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अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण संरक्षण)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय; पर्यावरण प्रदूषण एवं संरक्षण)

संदर्भ 

  • केंद्र सरकार ने असम में स्थित होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) में प्रस्तावित तेल एवं गैस अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग को मंजूरी दी।
  • यह मंजूरी वेदांता समूह की केयर्न ऑयल एंड गैस कंपनी को दी गयी है। हालाँकि, पारिस्थितिकीय-संवेदनशीलता कारणों से वाणिज्यिक ड्रिलिंग की अनुमति नहीं दी गई है।

अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग के बारे में

  • अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग तेल या गैस के नए भंडार की खोज के लिए की जाती है। 
    • इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह के नीचे संभावित हाइड्रोकार्बन युक्त संरचनाओं की पहचान करना है।
  • अन्वेषणात्मक कुओं को उन क्षेत्रों में ड्रिल किया जाता है जहाँ भूवैज्ञानिक संकेतक तेल या गैस भंडार की उपस्थिति का संकेत देते हैं। 
  • इस प्रकार की प्रक्रिया के लिए मंजूरी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति द्वारा दी जाती है। 

हालिया प्रस्तावित परियोजना के बारे में 

  • क्षेत्र : तेल अन्वेषण कंपनी द्वारा प्रस्तावित यह परियोजना 4.49 हेक्टेयर में विस्तृत है। 
    • यह स्थल होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो लुप्तप्राय हूलॉक गिब्बन और छह अन्य प्राइमेट प्रजातियों का आवास स्थल है। 
  • आवश्यकता : होलोंगापार अभ्यारण्य में अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग पूरे बेसिन के भूकंपीय मानचित्रण के परिणामों के कारण आवश्यक थी और इसका उद्देश्य केवल क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन भंडार की खोज करना है। 
  • ई.एस.जेड. से बाहर ड्रिलिंग : खोजे गए हाइड्रोकार्बन भंडारों के निष्कर्षण का कोई भी प्रस्ताव अभयारण्य के ई.एस.जेड. के बाहर की साइटों तक ही सीमित रहेगा।

परियोजना का पर्यावरणीय प्रभाव

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष : ड्रिलिंग गतिविधियों को बढ़ावा देने से प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र में मानव-वन्य जीव संघर्ष को बढ़ावा मिल सकता है। 
  • खतरे में लुप्तप्राय प्रजातियाँ : इस क्षेत्र की सबसे संवेदनशील प्रजाति हूलॉक गिब्बन है, जो आवास खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है। कोई भी छोटा सा व्यवधान या अतिक्रमण उनके अस्तित्व के लिए संकट उत्पन्न कर सकता है।
  • प्राकृतिक आवास का क्षरण : अन्वेषण के लिये प्रस्तावित क्षेत्र हाथियों, तेंदुओं एवं हूलॉक गिब्बन का निवास स्थान है, अत्यधिक हस्तक्षेप से इन प्रजातियों के प्राकृतिक आवास को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य 

  • स्थापना : वर्ष 1997 
  • स्थिति : असम राज्य के जोरहाट ज़िले में अवस्थित 
  • नामकरण : देश की एकमात्र वानर प्रजाति हूलॉक गिब्बन के नाम पर
    • यह प्रजाति भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित है।
    • IUCN की लाल सूची में यह संकटग्रस्त श्रेणी (EN) में शामिल है।
  • क्षेत्रफल : 20.98 वर्ग किलोमीटर
  • पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) : 264.92 वर्ग किलोमीटर 

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