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विदेशी न्यायाधिकरणों की शक्तियों में वृद्धि

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध)

संदर्भ

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आव्रजन एवं विदेशी अधिनियम, 2025 को लागू करने के लिए नियम, आदेश व छूट आदेश अधिसूचित किए हैं।

आव्रजन एवं विदेशी अधिनियम, 2025

  • इस अधिनियम ने पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920; विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939; विदेशी अधिनियम, 1946 और आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000 जैसे कई अधिनियमों को प्रतिस्थापित किया है।
  • केंद्र सरकार के अनुसार भारत में प्रवेश करने और यहाँ से बाहर जाने वाले व्यक्तियों के संबंध में पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों पर कानूनों की बहुलता और अतिव्यापन से बचने तथा विदेशियों के वीजा, पंजीकरण व आव्रजन मुद्दों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता थी। 
    • हालाँकि, नव अधिसूचित आव्रजन एवं विदेशी नियम, आव्रजन एवं विदेशी आदेश, आव्रजन एवं विदेशी (छूट) आदेश में अधिकांश प्रावधान पूर्व में जारी अधिसूचनाओं में थे।
  • इसके तहत विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreign Tribunals: FT) को बढ़ी हुई शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। I 
  • इसका उद्देश्य भारत (विशेष रूप से असम) में नागरिकता निर्धारण की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाना है।

विदेशी न्यायाधिकरण के बारे में 

  • यह विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 के तहत स्थापित अर्ध-न्यायिक निकाय है। 
  • इसे यह निर्णय लेने के लिए स्थापित किया गया है कि कोई व्यक्ति ‘विदेशी’ है (अवैध रूप से भारत में रह रहा है)। 

आव्रजन एवं विदेशी नियम, 2025

आव्रजन ब्यूरो के अधिकार में वृद्धि 

  • संशोधित नियमों ने पहली बार आव्रजन ब्यूरो (BOI) को निम्नलिखित मामलों में कानूनी रूप से अधिकृत किया है-  
    • आव्रजन धोखाधड़ी के मामलों की जाँच करने में 
    • विदेशियों की पहचान करके उन्हें निर्वासित करने में  
    • उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने में 
    • आव्रजन डाटाबेस तैयार करने व उसे बनाए रखने आदि के लिए राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने में 
  • BOI पहले भी इसी तरह के कार्य करता था किंतु उसकी भूमिका नियामक की थी और कानून में इसका उल्लेख नहीं है। 

अनिवार्य बायोमेट्रिक जानकारी

  • इन नियमों में सभी विदेशियों की बायोमेट्रिक जानकारी दर्ज करने का कानूनी प्रावधान शामिल किया गया है जोकि पहले कुछ वीज़ा श्रेणियों तक सीमित था और गृह मंत्रालय के कार्यकारी आदेशों के माध्यम से लागू होता था।

शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका 

  • शैक्षणिक संस्थानों को BOI के अधीन काम करने वाले विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को सभी विदेशी छात्रों के बारे में सूचित करना होगा। 
  •  इसके अतिरिक्त उन्हें सेमेस्टर-वार ‘शैक्षणिक प्रदर्शन’ सारांश जैसे उपस्थिति विवरण और ‘सामान्य आचरण’ रिपोर्ट भी प्रदान करनी होगी।

विदेशी की परिभाषा का विस्तार 

  • पूर्व में ‘नागरिक प्राधिकरण’ किसी भी रिसॉर्ट, क्लब या मनोरंजन स्थल जैसे परिसर को बंद करने का निर्देश दे सकता था यदि वहाँ पर अवांछनीय या अपराध में शामिल या किसी गैरकानूनी संगठन के विदेशी सदस्य आते हों।
    • नए नियमों में ‘अवैध प्रवासी’ को भी इस सूची में शामिल किया गया है।

आव्रजन आधिकारी की परिभाषित भूमिका 

नियमों में एक ‘आव्रजन अधिकारी’ की भूमिका को परिभाषित किया गया है जो खुफिया ब्यूरो द्वारा उपलब्ध कराए गए अधिकारी होंगे।

