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नागरिकता (Citizenship) क्या है ? संवैधानिक प्रावधान ,अधिनियम एवं CAA क्या है ?

नागरिकता क्या है ?

  • नागरिकता वह कानूनी दर्जा है, जिसके आधार पर व्यक्ति को राज्य के प्रति अधिकार और कर्तव्य प्राप्त होते हैं।
  • नागरिक को मतदान, संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, मौलिक अधिकारों का पूर्ण लाभ, और देश की निष्ठा निभाने जैसे अधिकार और जिम्मेदारियाँ मिलती हैं।
  • भारत में नागरिकता से संबंधित प्रावधान संविधान के भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) में निहित हैं।


नागरिकता (Citizenship)  के संवैधानिक प्रावधान (Articles 5–11)

अनुच्छेद 5 – संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता

  • संविधान लागू होने की तिथि (26 जनवरी 1950) पर नागरिकता निर्धारित की गई थी।
  • नागरिकता के आधार:
    • भारत में जन्म।
    • भारत में माता-पिता का जन्म।
    • संविधान लागू होने से पहले भारत में निवास।

अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से आए प्रवासी (Partition Refugees)

  • जो लोग पाकिस्तान से भारत आए थे, उन्हें कुछ शर्तों पर भारत की नागरिकता दी गई।

अनुच्छेद 7 – पाकिस्तान गए हुए लोग (माइग्रेंट्स टू पाकिस्तान)

  • जो लोग विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान चले गए, उन्हें भारतीय नागरिकता से वंचित किया गया।
  • हालांकि, यदि वे बाद में वापस भारत आकर बस गए और पंजीकरण कराया, तो वे नागरिक बन सकते थे।

अनुच्छेद 8 – विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति

  • जो भारतीय मूल के व्यक्ति भारत के बाहर रहते हैं, वे भारतीय राजनयिक/कांसुलेट में अपना नाम दर्ज करा कर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।

अनुच्छेद 9 – दोहरी नागरिकता का निषेध

  • यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी।

अनुच्छेद 10 – अधिकारों की निरंतरता

  • संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के अधीन रहते हुए नागरिकता से संबंधित अधिकारों की निरंतरता बनी रहेगी।

अनुच्छेद 11 – संसद की शक्ति

  • संसद को यह अधिकार है कि वह नागरिकता से संबंधित सभी मामलों पर कानून बना सकती है।
  • इसी शक्ति के तहत संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया।

नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रमुख प्रावधान

भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पाँच प्रमुख तरीके:

  1. जन्म से (By Birth)
  2. वंशानुक्रम से (By Descent)
  3. पंजीकरण से (By Registration)
  4. प्राकृतिककरण से (By Naturalization)
  5. क्षेत्र के विलय से (By Incorporation of Territory)

नागरिकता समाप्त होने के आधार:

  1. त्याग (Renunciation)
  2. निरसन (Termination)
  3. वंचन (Deprivation)

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019

उद्देश्य

  • प्रवासियों के एक विशेष समूह को नागरिकता प्रदान करना, भले ही उनके पास नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार वैध यात्रा दस्तावेज न हों।

किन प्रवासियों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा ?

निम्नलिखित 4 शर्तें पूरी करने वाले प्रवासियों को अधिनियम में छूट:

  1. वे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई धर्म से हों।
  2. वे अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश से आए हों।
  3. उन्होंने 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश किया हो।
  4. वे इन क्षेत्रों से बाहर हों:
    • संविधान की छठी अनुसूची में शामिल आदिवासी क्षेत्र (असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा)।
    • इनर लाइन परमिट (ILP) वाले राज्य: अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड।

नागरिकता प्राप्त करने की अवधि

  • सामान्यतः प्राकृतिककरण (Naturalisation) से नागरिकता लेने की अवधि 11 वर्ष थी।
  • CAA, 2019 के तहत इसे घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया।

महत्व

  • उत्पीड़ित व्यक्तियों को राहत प्रदान करना।
  • जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करना।
  • मानवाधिकारों के सिद्धांतों को बरकरार रखना।

सीमाएँ / आलोचनाएँ

  • इसमें श्रीलंका और म्यांमार के शरणार्थी (जैसे तमिल, रोहिंग्या) शामिल नहीं हैं।
  • मुसलमानों, यहूदियों और नास्तिकों (Atheists) को नागरिकता से बाहर रखा गया।
  • यह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत के उल्लंघन के रूप में आलोचित है।
  • केवल 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए प्रवासियों पर लागू → समान परिस्थितियों में बाद में आने वालों के साथ अलग व्यवहार।

CAA नियम, 2024 की आवश्यकता क्यों?

  • अवैध प्रवासियों और उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए।
  • पड़ोसी इस्लामी देशों में धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए।

संबंधित चिंताएँ (Rules 2024 पर)

  • उत्पीड़न-आधारित प्रवासन की जांच के लिए कोई स्पष्ट परीक्षण (test/criteria) नहीं है।
  • धर्म-आधारित अपवर्जन भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को चुनौती देता है।

मुख्य तथ्य :-

  • भारत में एकल नागरिकता (Single Citizenship) की व्यवस्था है।
  • नागरिकता से जुड़े सभी विषय संविधान की यूनियन सूची (Union List) में आते हैं।
  • भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता (जैसा अमेरिका में है) की अनुमति नहीं देता।
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