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भारत में सामाजिक न्याय का विकास

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा: सामान्यअध्ययन प्रश्नपत्र 2;  केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।)

चर्चा में क्यों

20 फरवरी 2025 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2025 का आयोजन किया गया।

social-justice

विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2025 के बारे में

  • परिचय: यह दिवस, समाजों के भीतर और उनके बीच एकजुटता, सद्भाव और अवसर की समानता को बढ़ावा देते हुए गरीबी, सामाजिक बहिष्कार और बेरोजगारी को दूर करने हेतु कार्रवाई के लिए एक वैश्विक आह्वान के रूप में कार्य करता है।
    • यह व्यापार, निवेश, तकनीकी प्रगति और आर्थिक विकास के माध्यम से अवसर सृजित करने के महत्त्व पर बल देता है।
    • शांति, सुरक्षा तथा सभी के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के सम्मान के बिना सामाजिक न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  • घोषणा : संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 26 नवंबर, 2007 को 62 वें सत्र के दौरान।
  • प्रारंभ: यह दिवस वर्ष 2009 से हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है।
  • दृष्टिकोण:सामाजिक विकास एवं सामाजिक न्याय राष्ट्रों के भीतर और उनके मध्य शांति तथा सुरक्षा प्राप्त करने  व इसे बनाए रखने के लिए अपरिहार्य है।
  • विश्व सामाजिक न्याय दिवस के प्रमुख उद्देश्य
    • गरीबी, बहिष्कार और बेरोजगारी से निपटना
    • निष्पक्षता, समानता और विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना
    • सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना
    • कार्यस्थल सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों को लागू करना
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) भी वर्ष 2008 में अपनाई गई "निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर घोषणा" के माध्यम से इस दिशा में योगदान कर रहा है।

भारत में सामाजिक न्याय का विकास

  • भारत वर्ष 2009 से विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन कर रहा है।
  • सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण की दृष्टि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन तथा संविधान द्वारा सभी नागरिकों (विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदाय) के लिए समानता, सम्मान एवं न्याय सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण में गहराई से निहित है।
  • भारत का संविधान विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है जिसका उद्देश्य सामाजिक असमानताओं को समाप्त करना और वंचित समूहों के कल्याण को बढ़ावा देना है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर प्रमुख संवैधानिक प्रावधान

  • प्रस्तावना :प्रस्तावना सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के साथ ही स्थिति और अवसर की समानता की गारंटी देती है। यह  व्यक्तिगत गरिमा  तथा राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए भाईचारे को बढ़ावा देकर भेदभाव से मुक्त न्यायपूर्ण और समावेशी समाज की नींव रखती है।
  • मौलिक अधिकार (भाग III) : अनुच्छेद 23 मानव तस्करी और जबरन मजदूरी पर रोक लगाता है, जिससे ऐसी प्रथाएँ कानून द्वारा दंडनीय हो जाती हैं। अनुच्छेद 24 खतरनाक व्यवसायों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाते हुए बच्चों के सुरक्षा और शिक्षा के अधिकारों की रक्षा करता है। ये अधिकार कमजोर समूहों को शोषण से बचाते हैं।
  • राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (DPSP) (भाग IV) :अनुच्छेद 37 के अनुसार डी.पी.एस.पी. कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं हैं, लेकिन शासन के लिए आवश्यक हैं। 
    • अनुच्छेद 38 राज्य को सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने का निर्देश देता है। 
    • अनुच्छेद 39 समान आजीविका, उचित मजदूरी और शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित करता है। 
    • अनुच्छेद 39A वंचितों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता की गारंटी देता है। 
    • अनुच्छेद 46 भेदभाव को रोकने के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति और कमजोर वर्गों के लिए विशेष शैक्षिक  एवं आर्थिक प्रोत्साहन को अनिवार्य बनाता है ।

भारत सरकार की प्रमुख सामाजिक न्याय पहल

  • विशेष मंत्रालय की स्थापना: वर्ष 1985-86 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई।
  • बजट में वृद्धि: केंद्रीय बजट 2025-26 में कल्याणकारी योजनाओं का पूर्ण कवरेज सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को 13,611 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष2024-25 से 6% अधिक है।
  • प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) : वर्ष 2021-22 में शुरू की गई यह योजना अनुसूचित जाति (SC) बहुल गांवों में कौशल विकास, आय सृजन और बुनियादी ढाँचे के माध्यम से एस.सी. समुदायों के उत्थान के लिए तीन योजनाओं को एकीकृत करती है। 
    • इसके तीन घटक हैं: आदर्श ग्राम विकास , सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता और उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रावास निर्माण। 
  • श्रेष्ठ योजना : इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में अनुदान प्राप्त संस्थानों और उच्च गुणवत्ता वाले आवासीय विद्यालयों को सहायता प्रदान करके सेवा अंतराल को पाटना है। 
  • पर्पल फेस्ट :सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग द्वारा वर्ष 2023 से आयोजित यह त्यौहार एक अधिक समतापूर्ण समाज की दिशा में एक आंदोलन है, जो सभी के लिए पहुँच, सम्मान और समान अवसर के मूल्यों की वकालत करता है।
  • नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) : यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त पहल के रूप में वित्त वर्ष 2023-24 में लॉन्च किया गया है। 
    • इसका उद्देश्य शहरी भारत में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना है। 
  • आजीविका और उद्यम के लिए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों के लिए सहायता (SMILE) : यह योजना एक व्यापक पहल है जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और भीख मांगने में लगे लोगों का पुनर्वास करना है। 
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य भिखारियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाकर 'भिक्षावृत्ति मुक्त भारत' बनाना है। 
  • पीएम-दक्ष योजना : 7 अगस्त , 2021 को शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और सफाई कर्मचारियों सहित हाशिए पर पड़े समुदायों के कौशल स्तर को बढ़ाना है, ताकि उन्हें मुफ्त कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। 
  • नशा मुक्त भारत अभियान : 15 अगस्त 2020 को शुरू किए गए नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय सर्वेक्षण और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इनपुट के माध्यम से पहचाने गए 272 उच्च जोखिम वाले जिलों को लक्षित करके भारत को नशा मुक्त बनाना है।

निष्कर्ष

दुनिया आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में विश्व सामाजिक न्याय दिवस समानता और समावेशन के प्रति प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करता है और हमें याद दिलाता है कि कहीं भी अन्याय समस्त मानवता को प्रभावित करता है। हालाँकि सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

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