आव्रजन एवं विदेशी आदेश, 2025 

  • अब तक असम के लिए विशिष्ट रहे विदेशी न्यायाधिकरण को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समान अधिकार दिए गए हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति यह सिद्ध करने में विफल रहता है कि वह ‘विदेशी नहीं है’ तो विदेशी न्यायाधिकरण उक्त व्यक्ति को हिरासत केंद्र या होल्डिंग सेंटर भेजने का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • नवीनतम आदेश, विदेशी न्यायाधिकरण को उस व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार देता है जिसकी राष्ट्रीयता को चुनौती दी गई है और जो व्यक्तिगत रूप से पेश होने में विफल रहता है।
  • संशोधित आदेश के तहत न्यायाधिकरण में सदस्यों की संख्या तीन तक सीमित कर दी गई है जबकि पूर्व में इसमें सदस्यों की अनिर्दिष्ट संख्या हो सकती थी। 
  • नए नियम के तहत यदि अपीलकर्ता 30 दिनों के भीतर समीक्षा याचिका दायर करता है तो एकपक्षीय आदेश रद्द किए जा सकते हैं।
  • यद्यपि नवीनतम आदेश पूरे देश में लागू है किंतु विदेशी न्यायाधिकरण केवल असम में ही कार्यरत हैं। 
    • अन्य राज्यों में अवैध प्रवासी को स्थानीय अदालत में पेश किया जाता है।
  • यह आदेश सीमा सुरक्षा बलों या तट रक्षकों को भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए कानूनी रूप से अनुमति देता है। 
    • इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार के निर्दिष्ट पोर्टल पर उनकी बायोमेट्रिक जानकारी और उपलब्ध जनसांख्यिकीय विवरण प्राप्त करने के बाद वापस भेजा जा सकता है। 

आव्रजन एवं विदेशी (छूट) आदेश, 2025

  • यह आदेश नेपाली, भूटानी नागरिकों और तिब्बतियों को इस अधिनियम के प्रावधानों से छूट देता है।
  • इसमें दो अन्य श्रेणियाँ भी जोड़ी गई हैं: 
    • पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिक जिन्होंने 9 जनवरी, 2015 तक भारत में शरण ली है, उन्हें अधिनियम 2025 की धारा 3 (पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज़ या वीज़ा की आवश्यकता) की उप-धारा (1), (2) एवं (3) के प्रावधानों से छूट दी गई है। 
    • इस अधिसूचना में अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश व पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों के गैर-दस्तावेजी सदस्यों को भी दंडात्मक प्रावधानों और संभावित निर्वासन से छूट दी गई है, यदि वे 31 दिसंबर, 2024 से पहले बिना पासपोर्ट या वीज़ा के या समाप्त हो चुके यात्रा दस्तावेज़ों के साथ भारत में प्रवेश करते हैं।
  • गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया हा कि इन तीनों देशों के अल्पसंख्यक दीर्घकालिक वीज़ा (LTV) के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो नागरिकता के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है। 
    • हालाँकि, यह श्रीलंकाई तमिलों पर लागू नहीं है।

हालिया परिवर्तनों का महत्त्व 

  • नागरिकता संबंधी विवादों के लिए एक अर्ध-न्यायिक तंत्र प्रदान करता है।
  • एन.आर.सी. से बाहर किए गए लोगों के लिए कानूनी उपाय सुनिश्चित करता है।
  • न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाकर लंबित मामलों को कम करने का लक्ष्य रखता है।

चिंताएँ

  • स्वप्रेरणा शक्तियों के कारण मनमानी का जोखिम
  • नागरिकता सिद्ध करने के लिए व्यक्तियों पर सबूतों का भारी बोझ
  • कमज़ोर समूहों के लिए संभावित मानवीय चुनौतियाँ

आगे की राह

  • न्यायाधिकरण के कामकाज में निष्पक्ष प्रक्रिया, कानूनी सहायता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करना
  • गलत तरीके से बाहर होने से बचाव के लिए अपीलीय तंत्र को मज़बूत करना
  • न्यायाधिकरण प्रक्रियाओं को समानता और न्याय के संवैधानिक सुरक्षा उपायों के साथ संरेखित करना
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