई भत्ता (Dearness Allowance : DA) देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को भुगतान के लिए तीन माह का समय दिया है।

महँगाई भत्ता के बारे में 

  • यह सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों को बढ़ती कीमतों से निपटने में मदद करने के लिए दिया जाने वाला अतिरिक्त धन है। 
  • भारत में इसकी शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी, जब सरकार ने महँगाई के बढ़ते स्तर को देखते हुए इसे लागू किया। 
  • तब से यह भत्ता समय-समय पर संशोधित किया गया है और वर्तमान में यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
  • इसकी गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index: CPI) के आधार पर की जाती है। जब CPI में वृद्धि होती है तो महँगाई भत्ता भी बढ़ता है। यह भत्ता प्राय: कर्मचारियों के मूल वेतन या पेंशन का एक निश्चित प्रतिशत होता है।

प्रमुख लाभ 

  • कर्मचारियों की संतुष्टि : महँगाई भत्ता कर्मचारियों की संतुष्टि को बढ़ाता है जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है।
  • प्रतिभा का संरक्षण : यह भत्ता कर्मचारियों को संगठन में बनाए रखने में मदद करता है जिससे प्रतिभा का संरक्षण होता है।
  • सामाजिक सुरक्षा : महँगाई भत्ता सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कर्मचारियों को आर्थिक संकट के समय में सहारा देता है।

हालिया मुद्दे के बारे में

  • पश्चिम बंगाल में सरकारी कर्मचारियों को डी.ए. का भुगतान केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तुलना में काफी कम रहा है जिसके कारण कर्मचारियों ने लंबे समय से विरोध प्रदर्शन किए हैं।
    • वर्तमान में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 55% डी.ए. देती है।
    • जबकि, पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के कर्मचारियों को 1 अप्रैल, 2025 को मौजूदा 14% में अतिरिक्त 4% जोड़ने के बाद 18% डी.ए. मिलता है।
    • अभी भी 37% का अंतर बना हुआ है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

  • न्यायालय ने डी.ए. बकाया का 25% बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।
  • इस 25% बकाया भुगतान के लिए राज्य को 10,000 करोड़ का अतिरिक्त व्यय करना होगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय द्वारा महंगाई भत्ता एक कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकार है।

संबंधित अन्य मामले 

  • नकुल बेरी बनाम भारत संघ (1986) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि डी.ए. कर्मचारियों का एक अभिन्न अधिकार है जो उनके जीवनयापन की लागत को संतुलित करता है।
  • केरल उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 में अपने एक निर्णय में कहा था कि डी.ए. का भुगतान न करना कर्मचारियों के साथ भेदभाव है और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।

चुनौतियाँ

  • राजकोषीय दबाव : डी.ए. में वृद्धि से सरकारी खर्च बढ़ता है जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। यह विशेष रूप से आर्थिक मंदी के दौरान चुनौतीपूर्ण है।
  • असमान कार्यान्वयन : कुछ राज्य सरकारें डी.ए. भुगतान में देरी करती हैं जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता है।
  • निजी क्षेत्र में अभाव : डी.ए. मुख्यत: सरकारी कर्मचारियों तक सीमित है जिससे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में असमानता की भावना पैदा होती है।

आगे की राह 

  • नीतिगत सुधार : डी.ए. की गणना एवं संशोधन के लिए एक स्वचालित व पारदर्शी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र में समावेश : निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी महँगाई से निपटने के लिए समान उपायों पर विचार किया जा सकता है।
  • जागरूकता : कर्मचारियों को उनके डी.ए. से संबंधित कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए।
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