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कृषि ऋण में सुलभता

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

  • कृषि वित्तपोषण को मजबूत करने के लिए प्रमुख उपाय के रूप में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2025-26 में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के अंतर्गत ऋण सीमा को 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया है। 
  • भारत की 46% आबादी कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में संलिप्त है, इसलिए किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा और सुलभ ऋण सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में 

  • प्रारंभ : वर्ष 1998 में
  • नोडल मंत्रालय : कृषि एवं कल्याण मंत्रालय (नाबार्ड के सहयोग से)
  • उद्देश्य : किसानों को सस्ती दर पर बाधा मुक्त ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • विशेषताएँ
    • किसानों को 7% की रियायती ब्याज दर पर अल्पकालिक के.सी.सी. ऋण प्रदान किया जाता है। 
      • समय पर पुनर्भुगतान के लिए 3% अतिरिक्त अनुदान दिया जाता है, जिससे प्रभावी दर 4% हो जाती है। 
    • वित्तीय संस्थानों को 1.5% की संशोधित ब्याज अनुदान योजना (MIRS) के तहत एक अग्रिम ब्याज अनुदान प्रदान किया जाता है।
    • बैंक 1.60 लाख रुपए तक का जमानत-मुक्त ऋण प्रदान कर सकता है।
    • वर्ष 2019 में के.सी.सी. योजना का विस्तार करके पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन को भी इस योजना में शामिल किया गया।
  • यह योजना निम्नलिखित कार्यों के लिए सहायता प्रदान करती है :
    • कटाई के बाद की गतिविधियाँ : खेती एवं कटाई के बाद की लागत के लिए धन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • विपणन ऋण : किसानों को वित्तीय घाटे को पाटने में मदद करना, जब तक कि वे अपनी उपज को प्रतिस्पर्धी बाजार दरों पर नहीं बेच पाते हैं।
    • घरेलू उपभोग की आवश्यकताएँ : आवश्यक घरेलू खर्चों को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भरता को रोकना।
    • कृषि परिसंपत्तियों के लिए कार्यशील पूंजी : आवश्यक कृषि उपकरणों एवं बुनियादी ढांचे के रखरखाव में सहायता करना।
    • संबद्ध गतिविधियों के लिए निवेश ऋण : पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन एवं अन्य कृषि विस्तारों तक वित्तीय पहुंच का विस्तार करना।

कृषि क्षेत्र की उपलब्धियाँ

  • मार्च 2024 तक देश में 7.75 करोड़ चालू के.सी.सी. खाते हैं जिन पर 9.81 लाख करोड़ रुपए का ऋण बकाया है।

  • मत्स्य पालन एवं पशुपालन गतिविधियों के लिए क्रमशः 1.24 लाख के.सी.सी. व 44.40 लाख के.सी.सी. जारी किए गए।
  • पिछले 10 वर्षों में किसान क्रेडिट कार्ड ऋणों पर 1.44 लाख करोड़ रुपए की ब्याज सब्सिडी जारी की गई है। 
  • यह 2014-15 में 6,000 करोड़ से लगभग 2.4 गुना बढ़कर 2023-24 में 14,252 करोड़ हो गई है।

  • वर्ष 2014-15 से कृषि के लिए संस्थागत ऋण प्रवाह लगभग तीन गुना बढ़ गया है जो 2023-24 में 8.5 लाख करोड़ से बढ़कर 25.48 लाख करोड़ हो गया है। 
  • अल्पकालिक कृषि ऋण दोगुना से अधिक हो गया है जो वर्ष 2014-15 में 6.4 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 15.07 लाख करोड़ हो गया है।

  • कृषि ऋण प्राप्त करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों का अनुपात 2014-15 में 57% से बढ़कर 2023-24 में 76% हो जाएगा।

निष्कर्ष

केंद्रीय बजट के तहत वित्तीय सहायता बढ़ाकर, सरकार किसानों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत कर रही है। यह पहल न केवल कृषि विकास को बढ़ावा देती हैं बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ाती हैं, जिससे भारत में एक लचीले और आत्मनिर्भर कृषक समुदाय का मार्ग प्रशस्त होता है।

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