
- गांधी जयंती केवल महात्मा गांधी के जन्मदिन का उत्सव नहीं है।
- यह सत्य, अहिंसा और नैतिक साहस की उस अद्भुत यात्रा का स्मरण है, जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। दक्षिण अफ्रीका में उनके अनुभवों ने उन्हें अहिंसक विरोध के महत्व का पाठ पढ़ाया, जो बाद में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया।
महात्मा गांधी: राष्ट्रपिता और सत्याग्रह के प्रवर्तक
महात्मा गांधी सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेता ही नहीं थे, बल्कि सत्य और अहिंसा के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन यह दिखाता है कि सादगी, दृढ़ संकल्प और नैतिक शक्ति किसी भी सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की नींव बन सकती है।
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात।
- माता-पिता: करमचंद गांधी और पुतलीबाई।
- बचपन में वैष्णव और जैन धर्म की शिक्षाएँ उनके चरित्र में सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता और त्याग के मूल्य डाल गईं।
- श्रवण और हरिश्चंद्र की कथाएँ उनकी ईमानदारी और नैतिक दृढ़ता की नींव बनीं।
दक्षिण अफ्रीका में पहली लड़ाई: अन्याय के खिलाफ संघर्ष
- नस्लीय भेदभाव का सामना: 1893 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उन्हें गंभीर नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा।
- प्रसिद्ध घटना: वैध टिकट होने के बावजूद उन्हें रेल के प्रथम श्रेणी डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया।
- इस अपमान ने उनके भीतर सत्याग्रह और अहिंसा के लिए ज्वाला जगा दी।
संघर्ष और योगदान
- 1894: नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अहिंसक विरोध शुरू।
- 1899: बोअर युद्ध में भारतीय एम्बुलेंस कोर का गठन।
- फीनिक्स फार्म और टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना – सत्याग्रह प्रशिक्षण के लिए।
- 1906: ट्रांसवाल में पहला सत्याग्रह आंदोलन।
- कई मार्चों का नेतृत्व, बार-बार जेल, और वैश्विक ध्यान आकर्षित करना।
- दक्षिण अफ्रीका गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसा दर्शन का प्रयोगशाला बन गया।
भारत लौटकर राजनीति में प्रवेश
1915 में भारत लौटे, गांधीजी ने देश की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को समझने के लिए पूरे भारत की यात्रा की।
- गरीबों, किसानों और मजदूरों से गहरा जुड़ाव।
- जनता के बीच उनका सम्मान और विश्वास तेजी से बढ़ा।
भारत में प्रमुख आंदोलन
चंपारण सत्याग्रह (1917)
- बिहार के किसानों के शोषण के खिलाफ पहला सफल आंदोलन।
- नील बागानों में किसानों के अधिकारों की रक्षा।
खेड़ा सत्याग्रह (1918)
- गुजरात के किसानों की आर्थिक मुसीबतों के खिलाफ संघर्ष।
- कर और फसल की समस्या पर जोर।
खिलाफत और असहयोग आंदोलन (1920-22)
- हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रयास।
- ब्रिटिश वस्त्रों, स्कूलों और उपाधियों का बहिष्कार।
- चौरी-चौरा हिंसा के बाद आंदोलन निलंबित।
कॉंग्रेस की अध्यक्षता :-
- महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बेलगाम अधिवेशन(1924) की अध्यक्षता की।
- विशेषता: यह गांधी की अध्यक्षता वाला एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन था
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
- ऐतिहासिक दांडी मार्च और नमक कानून का उल्लंघन।
- पूरे भारत में शांतिपूर्ण विरोध की लहर।
गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता (1931)
- लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन।
- समझौते से अस्थायी राजनीतिक राहत और कैदियों की रिहाई।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- “करो या मरो” का आह्वान।
- नेताओं की गिरफ्तारी और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन।
हत्या और अमर विरासत
- 30 जनवरी 1948: नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या।
- गांधीजी की मृत्यु राष्ट्र और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति।
- उनकी शिक्षाएँ आज भी मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और विश्वभर के नेताओं के लिए प्रेरणा हैं।
- समाधि स्थल – रामघाट नई दिल्ली
प्रश्न :-महात्मा गांधी जयंती 2025 को कौन सी मनाई जाएगी ?
(a) 156 वीं
(b) 155 वीं
(c) 154 वीं
(d) 150 वीं
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