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ई- गवर्नेंस तथा स्थानीय शासन व्यवस्था 

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा, प्रश्नपत्र – 2; शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई – गवर्नेंस – अनुप्रयोग , मॉडल, सफलताएँ , सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपायों से सबंधित विषय )

संदर्भ

भारत में तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण ने स्थानीय निकायों के प्रभावी शासन व सेवा वितरण (Service Delivery) को जन कल्याण का केंद्रीय विषय बना दिया है।

ई-गवर्नेंस-  नागरिक सेवाओं, व्यावसायिक उद्यमों के साथ सहयोग तथा विभिन्न सरकारी संगठनों के मध्य संचार एवं सहयोग हेतु सरकार के सभी स्तरों पर सूचना तथा संचार प्रौद्यौगिकी का उपयोग।

आवश्यकता

  • स्मार्ट सिटी में डिजिटल अवसंरचना के माध्यम से स्थानीय शासन द्वारा शहरों की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
  • स्थानीय शासन में निर्णय-निर्माण हेतु गुणवत्तापूर्ण डाटा की आवशयकता होती है, जो  स्मार्ट तंत्र के माध्यम से प्राप्त हो सकते है।
  • देश में स्थानीय शासन की जटिलता तथा इसमें अनेक विभागों के सम्मिलित होने के कारण इनमें सुधार की दिशा में ई-गवर्नेंस एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • स्मार्ट सिटी, स्मार्ट विभागों व कार्यप्रणालियों का एक नेटवर्क होता है। इनमें परस्पर सहयोग होने पर स्थानीय शासन को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है।

डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते कदम 

  • राष्ट्रीय ई-शासन योजना को सूचना प्रौद्यौगिकी विभाग, संचार एवं सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शासन व्यवस्था में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
  • वर्तमान में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा ‘ई-जिला परियोजना’ चलायी जा रही है, जिसका उद्देश्य स्थानीय शासन से जुडी विभिन्न सेवाओं जैसे- आय, जाति एवं निवास प्रमाणपत्रों तथा राशन कार्ड, विधवा तथा वृद्धा पेंशन आदि की ऑनलाइन पहुँच सुनिश्चित करना है।
  • सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता तथा दक्षता सुलभ करने के लिये ‘ई-पंचायत’ परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • जनधन-मोबाइल- आधार (J-A-M TRINITY) के माध्यम से अनेक सब्सिडी सेवाओं को उपलब्ध कराया गया है।

लाभ

  • स्थानीय शासन व्यवस्था में ई-गवर्नेंस से विभिन्न विभागों के मध्य सहयोग व समन्वय से शासन में दक्षता तथा पारदर्शिता में वृद्धि होती है।
  • नागरिक सेवाएँ सुलभ होने से जनता का सरकार में विश्वास बढ़ता है, फलत: सरकार में स्थायित्व आता है।
  • ई-गवर्नेंस से कुशल डाटा उपलब्ध होता है, जिसका उपयोग विभिन्न सेवाओं की प्रभावी उपलब्धता में किया जा सकता है।
  • ई-गवर्नेंस द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं के लक्षित वर्गों तक सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित कर समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

चुनौतियाँ 

  • भारत के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में विभिन्न रिकॉर्ड कागज़ पर दर्ज़ हैं। यदि इनका डिजटलीकरण किया गया तो इनमें कुछ त्रुटियाँ व विसंगतियाँ आने की संभावना है।
  • भारत में अभी भी डिजिटल बुनियादी अवसंरचना का अभाव है जो इसकी सफलता को सीमित करती है।
  • भारत में डिजिटल-डिवाइड (Digital-Divide) की अवधारणा अभी भी विद्यमान है, जो इसके लाभों को सीमित करती है।

आगे की राह

  • स्थानीय निकायों के प्रमुखों द्वारा ई-गवर्नेंस के लाभों को साझा कर आम नागरिकों को इसे अपनाने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये, जैसे आंध्र प्रदेश के स्थानीय निकायों ने डिजिटल तकनीकों का प्रयोग कर हर सप्ताह औसतन 11 घंटे की बचत की है।
  • डिजिटल तकनीकों को अपनाने के लिये चरणबद्ध लक्ष्य निर्धारित किये जाने चाहिये और परिवर्तन के दौरान कर्मचारियों को पर्याप्त शिक्षा तथा तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जानी चाहिये।
  • ई-गवर्नेंस के लिये अपनाए गए परिवर्तन नागरिकों के बेहतर अनुभव तथा सशक्तीकरण में परिलक्षित होने चाहिये।
  • किसी कार्य, विभाग या शहर की ई-गवर्नेंस क्षमता का आकलन इस आधार पर किया जाता है कि ये प्रक्रियाओं,मानव संसाधन तथा नागरिक-केंद्रीयता में डिजिटल तकनीकों को लागू करने में कितने सक्षम हैं।
  • डिजिटल तकनीकों को अपनाने से विभिन्न विभाग सहयोग के लिये एक-साथ आते हैं, फलत: प्रभावोत्पादकता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

वर्तमान में भारत तेज़ी से ई-गवर्नेंस की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल बुनियादी अवसंरचना में सुधार इसकी सफलता में सहायक होगा। भारत को इस तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिये, ताकि हम एक समावेशी शासन व्यवस्था को सुनिश्चित कर सकें।

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