(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
आवारा कुत्तों (Stray Dogs) को खाना खिलाने का मुद्दा भारत में एक विवादास्पद एवं भावनात्मक विषय रहा है जो करुणा व सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन की माँग करता है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर उनके उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
आवारा कुत्तों की स्थिति
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023 (ABC Rules) में आवारा कुत्तों को ‘सामुदायिक पशु’ (Community Animals) के रूप में उल्लेख किया गया है।
- ये कुत्ते मालिकविहीन नहीं माने जाते हैं बल्कि अपने स्थानीय पारिस्थितिक क्षेत्र (Territorial Beings) के महत्त्वपूर्ण अंग माने जाते हैं।
- संविधान के भाग-4 में अनुच्छेद 51A(g) भारतीय नागरिकों के लिए सभी जीवों के प्रति करुणा रखने का मूल कर्तव्य निर्धारित किया गया है।
- इसका मतलब यह है कि आवासीय क्षेत्रों में कुत्तों की उपस्थिति को स्वतः ही गैरकानूनी नहीं माना जा सकता है। न ही उन्हें खाना खिलाने वालों को अपराधी माना जा सकता है, जब तक कि उनके कार्य कानून द्वारा निर्धारित विशिष्ट व्यवहार और स्थान संबंधी दिशानिर्देशों का उल्लंघन न करते हों।
- सर्वोच्च न्यायालय ने जल्लीकट्टू मामले (भारतीय पशु कल्याण बोर्ड v/s ए. नागराजा 2014) में अनुच्छेद 21 (जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार) को पशुओं तक विस्तारित किया है।
आवारा कुत्तों को भोजन देने संबंधी नियम
- ABC नियम, 2023 के नियम 20 (सामुदायिक पशुओं को भोजन देना) के अनुसार:
- रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA), अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि को सामुदायिक पशुओं को खाना खिलाने की व्यवस्था करनी होगी, यदि कोई निवासी ऐसा करना चाहता है।
- खाना खिलाने के स्थान अधिक आवागमन वाले क्षेत्रों, जैसे- सीढ़ियाँ, भवन के प्रवेश द्वार या बच्चों के खेल क्षेत्र से दूर होने चाहिए।
- खिलाने का स्थान साफ एवं कूड़ा-मुक्त होना चाहिए और कुत्तों को निश्चित समय पर खिलाया जाना चाहिए।
- नियम में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, पुलिस के प्रतिनिधियों, जिला पशु क्रूरता निवारण सोसायटी, पशु जन्म नियंत्रण करने वाले संगठनों और आर.डब्ल्यू.ए. को शामिल करते हुए विवाद समाधान तंत्र भी निर्धारित किया गया है।
- नियमों में कुत्तों को खाना खिलाने का अधिकार है किंतु यह ऐसे तरीकों से किया जाना चाहिए जिससे साझा सामाजिक स्थानों में व्यवधान कम-से-कम हो। ये नियम करुणा एवं सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन बनाते हैं।
हालिया मामले की पृष्ठभूमि
- नोएडा के एक निवासी ने आरोप लगाया कि उनकी सोसाइटी के RWA अध्यक्ष ने कुत्तों के लिए रखे पानी के बर्तनों को तोड़ दिया, उनका उत्पीड़न किया और नसबंदी किए गए कुछ कुत्तों को मार डाला, जिस पर स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने उनकी याचिका को ‘आम आदमी के हित’ में खारिज कर दिया।
- उच्च न्यायालय ने कहा कि ABC नियम, 2023 आवारा कुत्तों की सुरक्षा तो करते हैं किंतु इससे आम लोगों की आवाजाही बाधित नहीं होनी चाहिए।
- इसके बाद मामला सर्वोच्च न्यायालय में लाया गया।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि आवारा कुत्तों को खिलाने की इच्छा रखने वाले नागरिक अपने घरों के अंदर ऐसा करें।
- न्यायालय ने ABC नियम, 2023 के तहत कुत्तों एवं अन्य जानवरों को खिलाने के दिशानिर्देशों का पालन करने पर जोर दिया।
निर्णय के मुख्य बिंदु
- कुत्तों को खाना खिलाना गैरकानूनी नहीं है किंतु इसे निर्धारित स्थानों और समय पर करना होगा ताकि सार्वजनिक स्थानों में व्यवधान न हो।
- RWA और स्थानीय निकायों को खिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
- खिलाने के स्थान बच्चों के खेल क्षेत्रों, सीढ़ियों या प्रवेश द्वार से दूर होने चाहिए।
- विवादों के समाधान के लिए एक तंत्र मौजूद है, जिसमें सभी हितधारक शामिल हैं।
- न्यायालय ने करुणा एवं सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन पर बल दिया।
अन्य संबंधित मामला
- मार्च 2023 में शर्मिला शंकर एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उन निवासियों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिन्हें कुत्तों को खाना खिलाने के लिए अपनी हाउसिंग सोसाइटियों से विरोध का सामना करना पड़ा था।
- न्यायालय ने कहा कि आवासीय कल्याण संघ (RWA) और सोसाइटियाँ सामुदायिक पशुओं को खाना खिलाने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती हैं, न ही ऐसा करने वालों को धमका सकती हैं या दंडित कर सकती हैं।
- न्यायालय ने पुष्टि की कि ए.बी.सी. नियमों में ‘कानूनी बल’ है।
करुणा एवं सार्वजनिक व्यवस्था के मध्य संतुलन
करुणा का समर्थन
- संविधान का अनुच्छेद 51A(g) और अनुच्छेद 21 पशुओं के प्रति करुणा को बढ़ावा देते हैं।
- ABC रूल्स, 2023 सामुदायिक पशुओं की सुरक्षा, नसबंदी (Sterilization) और रेबीज टीकाकरण को सुनिश्चित करते हैं।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय (2023) ने कहा कि RWA कुत्तों को खिलाने पर रोक नहीं लगा सकते या खिलाने वालों को दंडित नहीं कर सकते हैं।
सार्वजनिक व्यवस्था का ध्यान
- खिलाने के लिए निर्धारित स्थान और समय सुनिश्चित करना ताकि सार्वजनिक स्थानों में व्यवधान न हो।
- अधिक आवागमन वाले क्षेत्रों में खिलाने पर प्रतिबंध से बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित होना।
- विवाद समाधान तंत्र स्थानीय समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
संतुलन का प्रयास
- कानून यह सुनिश्चित करता है कि कुत्तों को खिलाने का अधिकार हो किंतु यह सार्वजनिक सुरक्षा एवं स्वच्छता को प्राथमिकता देता है।
- स्थानीय निकायों व RWA को सहयोग करने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि दोनों पक्षों के हित सुरक्षित रहें।
निष्कर्ष
आवारा कुत्तों के पोषण का मुद्दा भारत में करुणा और सार्वजनिक व्यवस्था के बीच एक नाजुक संतुलन की माँग करता है। सर्वोच्च न्यायालय और ABC नियम, 2023 इस दिशा में स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, जो पशु कल्याण और मानव सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता देते हैं। समाज को इन नियमों का पालन करते हुए सहयोग और समझ के साथ इस मुद्दे को हल करना होगा, ताकि सामुदायिक पशुओं और निवासियों के बीच सामंजस्य बना रहे।