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लद्दाख राज्य की मांग: संघर्ष और आंदोलन की कहानी

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

संदर्भ

24 सितंबर 2025 को लेह (लद्दाख) में राज्य दर्जे और छठी अनुसूची की मांग कर रहे विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हुए।

लद्दाख : राज्य दर्जे की मांग

  • जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में यह आंदोलन पांच वर्षों से चल रहा है, जो लद्दाख की जनजातीय आबादी (90% से अधिक) की सांस्कृतिक और आर्थिक सुरक्षा की मांग करता है।
  • राज्य दर्जे की मांग वर्ष 2019 से तेज हुई, जब जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (बिना विधानसभा) में विभाजित किया गया। 
  • स्थानीय लोग पहले जम्मू-कश्मीर से अलगाव चाहते थे, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) दर्जे के बाद उन्हें लगा कि उनकी स्वायत्त हिल डेवलपमेंट काउंसिल की शक्तियां कम हो गईं। 
  • नौकरियों की कमी, भर्ती प्रक्रिया में देरी और बाहरी प्रभावों से भूमि व वन संसाधनों पर खतरा बढ़ा। 
  • लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) जैसे संगठन चार-सूत्री एजेंडे पर जोर दे रहे हैं: 
    1. राज्य का दर्जा 
    2. छठी अनुसूची का विस्तार 
    3. लेह-कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें 
    4. रोजगार में आरक्षण
  • ये मांगें न केवल प्रशासनिक हैं, बल्कि लद्दाख की जनजातीय संस्कृति, पर्यावरण और आर्थिक हितों की रक्षा का प्रतीक हैं।

छठी अनुसूची की मांग क्यों

  • लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) से है, इसलिए छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244 के तहत) की मांग मजबूत है। 
  • यह अनुसूची पूर्वोत्तर राज्यों (असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा) में जनजातीय बहुल क्षेत्रों के लिए स्वायत्त जिला परिषद (ADC) बनाती है। 
    • ADC में 30 सदस्य होते हैं, जो भूमि, वन, जल, कृषि, स्वास्थ्य, स्वच्छता और स्थानीय पुलिसिंग जैसे विषयों पर कानून बना सकते हैं।
    • वर्तमान में 10 ADC कार्यरत हैं।
    • लद्दाख में यह लागू होने से स्थानीय जनजातियां बाहरी प्रभावों (जैसे खनन कंपनियों) से अपनी भूमि और संसाधनों की रक्षा कर सकेंगी। 
  • भाजपा ने वर्ष 2019 चुनाव में यह वादा किया था, लेकिन अमल नहीं हुआ। 
  • कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का कहना है कि केंद्रीय नौकरशाही औद्योगिक हितों से प्रभावित हो रही है, जो लद्दाख की घाटी में खनन चाहते हैं।

केंद्र का जवाब

  • केंद्र सरकार ने लद्दाख की मांगों पर वर्ष 2023 से LAB और KDA के साथ बातचीत की है, लेकिन प्रगति धीमी रही।
  • गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्य दर्जे की मांग और छठी अनुसूची पर 'सक्रिय विचार' चल रहा है, लेकिन 24 सितंबर 2025 की हिंसा के बाद मंत्रालय ने सोनम वांगचुक पर आरोप लगाया कि उनके 'उकसाने वाले' भाषणों (अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन जी प्रदर्शनों का जिक्र) ने भीड़ भड़काई। 
  • वांगचुक के अनशन को 'राजनीतिक साजिश' बताया गया। 
  • लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता ने शांति की अपील की और सुरक्षा समीक्षा बैठक बुलाई। 
    • हिंसा के बाद, लेह में कर्फ्यू लगाया गया, 50 लोग गिरफ्तार हुए और अतिरिक्त अर्धसैनिक बल तैनात किए गए। 
  • विपक्ष (कांग्रेस, सीपीआई(एम)) ने केंद्र की 'क्रूर दमनकारी' नीति की निंदा की, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर उकसाने का आरोप लगाया। 
  • सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध को दबाया नहीं गया, लेकिन हिंसा अस्वीकार्य है।

सोनम वांगचुक कौन हैं

  • सोनम वांगचुक लद्दाख के एक इंजीनियर, नवप्रवर्तक और जलवायु कार्यकर्ता हैं। 
  • वे टिकाऊ उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हैं और वर्ष 2009 की हिंदी फिल्म '3 इडियट्स' में आमिर खान के किरदार 'रैंचॉड तासम' को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं। 
  • वर्ष 2018 में उन्हें रेमन मैगसेसे पुरस्कार मिला, जो लद्दाखी युवाओं के लिए शिक्षा सुधार और समुदाय-आधारित विकास के लिए था। 
  • वांगचुक ने दूरस्थ उत्तरी भारत में सीखने की प्रणाली को सुधारने के लिए सहयोगी दृष्टिकोण अपनाया, जो अल्पसंख्यक समुदायों के लिए उदाहरण है। 
  • वे पर्यावरण, शिक्षा और स्थानीय शासन पर काम करते हैं, और लद्दाख की सांस्कृतिक संरक्षण के प्रतीक हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया 

  • गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए प्रमाणपत्र रद्द कर दिया है। 
  • आधिकारिक जांच के अनुसार, सोनम वांगचुक ने वर्ष 2021-22 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम का उल्लंघन करते हुए एसोसिएशन के एफसीआरए खाते में 3.5 लाख रुपये जमा किए थे।
  • इस एनजीओ को प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता जैसे मुद्दों पर शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए एक स्वीडिश दानदाता से 4 लाख 93 हजार 205 रुपये भी मिले थे। 
  • मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्र की संप्रभुता पर अध्ययन के लिए विदेशी अंशदान स्वीकार नहीं किया जा सकता और यह कृत्य देश के राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है।
  • एफसीआरए की धारा 8(1)(ए), 17, 18, 19 और धारा 12(4) के तहत पंजीकरण की शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए, मंत्रालय ने एनजीओ के एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द करने के अपने अधिकारों का प्रयोग किया।

आगे की राह

  • लद्दाख आंदोलन के भविष्य में शांति और संवाद ही कुंजी है। वांगचुक ने कहा कि युवाओं की बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की उम्मीद है। 
  • केंद्र को तत्काल बातचीत फिर शुरू करनी चाहिए, जिसमें राज्यता पर स्पष्टता हो। 
  • लद्दाख को यूटी से राज्य बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसदीय प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। 
  • युवाओं को रोजगार और शिक्षा पर फोकस बढ़ाना होगा, ताकि हिंसा न फैले। 
  • बाहरी हस्तक्षेप (चीन सीमा पर) को ध्यान में रखते हुए, केंद्र को जनजातीय सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। 
  • यदि मांगें पूरी न हुईं, तो 'दिल्ली चलो पदयात्रा' जैसे और आंदोलन हो सकते हैं। 
  • अंततः, लद्दाख की मांग भारत की विविधता की रक्षा का प्रतीक है; समय है कि केंद्र इसे गंभीरता से ले।
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