
- 21वीं सदी की डिजिटल क्रांति ने जहां एक ओर संचार, व्यापार और सेवा क्षेत्रों को गति दी है, वहीं दूसरी ओर इसने साइबर अपराधियों को भी तकनीकी छल की नई राहें दिखा दी हैं।
- इन्हीं उभरते साइबर अपराधों में से एक है "डिजिटल अरेस्ट" (Digital Arrest)— एक ऐसा फर्जी और भय पर आधारित स्कैम, जो भारत सहित दुनिया के कई देशों में आम नागरिकों को ठगने का माध्यम बन चुका है।
डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) क्या है? – परिभाषा और कार्यप्रणाली
डिजिटल अरेस्ट एक नकली कानूनी गिरफ्तारी की साइबर तकनीक है, जिसमें ठग:
- खुद को CBI, पुलिस, ED, आयकर या सीमा शुल्क अधिकारी के रूप में पेश करते हैं।
- वीडियो कॉल / वॉइस कॉल / मैसेजिंग के जरिये व्यक्ति से संपर्क करते हैं।
- पीड़ित पर कोई गंभीर आरोप (जैसे ड्रग्स की तस्करी, बैंक धोखाधड़ी, पासपोर्ट जब्ती, मनी लॉन्ड्रिंग) लगाते हैं।
- गिरफ्तारी या सज़ा से बचने के लिए "जमानत के नाम पर" अथवा "जांच में सहयोग हेतु" तुरंत धनराशि की मांग करते हैं।
- इनमें AI आधारित वॉइस क्लोनिंग, फर्जी बैकग्राउंड (जैसे पुलिस स्टेशन), पेशेवर प्रतीत होने वाले सरकारी लोगो और वीडियो सिमुलेशन शामिल होता है, जिससे व्यक्ति भ्रमित हो जाता है।
भारत में स्थिति और आँकड़े (2024 के आधार पर)
तथ्य
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विवरण
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संबंधित एजेंसी
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भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
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रिपोर्टिंग अवधि
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जनवरी – अप्रैल 2024
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कुल वित्तीय नुकसान
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₹120.30 करोड़
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मुख्य संचालन क्षेत्र
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म्यांमार, लाओस, कंबोडिया
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मुख्य माध्यम
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वीडियो कॉल, WhatsApp कॉल, स्पूफ कॉल, नकली वेबसाइट
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टारगेट
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वरिष्ठ नागरिक, नौकरीपेशा, अकेले रहने वाले युवा, अनजान डिजिटल उपयोगकर्ता
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डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) के प्रकार / विधियां
- स्पूफ कॉलिंग: कॉल भारत के नंबर से आती है, लेकिन असल में विदेश से की गई होती है।
- AI आधारित वॉइस इमिटेशन: अधिकारी जैसी आवाज का उपयोग कर डर पैदा किया जाता है।
- फेक वीडियो कॉल: नकली यूनिफॉर्म, ऑफिस सेटिंग, पहचान पत्र आदि दिखाए जाते हैं।
- WhatsApp / Telegram संदेश: संदेहास्पद दस्तावेज, गिरफ्तारी वारंट आदि भेजे जाते हैं।
- फर्जी वेबसाइट / पोर्टल: सरकारी वेबसाइट जैसे दिखने वाले नकली पोर्टल से ईमेल / नोटिस भेजे जाते हैं।
डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) में वृद्धि के कारण
- डिजिटल लेन-देन में तेज़ी:-UPI, मोबाइल बैंकिंग और QR कोड जैसे माध्यमों से पैसा भेजना आसान हो गया है।
- साइबर सुरक्षा जागरूकता की कमी:-कई लोग यह नहीं जानते कि कोई भी एजेंसी गिरफ्तारी के लिए फोन पर भुगतान नहीं मांगती।
- AI और Deepfake तकनीक की प्रगति:-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नकली आवाज़ और चेहरे आज भ्रम पैदा कर सकते हैं।
- रिमोट एक्सेस ऐप्स का दुरुपयोग:- AnyDesk, TeamViewer जैसे ऐप्स से पीड़ित के फोन या लैपटॉप पर नियंत्रण पा लिया जाता है।
- सामाजिक दबाव और डर:- “अरेस्ट”, “पुलिस केस”, “पासपोर्ट सीज़” जैसे शब्द सुनकर आम नागरिक बिना सोचे डर जाते हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम
- I4C – भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत स्थापित।
- साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए CFMC (Cyber Fraud Mitigation Centre) का संचालन।
- CFMC की कार्यप्रणाली:
- प्रमुख बैंकों, पेमेंट गेटवे, टेलीकॉम कंपनियों और पुलिस इकाइयों के साथ समन्वय।
- शिकायत मिलने पर ट्रांजैक्शन तुरंत रोकने की व्यवस्था।
- स्पूफ कॉलिंग की रोकथाम:
- सरकार और टेलीकॉम कंपनियों द्वारा ऐसे तकनीकी तंत्र का विकास जिससे विदेशी कॉलिंग को ब्लॉक किया जा सके, जो भारत से की गई प्रतीत होती है।
- संयुक्त प्रबंधन सूचना प्रणाली:
- राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के बीच इंटर-स्टेट साइबर अपराध का डेटा साझा करना।
- अपराधियों के नेटवर्क और गतिविधियों की मैपिंग।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in):
- ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा।
- महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों को प्राथमिकता देने का प्रावधान।
CERT-In द्वारा सुझाई गई साइबर सुरक्षा सावधानियां
सावधानी
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विवरण
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कॉल की पहचान की जाँच करें
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क्या कॉलर सरकारी एजेंसी से है? संदेह होने पर पूछताछ करें।
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गोपनीय जानकारी न दें
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OTP, बैंक पासवर्ड, Aadhar नंबर कभी साझा न करें।
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किसी के कहने पर ऐप इंस्टॉल न करें
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AnyDesk, TeamViewer जैसी ऐप्स से धोखा हो सकता है।
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अनजान लिंक न खोलें
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लिंक में वायरस या ट्रैकिंग कोड हो सकता है।
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साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत संपर्क करें
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जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे, धन वसूली की संभावना उतनी बढ़ेगी।
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न्यायिक एवं विधिक पहलु
- भारत में Information Technology Act, 2000 और IPC की विभिन्न धाराएं (419, 420 आदि) डिजिटल धोखाधड़ी दंडनीय अपराध हैं।
- अपराधियों की गिरफ्तारी और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को पकड़ने के लिए भारत Interpol और ASEAN देशों से सहयोग करता है।