(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों व राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय, भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास व रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के तहत छात्रों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि पांच वर्षों में सबसे कम रही।
उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के बारे में
- क्या है : RBI की LRS योजना भारतीय निवासियों को प्रति वित्त वर्ष $250,000 तक वर्तमान या पूंजी खाता लेनदेन के लिए प्रेषण की अनुमति देती है।
- उद्देश्य :
- शिक्षा, यात्रा, चिकित्सा उपचार, संपत्ति खरीद एवं विदेशी स्टॉक में निवेश।
- नाबालिगों सहित निवासियों के लिए लेनदेन की सुविधा।
प्रेषण में कमी संबंधी प्रमुख तथ्य
- कुल प्रेषण : FY 2025 (वित्त वर्ष 2025) में LRS के तहत प्रेषण $29.56 बिलियन रहा, जो FY 2024 के $31.74 बिलियन से 6.84% कम था।
- छात्र प्रेषण : FY 2025 में $2.92 बिलियन रहा, जो FY 2024 के $3.48 बिलियन से 16% कम था।
- FY 2019-20 में उच्चतम स्तर $4.98 बिलियन था।
- यात्रा प्रेषण : FY 2025 में $16.96 बिलियन था, पिछले वर्ष के $17 बिलियन से मामूली कम है।
- पिछले चार वर्षों में 144% वृद्धि (FY 2020-21 में $6.95 बिलियन)।
- कुल LRS का 57% हिस्सा, FY 2014 में 1.5% से वृद्धि।
- विदेशी निवेश : विदेशी इक्विटी एवं डेट (Debt) में निवेश 12.51% बढ़कर $1.699 बिलियन (FY 2025), पिछले वर्ष $1.51 बिलियन।
- स्रोत पर एकत्रित कर (TCS) :
- वर्ष 2025 के बजट में स्रोत पर एकत्रित कर (TCS) सीमा 7 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए की गई।
- विदेशी टूर पैकेज पर 20% TCS (1 अक्तूबर 2023 से), सामान्य LRS लेनदेन पर 5% TCS
छात्र प्रेषण में कमी के कारण
सख्त वीजा नीतियाँ
- कनाडा, अमेरिका एवं यू.के. में भारतीय छात्रों को स्टडी परमिट में 25% की कमी
- कनाडा में जनवरी-मार्च 2025 में 30,640 परमिट, जोकि वर्ष 2024 की समान अवधि से 31% कम है।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता
वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण शिक्षा एवं यात्रा योजनाएँ स्थगित।
महामारी का प्रभाव
- कोविड-19 के बाद पहली बार छात्र प्रेषण में कमी।
- FY 2019-20 में भारतीय छात्रों की विदेशी विश्वविद्यालयों में भारी भागीदारी।
भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव
आर्थिक प्रभाव
- विदेशी शिक्षा की लागत में वृद्धि और प्रेषण में कमी से परिवारों पर बोझ।
- भारतीय छात्रों की विदेशी शिक्षा योजनाओं में बदलाव।
सामाजिक प्रभाव
- सख्त वीजा नियमों से भारतीय छात्रों की गतिशीलता पर प्रभाव।
- वैकल्पिक शिक्षा गंतव्यों (जैसे- ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी) की खोज।
नीतिगत प्रभाव
- TCS सीमा बढ़ने से शिक्षा एवं यात्रा व्यय पर राहत।
- वैश्विक वीजा नीतियों से भारतीय छात्रों के अवसरों में कमी।
चुनौतियाँ
- सख्त वीजा नियमों से भारतीय छात्रों के अवसरों में कमी।
- वैश्विक आर्थिक अस्थिरता से शिक्षा एवं यात्रा पर प्रभाव।
नीतिगत सुझाव
- भारत को घरेलू शिक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना चाहिए।
- वैश्विक वीजा नीतियों पर राजनयिक संवाद बढ़ाना चाहिए।
- वैकल्पिक प्रेषण एवं निवेश मार्गों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
निष्कर्ष
FY 2025 में LRS के तहत प्रेषण में 6.84% की कमी, विशेष रूप से छात्र प्रेषण में 16% की गिरावट, सख्त वीजा नीतियों एवं वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को दर्शाती है। TCS सीमा में वृद्धि से शिक्षा एवं यात्रा क्षेत्र को राहत है किंतु वैश्विक नीतियाँ चुनौती बनी हुई हैं। भारत को घरेलू शिक्षा को मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर राजनयिक प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।