(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 4: निजी एवं सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था में नैतिक मुद्दे; नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता) |
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणालियाँ जैसे ChatGPT, Gemini, Perplexity, Grok इत्यादि, केवल एल्गोरिद्म और कंप्यूटिंग शक्ति पर नहीं, बल्कि हजारों एआई श्रमिकों (एनोटेटर्स) के अदृश्य श्रम पर भी निर्भर हैं। वे डेटा लेबलिंग और हानिकारक सामग्री फ़िल्टरिंग से एआई को सुरक्षित बनाते हैं, परन्तु उनकी कार्यदशाओं को लेकर अनेक नैतिक प्रश्न उठ रहे हैं।
तकनीकी दृष्टि से एआई मॉडल “डेटा से सीखने वाली मशीन” हैं। लेकिन मशीनें कच्चे (raw) डेटा को सीधे नहीं समझ पातीं। यह काम एआई श्रमिकों (एनोटेटर्स) द्वारा किया जाता है जो कि निम्न तरीकों से किया जाता है-
इस प्रकार एनोटेटर्स का कार्य एआई को “स्मार्ट” और “सुरक्षित” दोनों बनाता है।
एनोटेटर्स अक्सर विकासशील देशों की आउटसोर्सिंग कंपनियों से जुड़े होते हैं। वे डेटा टैगिंग और हानिकारक सामग्री छाँटने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, फिर भी तकनीकी नवाचार और नैतिक बहसों में अदृश्य रहते हैं।
सबसे बड़ी नैतिक समस्या है कम पारिश्रमिक। एनोटेटर्स को अक्सर कुछ डॉलर प्रति घंटा ही मिलते हैं और वे अस्थायी ठेकों पर बिना सामाजिक सुरक्षा या स्थिरता के काम करते हैं।
एनोटेटर्स को हिंसक और अश्लील सामग्री छाँटनी पड़ती है, जिससे तनाव और आघात हो सकता है, पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रायः उपलब्ध नहीं होती।
एआई की सुरक्षा में एनोटेटर्स की भूमिका अहम है, फिर भी उन्हें मान्यता नहीं मिलती और श्रेय अक्सर केवल शोधकर्ताओं को दिया जाता है, जिससे निष्पक्षता का प्रश्न उठता है।
एआई कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे एनोटेटर्स को उचित वेतन, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, स्थायी अनुबंध और मान्यता दें, साथ ही वैश्विक श्रम मानक विकसित करें।
एआई एनोटेटर्स का अदृश्य श्रम तकनीकी प्रगति की नींव है, परंतु उनकी परिस्थितियाँ असमान व असुरक्षित हैं। भारत सहित सभी देशों के लिए चुनौती यह है कि एआई रोजगार के अवसरों को बढ़ाते हुए श्रमिकों की गरिमा, अधिकार और कल्याण की रक्षा की जाए।
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