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भौगोलिक संकेतक

चर्चा में क्यों?

मयूरभंज का सुपरफूड 'एंट चटनी'  भौगोलिक संकेत (जीआई) रजिस्ट्री के लिए प्रायसरत है।

भौगोलिक संकेतक के बारे में -

  • एक भौगोलिक संकेत (GI) टैग किसी विशेष क्षेत्र / राज्य / देश के उत्पाद निर्माता या व्यवसायियों के समूह को अच्छी गुणवत्ता के कृषि, औद्योगिक, प्राकृतिक वस्तुओं को बनाने के लिए दिया जाता है।
  • इस तरह का नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है जो निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में उसके मूल तथ्य के कारण होता है।
  • कुछ उदाहरण हैं – शैंपेन, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी साड़ी, कांचीपुरम सिल्क साड़ी, नागपुर के संतरे, बीकानेर की भुजिया इत्यादि।
  • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। 
  • वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।      
  • एक संरक्षित भौगोलिक संकेत धारक, किसी और व्यक्ति को उसी तकनीक से इसी उत्पाद को बनाने से नहीं रोक सकता है, लेकिन नक़ल करने वाला व्यक्ति उसी संकेत का उपयोग नहीं कर सकता है।
  • GI टैग के माध्यम से उत्पादन प्रक्रिया में नयापन लाने वाले लोगों को इस बात की सुरक्षा प्रदान की जाती है कि उनके उत्पाद की नक़ल कोई और व्यक्ति या संस्था नहीं करेगी।

इसके दो मुख्य उद्येश्य हैं-

  • GI टैग किसी क्षेत्र के उत्पाद की उत्पत्ति को पहचानने के लिए एक संकेत या प्रतीक है।
  • इस GI टैग की मदद से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित वस्तुओं की अच्छी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
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