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एआई श्रमिकों (एनोटेटर्स) से जुड़ी नैतिक चिंताएँ

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 4: निजी एवं सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था में नैतिक मुद्दे; नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता)

संदर्भ

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणालियाँ जैसे ChatGPT, Gemini, Perplexity, Grok  इत्यादिकेवल एल्गोरिद्म और कंप्यूटिंग शक्ति पर नहीं, बल्कि हजारों एआई श्रमिकों (एनोटेटर्स)  के अदृश्य श्रम पर भी निर्भर हैं। वे डेटा लेबलिंग और हानिकारक सामग्री फ़िल्टरिंग से एआई को सुरक्षित बनाते हैं, परन्तु उनकी कार्यदशाओं को लेकर अनेक नैतिक प्रश्न उठ रहे हैं।

एआई प्रणालियों के लिए एआई श्रमिक (एनोटेटर्स) क्यों आवश्यक हैं ?

तकनीकी दृष्टि से एआई मॉडल डेटा से सीखने वाली मशीन” हैं। लेकिन मशीनें कच्चे (raw) डेटा को सीधे नहीं समझ पातीं। यह काम एआई श्रमिकों (एनोटेटर्स) द्वारा किया जाता है जो कि निम्न तरीकों से किया जाता है-

  • डेटा लेबलिंग (Data Labeling): एनोटेटर्स चित्रों, वीडियो या पाठ को सही श्रेणियों में रखते हैं (जैसे “बिल्ली” बनाम “कुत्ता”) ताकि एल्गोरिद्म पैटर्न पहचान सके।
  • कंटेंट मॉडरेशन (Content Moderation): एआई को हानिकारक, हिंसक या आपत्तिजनक सामग्री से बचाने के लिए एनोटेटर्स उसे टैग और फ़िल्टर करते हैं।
  • फाइन-ट्यूनिंग (Fine-Tuning): मानव फीडबैक (Human Feedback) का उपयोग करके एआई को अधिक “मानवीय” और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जाता है।
  • गुणवत्ता जाँच (Quality Assurance): एनोटेटर्स मॉडल के आउटपुट की समीक्षा कर यह तय करते हैं कि वह सटीक, प्रासंगिक और नैतिक है या नहीं।

इस प्रकार एनोटेटर्स का कार्य एआई को “स्मार्ट” और “सुरक्षित” दोनों बनाता है।

प्रमुख नैतिक चिंताएँ

एआई के पीछे छिपा श्रमबल

एनोटेटर्स अक्सर विकासशील देशों की आउटसोर्सिंग कंपनियों से जुड़े होते हैं। वे डेटा टैगिंग और हानिकारक सामग्री छाँटने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, फिर भी तकनीकी नवाचार और नैतिक बहसों में अदृश्य रहते हैं।

कम वेतन और असुरक्षित रोजगार

सबसे बड़ी नैतिक समस्या है कम पारिश्रमिक। एनोटेटर्स को अक्सर कुछ डॉलर प्रति घंटा ही मिलते हैं और वे अस्थायी ठेकों पर बिना सामाजिक सुरक्षा या स्थिरता के काम करते हैं।

हानिकारक सामग्री से मानसिक खतरे

एनोटेटर्स को हिंसक और अश्लील सामग्री छाँटनी पड़ती है, जिससे तनाव और आघात हो सकता है, पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रायः उपलब्ध नहीं होती।

पहचान और पारदर्शिता का अभाव

एआई की सुरक्षा में एनोटेटर्स की भूमिका अहम है, फिर भी उन्हें मान्यता नहीं मिलती और श्रेय अक्सर केवल शोधकर्ताओं को दिया जाता है, जिससे निष्पक्षता का प्रश्न उठता है।

एआई कंपनियों की नैतिक जिम्मेदारी

एआई कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे एनोटेटर्स को उचित वेतन, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, स्थायी अनुबंध और मान्यता दें, साथ ही वैश्विक श्रम मानक विकसित करें।

आगे की राह

  • न्यायपूर्ण वेतन और लाभ : कंपनियों को एनोटेटर्स को न्यूनतम मजदूरी से अधिक, जीवनयापन योग्य वेतन देना चाहिए।
  • मानसिक स्वास्थ्य समर्थन : हानिकारक सामग्री देखने वाले श्रमिकों को परामर्श, काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
  • पारदर्शिता और मान्यता : AI कंपनियों को अपने उत्पादों में एनोटेटर्स की भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए और उनके योगदान को मान्यता देनी चाहिए।
  • सुरक्षित कार्य वातावरण : संवेदनशील सामग्री के लिए एनोटेटर्स को शिफ्ट्स में काम और कंटेंट मॉडरेशन टूल्स का प्रयोग।
  • वैश्विक श्रम मानक : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एआई श्रम के लिए श्रम-क़ानून और नैतिक आचार संहिता तैयार करना।
  • स्थायी रोजगार : एनोटेटर्स को केवल अल्पकालिक ठेकों पर न रखकर दीर्घकालिक अवसर और प्रशिक्षण प्रदान करना।

निष्कर्ष

एआई एनोटेटर्स का अदृश्य श्रम तकनीकी प्रगति की नींव है, परंतु उनकी परिस्थितियाँ असमान व असुरक्षित हैं। भारत सहित सभी देशों के लिए चुनौती यह है कि एआई रोजगार के अवसरों को बढ़ाते हुए श्रमिकों की गरिमा, अधिकार और कल्याण की रक्षा की जाए।

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